कैंसर के इलाज में जुड़े हैं अब कई आयाम ।
अवर लाइव इंडिया. कॉम से चर्चा में बोले कैंसर विशेषज्ञ डॉ. मनीष वर्मा।
इंदौर: कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिससे देश और दुनिया में लाखों लोग ग्रसित होते हैं। कैंसर का नाम सुनते ही सिहरन सी दौड़ जाती है। एक स्टडी के मुताबिक दुनिया में करीब दो करोड़ लोग कैंसर से ग्रस्त हैं। इनमें प्रतिवर्ष 90 लाख नए मरीज जुड़ जाते हैं। लगभग 40 लाख लोगों की मौत हर साल कैंसर क्यू कारण हो जाती है। भारत में भी प्रतिवर्ष एक लाख कैंसर के नए मरीज सामने आते हैं। आखिर क्या है ये बीमारी, क्या इसके लक्षण होते हैं, किन कारणों से कैंसर होता है, क्या होता है इसका उपचार, कैंसर से कैसे बचाव किया जा सकता है..? विश्व कैंसर दिवस के अवसर पर ourliveindia.com ने एमजीएम मेडिकल कॉलेज से संबद्ध कैंसर अस्पताल के कैंसर विशेषज्ञ डॉ. मनीष वर्मा से चर्चा की। डॉ. वर्मा जाने माने रेडिएशन ऑनकोलॉजिस्ट होने के साथ हजारों कैंसर के मरीजों का सफलता पूर्वक इलाज कर चुके हैं। डॉ. वर्मा के अनुसार कैंसर के इलाज में अब खासी प्रगति हुई है। पहले और दूसरे स्टेज में पता चलने पर कैंसर के मरीज को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है।
कैसे होता है कैंसर :-
डॉ. मनीष वर्मा ने बताया कि कैंसर तब होता है, जब शरीर में कोशिकाएं (Cells) असामान्य रूप से बढ़ने और विभाजित होने लगती हैं। हमारा शरीर खरबों कोशिकाओं से बना है। स्वस्थ कोशिकाएं शरीर की आवश्यकताओं के अनुसार बढ़ती और विभाजित होती हैं। कोशिकाओं की उम्र जैसे-जैसे बढ़ती या क्षतिग्रस्त होती है, ये कोशिकाएं मर भी जाती हैं। इनकी जगह नई कोशिकाओं का निर्माण होता है। जब किसी को कैंसर होता है, तो कोशिकाएं इस तरह से अपना काम करना बंद कर देती हैं। पुरानी और क्षतिग्रस्त कोशिकाएं मरने की बजाय जीवित रह जाती हैं और जरूरत नहीं होने के बावजूद भी नई कोशिकाओं का निर्माण होने लगता है। ये अतिरिक्त कोशिकाएं ही अनियंत्रित रूप से विभाजित होती हैं, जिससे Tumour) होता है। अधिकतर कैंसर ट्यूमर्स के होते हैं, लेकिन ब्लड कैंसर (Blood cancer) में ट्यूमर नहीं होता है। ये भी सच है कि हर ट्यूमर कैंसर नहीं होता है। कैंसर शरीर के किसी भी हिस्से में विकसित हो सकता है। आमतौर यह आस-पास के ऊतकों (Tissues) में फैलता है। असामान्य और क्षतिग्रस्त कैंसर कोशिकाएं शरीर के दूसरे भागों में पहुंचकर नए घातक व मैलिग्नेंट ट्यूमर बनाने लगती हैं।
ये हैं कैंसर के लक्षण :-
शरीर में किसी भी अंग में घाव या नासूर, जो ठीक न हो।
लम्बे समय से शरीर के किसी भी अंग में दर्दरहित गॉंठ या सूजन।
स्तनों में गॉंठ या रिसाव होना, मल, मूत्र, उल्टी और थूंक में खून आना।
आवाज में बदलाव, निगलने में दिक्कत, मल-मूत्र की सामान्य आदत में परिवर्तन, लम्बे समय तक लगातार खॉंसी।
पहले से बनी गॉंठ, मस्सों व तिल का अचानक तेजी से बढना और रंग में परिवर्तन या पुरानी गॉंठ के आस-पास नयी गांठो का उभरना।
बिना कारण वजन घटना, कमजोरी आना या खून की कमी।
महिलाओं में स्तन में गॉंठ, योनी से अस्वाभाविक खून बहना, दो माहवारियों के बीच व यौन सम्बन्धों के तुरन्त बाद तथा 40-45 वर्ष की उर्म में महावारी बन्द हो जाने के बाद खून बहना।
इन कारणों से हो सकता है कैंसर :-
डॉ. मनीष वर्मा ने बताया कि कैंसर के निम्नलिखित संभावित कारण हो सकते हैं। कैंसर के कई प्रकार होते हैं। यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है।
धूम्रपान-सिगरेट या बीडी, के सेवन से मुंह, गले, फेंफडे, पेट और मूत्राशय का कैंसर होता है।
तम्बाकू, पान, सुपारी, पान मसालों, एवं गुटखे के सेवन से मुंह, जीभ, खाने की नली, पेट, गले,गुर्दे और अग्नाशय (पेनक्रियाज) का कैंसर होता है।
शराब के सेवन से श्वांस नली, भोजन नली, और तालु में कैंसर होता है।
धीमी आचॅं व धूंए मे पका भोजन (स्मोक्ड), अधिक नमक लगा कर संरक्षित भोजन, तला भोजन और कम प्राकृतिक रेशों वाला भोजन(रिफाइन्ड) सेवन करने से बडी आंतो का कैंसर होता है।
कुछ रसायन और दवाइयों से पेट, यकृत(लीवर) व मूत्राशय का कैंसर भी होता है।
