आईएमए के वूमेन लीडरशिप कॉन्क्लेव में वूमेन लीडर्स ने साझा किए अपने अनुभव।
महिलाओं को अपनी अंतर्निहित क्षमताओं की पहचान कर विश्वास के साथ आगे बढ़ने पर दिया गया जोर।
इंदौर : वाकई ये नया भारत है। आईएमए के वूमेन लीडरशिप कॉन्क्लेव में जिसतरह बिजनेस वूमेन लीडर्स की भागीदारी देखने को मिली, उसने ये साबित किया कि महिलाएं अब घर के साथ केवल नौकरी ही नहीं बड़े – बड़े बिजनेस का संचालन भी बखूबी कर रहीं हैं। नए – नए आइडियाज भी वे क्रिएट कर अपने बिजनेस को नई ऊंचाई दे रहीं हैं। ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में आईएमए की वूमेन विंग ने इस वूमेन लीडरशिप कॉन्क्लेव का आयोजन किया था। अहम बात ये रही कि पूरे कॉन्क्लेव की कमान भी महिलाओं ने ही संभाल रखी थी। चानी त्रिवेदी, त्रिशला जैन आदि ने कॉन्क्लेव के सुनियोजित ढंग से सम्पन्न कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी।आईएमए के पुरुष पदाधिकारी और सदस्य सहायक भूमिका में पर्दे के पीछे थे। स्टार्टअप चलाने वाली महिलाओं ने अपने उत्पाद भी यहां प्रदर्शित किए थे।
कॉन्क्लेव में सारा अटेंशन अदाकारा दिव्या दत्ता और मंदिरा बेदी लूट ले गई पर इनके अलावा ऐसी कई बिजनेस वूमेन लीडर्स ने भी अपने अनुभव साझा किए जिन्होंने अपनी मेहनत और काबिलियत के दम पर शून्य से शिखर तक का सफर तय किया। दिनभर चले चर्चा सत्रों के माध्यम से उन्होंने अपनी बात रखी। इनमें कीर्ति काबरा, मालिनी थडानी, अवनी दावड़ा, मेघना सरावगी, स्क्वाड्रन लीडर परिधि सिंह कार्तिक, निधि कुलपति, शालिनी नांबियार, महाश्वेता घोष, सलोनी सूरी, हरप्रिया बैंस और नायब मिंधा जैसे नाम शामिल थे। प्रदेशभर से ढाई सौ से अधिक बिजनेस वूमेन लीडर्स ने इस कॉन्क्लेव में शिरकत की।
लैंगिक असमानता पर उठाए सवाल।
आरआर ग्लोबल की निदेशक, प्रमोटर और ब्रांड कम्युनिकेशन की प्रमुख कीर्ति काबरा ने महिलाओं से आग्रह किया कि वे बाधाओं को तोड़कर अवसरों का लाभ उठाएं और ऊंचा मुकाम हासिल करें। उन्होंने बिजनेस क्षेत्र में लैंगिक असमानता पर भी सवाल उठाए और पुरुष मानसिकता में बदलाव पर जोर दिया।
निवेश और निर्णय में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी सकारात्मक बदलाव का संकेत।
एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक लिमिटेड की स्वतंत्र निदेशक मालिनी थडानी ने कहा कि व्यवसायों में पुरुषों द्वारा लिए जाने वाले निर्णय अब महिलाएं लेने लगी हैं।निवेश और निर्णय लेने में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी सकारात्मक बदलाव का संकेत देती है।
राजनीति में बढ़े महिलाओं की भागीदारी।
एनडीटीवी की प्रबंध संपादक निधि कुलपति ने राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने सरकारी नीतियों में सुधार और निचले तबके की महिलाओं के उत्थान की जरूरत को भी रेखांकित किया।
क्षमताओं को उम्र से नहीं नापा जा सकता।
कुशल रणनीतिक बिजनेस लीडर अवनी दावड़ा ने कहा कि क्षमताओं को उम्र से नहीं नापा जा सकता।उन्होंने कड़ी मेहनत, प्रभावी टीम वर्क और दूरदर्शी नेतृत्व को सफलता का मूलमंत्र बताया।
