पंचायत चुनाव में भी उम्मीदवारों की जानकारी हो सार्वजनिक, सूचना आयुक्त के निर्देश

  
Last Updated:  June 29, 2021 " 05:47 pm"

इंदौर : मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए मध्यप्रदेश के आगामी  पंचायत चुनाव में सभी उम्मीदवारों की सूची और शपथ पत्र वेबसाइट पर पब्लिक के लिए अपलोड करने के निर्देश मप्र राज्य चुनाव आयोग को दिए हैं। सिंह ने कहा है कि यह लोगों का संवैधानिक अधिकार है, इसके लिए आरटीआई लगाने की भी जरूरत नहीं है।

राहुल सिंह ने वर्तमान पंचायत प्रतिनिधियों के शपथ पत्र RTI दायर होने के 30 दिन के भीतर उपलब्ध कराने के निर्देश भी जारी किए हैं। इसके अलवा आगामी पंचायत चुनाव के बाद चुने हुए पंचायत प्रतिनिधियों की सभी जानकारी अब प्रत्येक जिले की वेबसाइट पर एक क्लिक पर उपलब्ध कराने के निर्देश भी दिए गए हैं।

पंचायत प्रतिनिधियों की भी जानकारी की जानकारी हो सार्वजनिक।

राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने पंचायत चुनाव के समय सभी उम्मीदवारों की जानकारी जनता को उपलब्ध कराने के अपने निर्णय को संविधान के अनुच्छेद 19 (1) के तहत जनता का संवैधानिक अधिकार माना है। सिंह ने अपने आदेश में कोरोना संक्रमण के बदलते स्वरूप के चलते पंचायत चुनाव के दौरान रिटर्निंग ऑफिसर के दफ्तर में  सूचना के लिए भीड़ कम से कम लगे और जानकारी स्वतः पब्लिक प्लेटफॉर्म पर लोगों को उपलब्ध होने को भी आधार बनाया है।

ये है पंचायत चुनाव में उम्मीदवारों की जानकारी की वर्तमान व्यवस्था…

मध्य प्रदेश चुनाव आयोग द्वारा अपने खुद के राजपत्र में हर पंचायत चुनाव में निर्देश जारी किए जाते हैं कि उम्मीदवारों की जानकारी जैसे शपथ पत्र क्रिमिनल रिकॉर्ड, शैक्षणिक योग्यता, संपत्ति की जानकारी  जनता के अवलोकन के लिए चुनाव आयोग की वेबसाइट और जिले के वेब पेज पर प्रदर्शित की जाए। इसके अलावा इस जानकारी को जिले के रिटर्निंग ऑफिसर के कार्यालय में प्रदर्शित करने का भी नियम है पर स्वयं चुनाव आयोग इस नियम का पालन नहीं करता है और ना ही जिले के वेबपेज पर भी यह जानकारी उपलब्ध है।

मध्य प्रदेश चुनाव आयोग के नियम में प्रति पेज 2 के हिसाब से उम्मीदवारों की शपथ पत्र की कॉपी जनता को उपलब्ध कराने का नियम भी है, पर रिटर्निंग ऑफिसर जानकारी सीलबंद लिफाफे में होने का बहाना करके आरटीआई आवेदन को टरका देते हैं। 

क्या है अन्य राज्यों में व्यवस्था।

उड़ीसा राज्य में पंचायत उम्मीदवारों की सारी जानकारियां वहां के जिले के वेब पेज पर उपलब्ध है। बिहार और झारखंड राज्य के कुछ जिलों में यह जानकारियां वेब पेज पर उपलब्ध है। कर्नाटक राज्य में भी नगरीय निकाय से संबंधित उम्मीदवारों की जानकारी शपथ पत्र आदि उपलब्ध है। राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह का कहना है कि जब अन्य राज्य इस जानकारी को उपलब्ध करा सकते हैं तो मध्यप्रदेश क्यों नही। कोरोना के चलते यह और भी जरूरी हो गया है की जानकारियां लोगों को स्वतः वेबसाइट पर उपलब्ध हो। उसके लिए जनता को सरकारी दफ्तर के चक्कर नहीं काटना पड़े।

