इंदौर : हमारी जिंदगी एक बुझे हुए दीपक के समान थी।हमारे जीवन में अंधेरा था लेकिन जब से प्रभु की लगन लगी, जबसे प्रभु रूपी प्रकाश हमारे जीवन में आया, मोह माया रूपी अंधकार छट गया।
श्री पद्मावती वेंकटेश देवस्थान विद्या पैलेस कॉलोनी में चल रहे पांच दिवसीय प्रवचन माला के तहत बुधवार को उपरोक्त विचार स्वामी श्री केशवाचार्य महाराज ने भक्तों के समक्ष आशीर्वचन के रूप में व्यक्त किए।रात्रि को देर रात तक चले इस आयोजन में स्वामीजी ने गुरु के चरणों की महिमा बताते हुए कहा कपड़े पर जब गुरु के चरण की छाप ली जाती है तो चरण विष्णु के प्रतीक होते हैं एवं वह कपड़ा लक्ष्मी का प्रतीक होता है, इसीलिए हम उसे सर पर लगाकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
स्वामी जी ने तामसी, राजसी एवं सात्विक गुणों की चर्चा करते हुए त्रिपाद भक्ति के बारे में भी भक्तों को समझाया और कहा कि सात्विक गुण सर्वश्रेष्ठ होते हैं। पुरुषोत्तम मास का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा कि इस मास को कभी भूलना नहीं चाहिए क्योंकि श्री नारायण ने स्वयं कहा यह मास मैं स्वयं हूं इसीलिए इस मास का नाम पुरुषोत्तम मास पड़ा है। इसमें किए गए सत्कर्म चार गुना अधिक फलदाई होते हैं गौ सेवा ब्राह्मणों की सेवा गुरु सेवा सभी सभी प्रकार के पुण्य दायक कर्म इस मास में प्रत्येक जन को करना चाहिए ताकि स्वयं के कल्याण के साथ राष्ट्र कल्याण हो।
मंदिर समिति के हरिकिशन साबू, मनोहर सोनी, भगवानदास हेड़ा एवं हरकचंद बियानी ने बताया कि देर रात्रि को स्वामी श्री केशवाचार्य की चरण सेवा की गई जिसमें भक्तों के द्वारा शुद्ध जल, केसर, कुमकुम एवं फूलों द्वारा स्वामी जी के चरण पखारे गए। तत्पश्चात आरती की गई एवं गोष्टी प्रसाद का वितरण हुआ। वहीं गुरुवार शाम को सुंदर नयनाभिराम झूले में प्रभु वेंकटेश श्रीदेवी भूदेवी के साथ विराजे भक्तों ने झूले के भजनों के साथ प्रभु को झूला झुलाया। इस अवसर पर सरला हेड़ा ,सुभद्रा साबू, सोयल साबू, अशोक अग्रवाल ,सत्यनारायण अग्रवाल, नितिन तापड़िया, नारायण मालाणी हरिकिशन साबू उपस्थित थे।