प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल पारंपरिक व्यवसाय को नई ऊंचाई देता है।
मिरर की संस्थापक और सीईओ मेघना सरावगी ने आभूषणों के परंपरागत व्यवसाय को तकनीक का सहारा लेकर ऑनलाइन कारोबार में बदला और उसे विश्वस्तर पर पहुंचाया। कोरोना काल में उनके ऑनलाइन व्यवसाय को नई ऊंचाई मिली। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के सहयोग से परिवर्तनकारी विचार के साथ पारंपरिक व्यवसाय को भी नया आयाम दिया जा सकता है।
रुचि को जुनून बनाकर मेहनत करें, सफलता जरूर मिलेगी।
वायुसेना से सेवानिवृत्त पायलट स्क्वाड्रन लीडर परिधि सिंह कार्तिक ने अपनी जीवन यात्रा के संस्मरण सुनाने के साथ कहा कि अपनी रुचि को जुनून में बदलकर कड़ी मेहनत की जाए तो सफलता अवश्य मिलती है। उन्होंने महिलाओं को अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ने के लिए प्रेरित किया।
अपनी अंतर्निहित क्षमता और शक्ति पर गर्व करें महिलाएं।
दिल्ली के प्रतिष्ठित सेठ जयराम आनंदपुरिया स्कूल की संचालक शालिनी नंबियार ने महिलाओं से अपनी अंतर्निहित शक्ति को पहचानकर उसपर गर्व करने की सलाह दी। उन्होंने शिक्षा, पालन – पोषण और आत्म सशक्तिकरण पर अपनी बात रखी। सुश्री नंबियार ने बच्चो के लिए सुरक्षित व भरोसेमंद माहौल बनाने पर जोर दिया ताकि वे अपनी रचनात्मकता को खोज कर उसे परवान चढ़ा सके।
असफलताओं से उबरकर जुनून के साथ आगे बढ़ें।
विपणन विशेषज्ञ महाश्वेता घोष ने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहते हुए असफलताओं से उबरकर नए जोश व जुनून के साथ आगे बढ़ने का गुरुमंत्र दिया। उन्होंने लचीलेपन को मार्गदर्शक सिद्धांत बनाने के साथ चुनौतियों से पार पाने में मानसिक मजबूती पर बल दिया।
सफलता के लिए खुद पर विश्वास करना जरूरी।
सलोनी सूरी ने कहा कि हर किसी के पास अपने दिमाग का उपयोग करने की क्षमता समान है। उसका सही दिशा में इस्तेमाल करने की जरूरत है। सफलता के लिए खुद पर विश्वास करना जरूरी है। उन्होंने संचार और संवाद के जरिए रिश्तों के निर्माण और भावनाओं को ताकत बनाकर विश्वास को लक्ष्य प्राप्ति का प्रमुख औजार बनाने की बात कही।
कॉमेडी में बढ़े महिलाओं की भागीदारी।
हास्य कलाकार हरप्रिय बैंस ने मजाकिया अंदाज में अपनी बात को शुरू करते हुए कॉमेडी में भी महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की अपनी मंशा को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि हास्य के साथ व्यंग्य का मिश्रण कर सामाजिक सरोकारों की बात भी की जा सकती है।
इंजीनियर से साहित्यकार का सफर तय करने वाली नायाब मिधा ने अपनी काव्ययात्रा पर प्रकाश डाला। लेखन में अपनी दादी के प्रभाव को इंगित करते हुए उन्होंने कहा कि सबकुछ साझा करने में कोई बुराई नहीं है क्योंकि हर कोई सामान अनुभवों से गुजरता है।
दिनभर चले मैराथन चर्चा सत्रों के बावजूद बिजनेस लीडर्स की गरिमामय उपस्थिति ने इस वूमेन लीडरशिप कॉन्क्लेव को उसके शिखर तक पहुंचाया। अंत में सृष्टि पाटीदार के आभार प्रदर्शन के साथ कॉन्क्लेव का औपचारिक समापन हुआ।