*नरेंद्र भाले*
इस हार को मैं क्या नाम दूं , बेचैन दिल को कैसे आराम दूं। नारंगी टोपी के दावेदार डुप्लेसिस ने वाटसन के साथ तेज शुरुआत तो कर दी लेकिन 17 रन बनांकर मावी का शिकार बन गए। वाटसन ने रायडू को साथ लेकर पारी को इस अंदाज में आगे दौड़ाया मानो 168 का लक्ष्य किस खेत की मूली है? पता नहीं दिनेश कार्तिक की क्या सोच रही की उन्होंने सुनील नारायण को 12 वें ओवर में और में गेंद थमाई। उस समय ऐसा लगा मानो वह हथियार पहले ही डाल चुके हैं। सुनील के बारे में रिकॉर्ड तो यह कहता है कि पावर प्ले में पिछले 7 मैचों में उन्होंने वाटसन का पांच बार शिकार किया था, सुनील के आने तक वाटसन 39 गेंदों में 50 तक पहुंच गए थे। इस नारायण (पग )बाधा ने वाटसन को रवाना कर दिया और यहीं से मैच चेन्नई की पकड़ से निकल गया।
जमे हुए रायडू (30) तथा वाटसन के अचानक जाने से सारा दारोमदार धोनी तथा सैम करेन पर आ गया। इसमें संदेह नहीं है कि विशेष रुप से गेंदबाजों ने बल्ले की मुश्के कस दी। फिर वह समय भी आ गया जब वरुण चक्रवर्ती ने धोनी को चौके की बोटी डाली और मिस्टर कूल के रूप में बकरा ले लिया। दो गेंदें ऑफ स्टंप से बाहर तथा तीसरी अंदर आकर धोनी के लाकडे बिखेर गई।
गहराते संकट में सैम करेन 17 भी डगआउट में पहुंच गए। यहां कार्तिक ने तुरूप के इक्के के रूप में रसेल को गेंद थमाकर करेन को अलविदा कह दिया। जब 12 गेंदों में 36 की जरूरत थी तब थकेले केदार जाधव तथा रविंद्र जडेजा विकेट पर मौजूद थे। जाधव ने रनों के अकाल में 12 गेंदे खराब कर मात्र 7 रन बनाए जबकि जडेजा ने 8 गेंदों में ताबड़तोड़ 21 रन जुटाए लेकिन 10 रनों से टीम को दिवालिया होने से बचा नहीं पाए। रसेल के अंतिम ओवर में 26 रन बनाने थे लेकिन 16 ही बने। यहां बरबस सुरेश रैना की याद आती है। रैना हवा का ऐसा झोका थे जो बल्लेबाजी हो या क्षेत्ररक्षण अपने बहाव से हार का रुख मोड़ देते थे। वास्तव में केकेआर ने उन्हें हराया नहीं बल्कि खराब एप्रोच तथा घटिया बल्लेबाजी से चेन्नई ने हार का वरण किया।
इसके पूर्व केकेआर की पूरी पारी राहुल त्रिपाठी के इर्द-गिर्द घूमती रही। मिले अवसर को शिद्दत से भुनाने का वे सर्वश्रेष्ठ उदाहरण बने। उद्घाटक बल्लेबाज का उन्हें अवसर मिला और बंदा मात्र 51 गेंदों में 81 रनों की संजीवनी पारी खेल गया। आठ चौके तथा 3 छक्के उनकी इस यादगार दास्तान को सुनाने के लिए पर्याप्त है। ओपनर की चिंदी को राहुल ने सारे पुरस्कारों का थान बनाकर चेन्नई को पूरी तरह से लपेट दिया। नारायण को 12 वे तथा रसैल को 18 ओवर में लाने के कार्तिक के तुक्के वाकई तीर बन गए।