प्रशिक्षण कार्यक्रम के जरिए आपदा प्रबंधन के आयामों पर डाला जा रहा प्रकाश

  
Last Updated:  May 30, 2023 " 08:21 pm"

आपदा प्रबंधन पर दिया जा रहा पांच दिवसीय प्रशिक्षण

एसजीएसआईटीएस व डीएमआई का संयुक्त आयोजन।

इंदौर : गोविंदराम सेक्सेरिया तकनीकि और विज्ञान संस्थान एवम मध्य प्रदेश शासन डिसास्टर मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट होम डिपार्टमेंट द्वारा अर्थक्वैक रेसिस्टेंस कांस्ट्रक्शंन पर एक ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित किया गया है। आयोजन में मध्यप्रदेश शासन के विभिन्न विभागों के इंजीनियर भाग ले रहे हैं।

प्रशिक्षण कार्यक्रम के आरंभ में एसजीएसआईटीएस सिविल विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. वंदना तारे ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए अर्थक्वैक रेसिस्टेंस कांस्ट्रक्शंन विषय पर प्रकाश डाला।डिसास्टर मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट के जॉइंट डायरेक्टर डॉ. जार्ज वी. जोसेफ ने वर्तमान परिदृश्य में किस तरह के कार्य इस क्षेत्रों में जारी हैं, की जानकारी ली और परिचय के साथ तकनीकि सुझाव पर चर्चा की। इस दौरान भूकंप रोधी स्ट्रॅक्चर पर गंभीरता से चर्चा कर इस दिशा में किए जा रहे कार्यो सहित बीते कुछ समय में हुई घटनाओ को लेकर भी चिंतन-मनन किया गया।

ट्रेनिंग प्रोग्राम के पहले सेशन में डीमआई जॉइंट डाईरेक्टर डॉ. जार्ज वी.जोसेफ द्वारा पर्यावरण के डिसास्टर पर पड़ने वाले असर को लेकर विस्तार से जानकारी दी गई। डिसास्टर के प्राकृतिक प्रकारों सहित मानव द्वारा किए जाने वाले उन कार्यो जिनसे डिसास्टर की संभावना में बढ़ोतरी होती हैं, पर प्रकाश डाला गया। उन्होंने कहा की इंदौर में या कहीं भी जब कोई आपदा होती हैं तो हमें आवश्यकता से अधिक स्रोतों की जरूरत पड़ती हैं। सभी को साथ में मिलकर आपदाओं के दौरान कार्य करना होता हैं। आपदा प्रबंधन के बारे समझने-सीखने के लिए पहले हमें आपदा के खतरे को समझने की जरूरत हैं, जिसके लिए हमें तीन तरीके उपयोग करना चाहिए। पहला बीते 100 वर्षो का आकलन करना, दूसरा प्रत्येक वर्ष के मौसम को लेकर आकलन और तीसरा क्षेत्रवार होने वाली आपदाओं की जानकारी द्वारा आकलन। इस प्रक्रिया को हैजार्ड मैपिंग कहा जाता हैं।डॉ.जोसेफ ने बताया कि आपदा प्रबंधन निरंतर प्रक्रिया है। इसे लेकर हमेशा तैयार होना होता हैं। यही कार्य हमें हमेशा जारी रखना होता हैं तभी हम आने वाली आपदाओं से बेहतर तरीके से निपट सकेंगे।

डॉ. जार्ज जोसेफ ने दूसरे सेशन में आपदा प्रबंधन के दौरान बचाव कार्य को लेकर चर्चा की। साथ ही भूकंप, आगजनी, बाढ़ व अन्य आपदाओं के दौरान स्वयं का ध्यान रखने और बचकर निकलने को लेकर छोटी-छोटी लेकिन अति आवश्यक तथ्यों की जानकारी दी। साथ ही इस दौरान किए जाने वाले व्यवहार को बार-बार प्रैक्टिस करने वाली मॉकड्रिल को लेकर जागरूक किया।

एसजीएसआईटीएस संस्थान के ड़ायरेक्टर प्रो. आर सक्सेना ने कहा कि आज के समय में प्राकृतिक आपदाओ को लेकर जितनी ज्यादा जगरूकता होगी आपदाओ के दौरान उनसे निपटने में सहायता मिलेगी। इस प्रोग्राम के माध्यम से हमारे संस्थान के छात्र इस विषय पर तकनीकि सहित सामान्य तैयारियों और बचाव कार्यो को लेकर परिपक्व बनेंगे। हमारा संस्थान हमेशा से आपदा प्रबंधन के अर्थक्वैक रेसिस्टेंस कांस्ट्रक्शंन टेक्निक्स के कार्यो में अग्रणी रहा हैं।

कार्यक्रम के नोडल को-ओर्डिनेटर एक्जीक्यूटिव इंजीनियर सूर्य नारायण सोनी द्वारा इस तरह के कार्यक्रम को लेकर उत्साह दर्शाया गया, साथ ही इतने संवेदनशील विषय पर सभी इंजीनियरो को एक साथ जोड़ने पर आयोजकों को प्रोत्साहित किया गया।

ट्रेनिंग प्रोग्राम के समन्वयक एसजीएसआईटीएस के असिस्टेंस प्रोफेसर विवेक तिवारी ने कहा कि आपदा प्रबंधन का विषय काफी संवेदनशील हैं, साथ ही आपदा प्रबंधन को लेकर लगातार अपडेट होना आज के समय की मांग हैं।

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