इंदौर: मनुष्य जन्म हमारे पिछले जन्म के पुण्य कर्मों की लाटरी से मिला है। मनुष्य जन्म इसलिए श्रेष्ठ नहीं है कि हमें धर्म की पात्रता है। बल्कि इसलिए है कि हम पाप का त्याग कर सकते हैं। ये विचार आचार्य रत्नसुन्दर सूरीश्वर महाराज ने व्यक्त किये। वे रेसकोर्स रोड स्थित मोहता भवन में चल रहे चातुर्मासिक अनुष्ठान में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि ईश्वर आपसे आशीर्वाद मांगने को कहे तो उससे धर्म करने का नहीं पाप का त्याग करने की क्षमता देने को कहें। धर्म की प्रवृत्ति हमें स्वर्ग ले जा सकती है पर पाप से निवृत्ति मोक्ष दिला सकती है। आयोजन समिति के कल्पक गांधी और यशवंत जैन ने बताया कि आचार्यश्री के प्रवचन प्रतिदिन सुबह 9 से 10 बजे तक हो रहे हैं। सोमवार 5 अगस्त को आध्यात्मिक क्रिकेट क्विज कांटेस्ट होगा। इसमें 21 टीमें भाग लेंगी।
Facebook Comments