गोविंदा गोविंदा के जयघोष के साथ हजारो हाथो ने खीचा प्रभु वेंकटेश का रजत रथ।
नासिक से आये 80 लोगों के बेंड ने दी विशेष प्रस्तुति।
इंदौर पावनसिद्ध धाम श्री लक्ष्मी – वेंकटेश देवस्थान छत्रीबाग से शुक्रवार को देश की तीसरी सबसे बड़ी पारंपरिक रथयात्रा ‘गोविंदा गोविंदा’ की जयजयकार के साथ निकली। बारिश में भी भक्तो का जनसैलाब प्रभु के दिव्य दर्शन करने उमड़ पड़ा। हर भक्त की निगाह ठाकुरजी की एक झलक पाने को आतुर थी।
भगवान वेंकटेश अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए पूरे लाव लश्कर के साथ रजत रथ में विराजमान होकर नगर भ्रमण पर निकलें।
श्री नागोरिया पीठाधिपति स्वामी श्री विष्णुप्रपन्नाचार्य महाराज यात्रा में पैदल भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते चल रहे थे।उनके साथ मांगीलाल जी,नारायण पवन व्यास, रमेश चितलांगया, वेंकटेश मंदिर ट्रस्ट कमेटी के रविन्द्र धुत एवंब्रम्होत्सव रथयात्रा महोत्सव समिति के पवन लड्डा महेंद्रनीमा,पुखराज सोनी, बालकिशन सिंगी, नितिन खटोड़, मनोज कुइया, पंकज तोतला ने रथ का पूजन किया।
इसके बाद वेंकटरमणा गोविन्दा के उदघोष के साथ रथयात्रा शुरू हुई।
रथयात्रा का पुष्प वर्षा कर किया गया स्वागत।
रथयात्रा जिस भी क्षेत्र में पहुची, वेंकटरमणा गोविन्दा के उदघोष के साथ पुष्पो की वर्षा शुरू हो गई। रथयात्रा का स्वागत करने के साथ श्रद्धालु यात्रा से जुड़ने लगे ओर कारवाँ बढ़ता चला गया। इस व्यापक जन समूह के बीच यात्रा की व्यवस्था की कमान अशोक डागा,कैलाश मुंगड, पंकज तोतला, पवन व्यास,भरत तोतला, अंकित सोनी, सर्वेश गट्टानी, आशीष लड्डा ऋषि शर्मा,अपेक्षित पंचारिया परीक्षित जाजू,सचिन जोशी,रंगेश तिवारी, विपिन जोशी और रोहित काकाणी ने संभाल रखी थी। रथयात्रा छत्रीबाग से प्रारंभ होकर नरसिंह बाज़ार , सीतलामाता बाज़ार , गोरकुण्ड चौराहा , शक्कर बाज़ार , बड़ा सराफा , पीपली बाज़ार, बर्तन बाजार, बजाजखाना , साठा बाजार से होते हुए पुनः मदिर पहुंची। मार्ग में करीब 200 स्थानों पर मंचो से रथयात्रा का पुष्पों से भव्य स्वागत किया गया जगह – जगह परिवारों और व्यापारियों द्वारा प्रसाद की व्यवस्था भी की गई थी। व्यापारियों ने बाजारों में रथयात्रा का स्वागत किया।यात्रा मार्ग को स्वागत द्वार,ध्वज, पताकाएं और विधुत रोशनाई से सजाया गया था।
इस यात्रा में 200 कार्यकर्ता रथयात्रा की जानकारी सोशल मीडिया पर अपडेट कर व्यवस्था को संभाल रहे थे
प्रेरक संदेशों के साथ निकली झांकियां।
रथयात्रा में गौ माता की रक्षा करने और हर दिन के चूल्हे की पहली रोटी गाय तक पहुंचाने की अपील को मार्मिकता के साथ उठाया गया। इंदौर शहर को लगातार पांच बार मिला स्वच्छ्ता में नंबर वन का पुरस्कार बरकरार रखने की अपील भी झांकियों के माध्यम से की गई। पर्यावरण की रक्षा करते हुए हुए नागरिकों को इंदौर को ग्रीन बनाने के लिए प्रोत्साहित करने का भी संदेश दिया गया।
रामानुज सम्प्रदाय की दिखी झलक।
रथयात्रा में झांकी के माध्यम से हैदराबाद के स्टेचू ऑफ युनिटी का सुंदर दृश्य भी दर्शाया गया।रथ में कमल पर विराजित रामानुज स्वामी चारों ओर घूमते हुए दर्शन दे रहे थे। रामानुज स्वामी द्वारा किए गए कार्यों की बानगी भी झांकी के माध्यम से पेश की गई।
यात्रा का किया गया लाइव प्रसारण।
यात्रा में दो बड़ी एलइडी लगाई गई थी। इनके जरिए रथयात्रा का लाइव प्रसारण किया जा रहा था। रामानुज संप्रदाय , नागोरिया मठ व् उसके देशभर के स्थानों की जानकारी भी एलईडी स्क्रीन पर दिखाई जा रही थी, वहीं यू ट्यूब के जरिए रथयात्रा का लाइव प्रसारण देश और दुनिया में किया गया।
बैंड और भजनों ने रचा भक्ति का माहौल।
रथयात्रा में सबसे आगे राजकमल बैंड सुमधुर धुनों और भजनों से भक्ति की धारा प्रवाहित कर रहा था। 21 घोड़ो पर धार्मिक पताका लिए कमांडो की विशेष पोशाख में संवार थे।देश भर से पधारे 21 संत भी बग्गियों में विराजमान होकर भक्तो को दर्शन दे रहे थे।
चांदी के ठाकुरजी की सवारी के वाहन के रूप में गरुड़ वाहन , हनुमान वाहन, अश्व वाहन, गज वाहन, मंगलगिरी वाहनों पर ठाकुरजी के चित्र विराजित थे।
देवास से पधारे द्वारका दास मंत्री की भजन मंडली भक्तों के बीच भजनों की रस गंगा प्रवाहित कर रही थी।महिलाएं और युवतियां रथयात्रा में नृत्य करते चल रहीं थीं। हरिकिशन साबू भोपूजी द्वारा भी भजनों की सुरीली बारिश की जा रही थी।
ढोल – ताशा पथक ने बांधा समां।
रथ के आगे मुम्बई से आये 80 लड़के व लड़कियों के ढोल – पथक की प्रस्तुति देखने लायक थी, जो सभी का मन मोह रही थी।
रथ के आगे प्रभु वैंकटेश की पदरावानी के लिए गुलाब जल से भरे टेंकर से मार्ग को साफ किया जा रहा था। केशरिया रंग की एक जैसी साड़ियों में अनेक महिलाओं द्वारा यात्रा मार्ग को झाड़ू लगाकर साफ किया जा रहा था। सजे धजे रजत रथ में प्रभु वेंकटेश श्रीदेवी भूदेवी के साथ भक्तों को को दर्शन दे रहे थे।हजारों लोग प्रभु के दिव्य पुष्पों से सजे रजत रथ को अपने हाथों से खींच रहे थे। कोरोना के कारण दो साल बाद निकली इस रथयात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में अभूतपूर्व उत्साह देखा गया।