प्रदेश सरकार ने चिकित्सा शिक्षकों की 05 सूत्रीय मांगों का किया निराकरण

  
Last Updated:  February 27, 2025 " 02:01 pm"

सातवे वेतनमान और मूल वेतन निर्धारण की विसंगति दूर करने की थी प्रमुख मांग।

इंदौर : लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा दिनांक 25 फरवरी 2025 को मेडिकल एवं डेंटल कॉलेज के चिकित्सा शिक्षकों को सातवें वेतनमान का वास्तविक लाभ 1 जनवरी 2016 से प्रदान करने और नॉन प्रैक्टिसिंग चिकित्सा शिक्षकों के मूल वेतन का निर्धारण NPA (नॉन प्रैक्टिसिंग अलाउंस) और उस पर देय DA को जोड़कर किये जाने के आदेश जारी कर दिए गए।

चिकित्सा महासंघ ने 5 सूत्रीय मांगों को लेकर 20 फरवरी से प्रदेशव्यापी आंदोलन प्रारंभ किया था । प्रदेश के PHC, CHC, जिला अस्पताल, मेडिकल कॉलेज, ESI अस्पताल और मेडिको लीगल संस्थान के चिकित्सकों व जूनियर डॉक्टर्स द्वारा 20 फरवरी को काली पट्टी लगाकर विरोध प्रदर्शन किया गया और 21 फरवरी को अमानक दवाइयों की होली जलाई गई थी।

इस प्रदेशव्यापी आंदोलन का ही परिणाम रहा कि चिकित्सकों की लंबित मांगो पर चर्चा हेतु 21 फरवरी को राज्य सरकार द्वारा उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया। 21 फरवरी को देर शाम प्रमुख सचिव एवं कमिश्नर लोक स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा द्वारा चिकित्सक महासंघ के पदाधिकारियों के साथ चर्चा की गई और सभी लंबित मांगो के समयबद्ध निराकरण करने पर सहमति बनीं जिसके कारण चिकित्सक महासंघ का आंदोलन स्थगित किया गया।

बता दें कि राज्य सरकार द्वारा अक्टूबर 2019 में मेडिकल एवं डेंटल कॉलेज के चिकित्सा शिक्षकों को सातवें वेतनमान का वास्तविक लाभ 1 अप्रैल 2018 से प्रदान किया गया था, नॉन प्रैक्टिसिंग चिकित्सा शिक्षकों का मूल वेतन का निर्धारण NPA (नॉन प्रैक्टिसिंग अलाउंस) और उस पर देय महंगाई भत्ता जोड़कर न किये जाने से वेतन निर्धारण विसंगति निर्मित हो गई थी।

मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन द्वारा लगातार 7 वें वेतनमान की विसंगतियों का निराकरण करने की शासन स्तर एवं संचालनालय स्तर पर मांग की जाती रही है।
वर्ष 2023 में चिकित्सक महासंघ ने प्रदेशव्यापी आंदोलन प्रारंभ कर प्रदेश की समस्त स्वास्थ्य सेवाओँ को बंद कर दिया था जिसके उपरांत चिकित्सकों की मांगों के समयबद्ध निराकरण हेतु उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था।

तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 28 अगस्त 2023 को गांधी चिकित्सा महाविद्यालय, भोपाल में आयोजित चिकित्सक महापंचायत में चिकित्सा शिक्षकों के सातवें वेतनमान और मूल वेतन निर्धारण की विसंगति का निराकरण करने की घोषणा की थी। इसी क्रम में 4 अक्टूबर 2023 को तत्कालीन सरकार की आखरी कैबिनेट में
मेडिकल एवं डेंटल कॉलेज के चिकित्सा शिक्षकों को सातवें वेतनमान का वास्तविक लाभ 1 जनवरी 2016 से प्रदान करने और नॉन प्रैक्टिसिंग चिकित्सा शिक्षकों के मूल वेतन का निर्धारण NPA (नॉन प्रैक्टिसिंग अलाउंस) और उस पर देय DA को जोड़कर किये जाने के निर्णय लिया गया था।

चिकित्सक महासंघ और मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन 4 अक्टूबर 2023 के कैबिनेट के निर्णय को लागू करने के आदेश को जारी की लगातार मांग कर रही थी । मध्यप्रदेश की कैबिनेट के पारित निर्णय को 16 माह के उपरांत भी लागू नही करने के विरोध में चिकित्सक महासंघ के चिकित्सकों द्वारा प्रदेशव्यापी आंदोलन किया गया ।

इस आदेश के जारी होने से मेडिकल और डेंटल कॉलेज के चिकित्सा शिक्षकों को प्रदेश के 5.5 लाख शासकीय कर्मचारियों के समान ही सातवें वेतनमान का वास्तविक लाभ 1 जनवरी 2016 से मिला सकेगा।

मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन एमजीएम के सचिव डॉ. अशोक ठाकुर ने बताया कि चिकित्सक महासंघ के चिकित्सकों की एकता और संगठन की ताकत का परिणाम है कि 7 वें वेतनमान की विसंगतियों का निराकरण हो सका है।

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