इंदौर : कोरोना काल में भी फीस वसूली को लेकर बच्चों के परिजनों पर दबाव बनाने वाले कतिपय स्कूल संचालक अब फिर दबंगई पर उतर आए हैं। जिन बच्चों के परिजन किसी कारणवश फीस नहीं भर पाए, उन बच्चों को परीक्षा देने से वंचित कर उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। स्कूल प्रबन्धकों की मनमानी का आलम ये है कि वे जिला प्रशासन व शिक्षा विभाग के अधिकारियों को भी तवज्जो नहीं दे रहे हैं।
सन्मति स्कूल में बच्चों को परीक्षा देने से रोका।
ऐसा ही एक मामला चिड़ियाघर के समीप स्थित सन्मति हायर सेकेंडरी स्कूल में सामने आया। गुरुवार को स्कूल में परीक्षा देने पहुंचे कई बच्चों को, फीस बकाया होने पर परीक्षा देने से रोक दिया गया। अपने भविष्य को लेकर चिंतित बच्चों ने स्कूल के प्राचार्य और संचालकों से परीक्षा में बैठने देने की गुहार लगाई पर वे टस से मस नहीं हुए। कई बच्चे तो रो पड़े लेकिन प्रबंधन मनमानी पर अड़ा रहा। इस बीच सूचना मिलने पर बच्चों के परिजन भी स्कूल पहुंच गए। उन्होंने शीघ्र फीस भरने का वादा भी स्कूल प्रबंधन से किया लेकिन वो फीस भरने पर ही बच्चों को परीक्षा में बैठने देने की जिद पर अड़ा रहा। इस बीच परीक्षा का समय भी निकलता जा रहा था।
प्रशासन को भी दिखाया ठेंगा।
स्कूल प्रबन्धन की दबंगई ऐसी थी कि जब बच्चों के परिजनों ने फोन लगाकर एडीएम पवन जैन और जिला शिक्षा अधिकारी से स्कूल प्रबंधन की बात करानी चाही तो प्रबन्धन ने बात करने से ही इनकार कर दिया। इस बीच खबर मिलने पर मीडियाकर्मी भी वहां पहुंचे और स्कूल प्रबंधन से जवाब- तलब किया। करीब 100 बच्चे ऐसे थे, जिन्हें परीक्षा से वंचित रखा गया था। बाद में हंगामा बढ़ता देख स्कूल प्रबंधन ने बच्चों को मेस हॉल में बिठा दिया।
बताया जाता है कि लम्बी जद्दोजहद के बाद स्कूल प्रबंधन बच्चों को परीक्षा में बैठने देने को राजी हुआ। बच्चों की परीक्षा ली गई या नहीं इसकी जानकारी फिलहाल नहीं मिल पाई है लेकिन स्कूल प्रबंधन की मनमानी और दबंगई ने सैकड़ों बच्चों के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह जरूर खड़ा कर दिया। अब देखना ये है कि जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग ऐसे मगरूर स्कूल प्रबंधन के खिलाफ क्या कार्रवाई करता है।