इंदौर : सीएचएल हॉस्पिटल में गुपचुप तरीके से कोरोना संक्रमितों का इलाज़ किये जाने का मामला उजागर होने के बाद हड़कम्प मचा हुआ है। ग्रीन केटेगिरी का हॉस्पिटल होने के बावजूद यहां चोरी-छिपे हॉस्पिटल के ही स्टॉफ का इलाज़ किया जा रहा था। अब यहां के मरीज़ों को रेड केटेगिरी के टी चोइथराम हॉस्पिटल में शिफ्ट किया गया है।
प्रशासन को नहीं दी थी जानकारी।
पिछले दिनों सीएचएल हॉस्पिटल के कुछ डॉक्टर,नर्स,लेब टेक्निशियन और वार्ड बॉय कोरोना से संक्रमित हुए। यह सभी इसी हॉस्पिटल में कार्य के दौरान ही संक्रमित हुए इसलिये हॉस्पिटल प्रबन्धन ने प्रशासन को सूचना दिए बगैर फोर्थ फ्लोर पर इन्हें एडमिट कर इलाज़ शुरू कर दिया।धीरे-धीरे संक्रमितों की संख्या 35 तक पहुँच गई। तब हॉस्पिटल के दूसरे स्टॉफ ने घबराकर मामला उजागर करवा दिया। मामला उजागर हुआ तो जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने तीन दिन पहले यहाँ के 18 से ज़्यादा मरीज़ों को टी चोइथराम शिफ्ट करवा दिया और कुछ को घर रवाना कर दिया।
अन्य मरीजों में है दहशत।
इधर, हॉस्पिटल में इलाज़ करवा चुके या करवा रहे मरीज़ यह जानकारी मिलने के बाद से सकते में हैं। हॉस्पिटल प्रबन्धन न तो वहां के अन्य मरीज़ों की स्क्रीनिंग करवा रहा है और न ही शेष स्टाफ की। जिला प्रशासन भी इतनी गम्भीर गलती के बावजूद चुप्पी साधे बैठा है। कलेक्टर ने सिर्फ हॉस्पिटल की फोर्थ फ्लोर को सेनिटाइज करने के निर्देश जारी किये हैं जबकि स्वास्थ्य विभाग के आला अफसर हॉस्पिटल को येलो केटेगिरी में कन्वर्ट करने की बात कह चुके हैं। आज भी हॉस्पिटल का स्टॉफ डरा-सहमा हुआ है क्योंकि हॉस्पिटल के कई नर्स और निचले स्टॉफ को कोरोना ने जकड़ रखा है।
जिला प्रशासन ने दो दिन पहले फोर्थ फ्लोर को सेनेटाइज़ करने के निर्देश दिये थे। अभी यह फ्लोर खाली है लेकिन प्रबन्धन किसी भी क्षण यहां मरीज़ों को शिफ्ट कर सकता है।