इंदौर : स्वच्छता में 7 स्टार रेटिंग पाने की कवायद में जुटे इंदौर नगर निगम प्रशासन को उसके ही अधिकारी- कर्मचारियों की अमानवीय हरकत से शर्मिंदगी उठानी पड़ी। प्रदेश सरकार तक भी इसकी आंच पहुंची। हालांकि निगम प्रशासन ने इसके बाद त्वरित एक्शन लेते हुए रैन बसेरा में कार्यरत दो कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर डैमेज कंट्रोल की कोशिश की।
ये था मामला।
दरअसल बढ़ती ठंड और 7 स्टार रेटिंग की कवायद में फुटपाथ पर गुजर- बसर करने वाले निराश्रित बुजुर्गों को रैन बसेरों में शिफ्ट किया जाना था। बताया जाता है कि निगम के कतिपय अधिकारी व रैन बसेरे के कर्मचारियों ने अमानवीय रवैया अपनाते हुए निराश्रित बुजुर्गों को निगम की गाड़ी में जानवरों की तरह ठूंसा और रैन बसेरा ले जाने की बजाय निगम सीमा के बाहर शिप्रा ले जाकर छोड़ दिया।जब स्थानीय लोगों ने यह नजारा देखा तो उन्होंने निगमकर्मियों को लताड़ लगाते हुए बुजुर्गों को पुनः गाड़ी में बिठवाया।
मामले ने पकड़ा तूल, कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर साधा निशाना।
निगमकर्मियों की इस शर्मनाक हरकत का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही हड़कम्प मच गया। लोगों ने निगम कर्मियों की इस अमानवीय करतूत पर जमकर नाराजगी जाहिर की। मामले ने जल्द ही सियासती रंग ले लिया।शहर कांग्रेस अध्यक्ष विनय बाकलीवाल ने प्रदेश की बीजेपी सरकार को निशाने पर लेते हुए उस पर मानवीय संवेदना को तिलांजलि देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जिसतरह निराश्रित बुजुर्गों को भेड़- बकरियों की तरह जंगल में ले जाकर छोड़ दिया गया, वह असंवेदनशीलता की पराकाष्ठा है। बाकलीवाल ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए सम्बंधित निगम अधिकारियों- कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की।
दो कर्मचारियों पर गिरी गाज।
सोशल मीडिया पर इस शर्मसार कर देनेवाली घटना का वीडियो उजागर होने और उसके राजनीतिक रंग लेते ही निगम प्रशासन हरकत में आया। निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने मामले का संज्ञान लेते हुए रैन बसेरा के दो कर्मचारियों को प्रथम दृष्टया दोषी पाते हुए उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया। उनके नाम बृजेश लश्करी और विश्वास बाजपेयी बताए गए हैं। निगमायुक्त के मुताबिक मामले की जांच में जो भी निगम अधिकारी- कर्मचारी दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।