दिव्य शक्ति पीठ पर वाशिंगटन से आए भारतीय मूल के संत नलिनानंद गिरी सुना रहे खरी-खरी बातें।
इंदौर : कलियुग में सबसे ज्यादा विकृतियां धर्म और अध्यात्म के क्षेत्र में आ रही हैं। धर्म के नाम पर भ्रांतियां बढ़ रही हैं। पाखंड और प्रदर्शन का बाहुल्य हो गया है, लेकिन यह सब ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकता। भारतीय धर्मग्रंथ और धर्मशास्त्र, वेद-पुराण आज सारी दुनिया का मार्गदर्शन कर प्रकाश स्तंभ की भूमिका निभा रहे हैँ। पश्चिमी देश भी भारतीय रंग में रंगने लगे हैं। वहां के युवा हमारी संस्कृति और अन्य परंपराओं की ओर आकर्षित हो रहे हैं। विडंबना यह है कि हमारे देश के युवा इन सबके उलट, पश्चिम की तथाकथित चकाचौंध में डूब रहे हैं। भागवत, गीता और रामायण जैसे धर्मग्रंथों में अनमोल खजाना भरा हुआ है। जरूरत है इस खजाने को खोजकर प्राप्त करने की।
वाशिंगटन (अमेरिका) से आए भारतीय मूल के स्वामी नलिनानंद गिरि ने एम.आर.10 रेडिसन चौराहा के पास स्थित दिव्य शक्तिपीठ के किशनलाल ऐरन सभागृह में चल रहे श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ एवं सत्संग के दूसरे दिन ये खरी-खरी बातें कहीं। प्रारंभ में शक्ति पीठ की ओर से डॉ. दिव्या-सुनील गुप्ता, अजय सुरेशचंद्र अग्रवाल, दिनेश मित्तल, विष्णु बिंदल, अशोक ऐरन, राजेश कुंजीलाल गोयल, विनोद सिंघल आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया।
स्वामी नलिनानंद मार्केटिंग और फायनेंस में एमबीए की उपाधि प्राप्त ऐसे संत हैं, जिन्होंने मात्र 6 वर्ष की आयु में राम नाम और 13 वर्ष की आयु में ब्रह्मचर्य की दीक्षा प्राप्त की है। हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत और स्पेनिश सहित अनेक भाषाओं के जानकार, अनेक वाद्य यंत्रों को बजाने की कला में निपुण स्वामी नलिनानंद, दिव्य शक्ति पीठ पर 27 नवम्बर तक प्रतिदिन सायं 5.30 से 8.30 बजे तक अपने प्रवचनों की अमृत वर्षा करेंगे। कथा के विराम पर स्वामीजी ने वंदे मातरम का गान कर सबको भाव विभोर कर दिया।