पंचायत चुनाव में भी हो पारदर्शिता।

राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह का मानना है कि पंचायत चुनाव में रिटर्निंग ऑफिसर के दफ्तर पर जानकारी प्रदर्शित होने से बहुत कम लोगों को इसकी जानकारी मिल पाती है। वेबसाइट पर आने पर अब सभी लोग इसका अवलोकन कर सकते हैं। जैसी कसावट और पारदर्शिता लोकसभा और विधानसभा चुनाव में होती है वैसे ही पंचायत चुनाव में भी होनी चाहिए। सिंह का कहना है कि गांव के वोटर्स को भी यह जानने का हक है कि उनके जनप्रतिनिधियों ने चुनाव दर चुनाव कितनी संपत्ति अर्जित की है या उनके खिलाफ़ कौन से अपराधिक मामले दर्ज हुए हैं।

राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह  ने आदेश जारी करते हुए सामान्य प्रशासन विभाग को कहा है कि सूचना आयोग के इस आदेश की प्रति जिले के समस्त कलेक्टरों को उपलब्ध कराकर पालन सुनिश्चित करवाए। इस आदेश में सिंह ने सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 4 के तहत स्वतः  पब्लिक प्लेटफॉर्म पर जारी करने के निर्देश दिए हैं ताकि इसके लिए आरटीआई भी ना लगाना पड़े। 

क्या थी अपील और शिकायत?

राज्य सूचना आयोग ने यह निर्णय एक शिकायत और अपील के प्रकरणों का निराकरण एक साथ करते हुए दिया है।

मामले में शिकायतकर्ता आरटीआई एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी ने जब आरटीआई लगाकर के रीवा जिले में वर्तमान के पंचायत प्रतिनिधि के शपथ पत्र की जानकारी मांगी तो तहसीलदार ने यह कहते हुए मना कर दिया कि जानकारी मध्य प्रदेश चुनाव आयोग के निर्णय के अनुसार सील बंद लिफाफे में रखी है और उसे खोलने का उन्हें कोई अधिकार नहीं है। इस जवाब के बाद मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने इस प्रकरण में धारा 18 के तहत जांच शुरू की। इस प्रकरण में मध्य प्रदेश चुनाव आयोग से नियमो को लेकर जवाब तलब किए गए। मध्य प्रदेश सूचना आयोग ने पाया कि चुनाव आयोग के नियमों में कहीं भी शपथ पत्रों को सीलबंद लिफाफे में रखने का नियम नहीं है, बल्कि मतपत्र को सीलबंद लिफाफे में रखने का नियम है। इस अपील के अलावा शिवानंद द्विवेदी ने एक शिकायत भी राज्य सूचना आयोग के समक्ष रखी जिसमें रीवा संभाग के अलावा अन्य जिलों में वेबसाइट पर जानकारी उपलब्ध नहीं होने के तथ्य को सामने रखा। 

मध्य प्रदेश चुनाव आयोग द्वारा खुद के राजपत्र में पंचायत चुनाव के उम्मीदवारों की लिस्ट को अपनी वेबसाइट और जिले की वेबसाइट पर डालने की व्यवस्था है, पर इसके बावजूद दोनों जगह से यह जानकारी गायब है। सूचना आयुक्त सिंह ने इस बात पर भी सवाल उठाया है कि जब कई राज्यों के जिले की वेबसाइट पर जब चुने हुए पंचायत प्रतिनिधियों की जानकारी उपलब्ध है तो मध्यप्रदेश में क्यों नहीं। सिंह का कहना है की जिस तरह से लोक सभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में जनता के चुने हुए जनप्रतिनिधि पूरा कच्चा चिट्ठा जनता के सामने होता है, उसी तरह पंचायत चुनाव के जनप्रतिनिधियों की भी जानकारी जनता के पास होनी चाहिए, ताकि चुनाव के समय जनता बेहतर निर्णय ले सके। 

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