लगातार और बार-बार घाव पैदा करने वाली परिस्थितियों से त्वचा, जीभ, होंठ, गुर्दे, पित्ताशय, मुत्राशय का कैंसर होता है।
कम उम्र में यौन सम्बन्ध और अनेक पुरूषों से यौन सम्बन्ध बनाए जाने पर बच्चेदानी के मुंह का कैंसर होता है।
आम तौर पर पाये जाने वाले कैंसर :-
पुरूषः- मूंह, गला, फेंफडे, भोजन नली, पेट और पुरूष ग्रन्थी (प्रोस्टेट)
महिलाः- बच्चेदानी का मुंह, स्तन, मुंह, गला, ओवरी का कैंसर।
कैंसर से बचाव के उपाय :-
डॉ. मनीष वर्मा के मुताबिक निम्न उपाय अपनाने पर कैंसर की चपेट में आने से बचा जा सकता है।
धूम्रपान, तंबाकू, सुपारी, चना, पान, मसाला, गुटका, शराब आदि का सेवन न करें।
विटामिन युक्त और रेशे वाla ( हरी सब्जी, फल, अनाज, दालें) पौष्टिक भोजन करें।
कीटनाशक एवं खाद्य संरक्षण रसायनो से युक्त भोजन धोकर सेवन करें।
अधिक तलें, भुने, बार-बार गर्म किए तेल में बने और अधिक नमक में सरंक्षित भोजन न करें।
अपना वजन सामान्य रखें।
नियमित व्यायाम करें नियमित जीवन बितायें।
साफ-सुथरे, प्रदूषण रहित वातावरण में विचरण करें।
प्रारम्भिक अवस्था में कैंसर के निदान के लिए निम्नलिखित बातों का विशेष ध्यान रखें :-
मूंह में सफेद दाग या बार-बार होने वाला घाव।
शरीर में किसी भी अंग या हिस्से में गांठ होने पर तुरन्त जांच करवाएं।
महिलाएं माहवारी के बाद हर महीने स्तनों की जॉंच स्वयं करें।
दो माहवारी के बीच या माहवारी बन्द होने के बाद रक्त स्त्राव होना खतरे की निशानी है पैप टेस्ट करवाएं।
शरीर में या स्वास्थ्य में किसी भी असामान्य परिवर्तन को अधिक समय तक न पनपने दें।
नियमित रूप से जॉंच कराते रहें और अपने चिकित्सक से तुरन्त सम्पर्क करें।
ये है कैंसर की स्टेज –
डॉ. वर्मा ने बताया कि कैंसर के पांच चरण (stage) होते हैं।
(Stage 0) : यह दर्शाता है कि आपको कैंसर नहीं है। हालांकि, शरीर में कुछ असामान्य कोशिकाएं मौजूद होती है, जो कैंसर में विकसित हो सकती हैं।
पहला चरण (Stage I) : इस स्टेज में ट्यूमर छोटा होता है और कैंसर कोशिकाएं केवल एक क्षेत्र में फैलती हैं।
दूसरा और तीसरा चरण (Stage II and III) : दूसरे और तीसरे स्टेज में ट्यूमर का आकार बड़ा हो जाता है। कैंसर कोशिकाएं पास स्थित अंगों और लिम्फ नोड्स में भी फैलने लगती हैं।
चौथा चरण ((Stage IV) : यह कैंसर की आखिरी और बेहद खतरनाक स्टेज होती है, जिसे मेटास्टेटिक कैंसर भी कहते हैं। इस स्टेज में कैंसर शरीर के दूसरे अंगों में फैलना शुरू कर देता है।
ये किए जाते हैं परीक्षण :-
शारीरिक लक्षणों और संकेतों को देखते हुए डॉक्टर कैंसर का पता लगाने की कोशिश करते हैं।मरीज की मेडिकल हिस्ट्री को देखने के बाद शारीरिक परीक्षण किए जाते हैं। मूत्र (Urine), रक्त (Blood) या मल (Stool) का सैंपल लिया जाता है। कैंसर की आशंका होने पर एक्स-रे, कंप्यूटेड टोमोग्रैफी (computed tomography), एमआरआई, अल्ट्रासाउंड और फाइबर-ऑप्टिक एंडोस्कोपी परीक्षणों से मरीज को गुजरना पड़ सकता है। इन सभी टूल्स के जरिए डॉक्टर आसानी से ट्यूमर के स्थान और आकार के बारे में जान पाते हैं। किसी को कैंसर है या नहीं इसका पता बायोप्सी (Biopsy) के जरिए आसानी से चल जाता है। बायोप्सी में जांच के लिए ऊतक के नमूने (tissue sample) लिए जाते हैं। यदि बायोप्सी के परिणाम सकारात्मक आते हैं।तो कैंसर के प्रसार का पता लगाने के लिए आगे कई अन्य टेस्ट भी किए जाते हैं।
इसतरह होता है इलाज :-
डॉ. मनीष वर्मा ने बताया कि कैंसर के प्रकार, स्थान या अवस्था के आधार पर इलाज का तरीका (Cancer treatment) तय किया जाता है। कैंसर के उपचार में मुख्य रूप से सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन, हार्मोन थेरेपी, इम्यूनोथेरेपी और स्टेम सेल ट्रांसप्लांट्स शामिल हैं।
सर्जरी (Surgery) :-
डॉक्टर सर्जरी के जरिए कैंसर के ट्यूमर, ऊतकों, लिम्फ नोड्स या किसी अन्य कैंसर प्रभावित क्षेत्र को हटाने की कोशिश करते हैं। यदि कैंसर शरीर के दूसरे अंगों में नहीं फैला है, तो सर्जरी इलाज का सबसे अच्छा विकल्प है।
कीमोथेरेपी (Chemotherapy) :-
कीमोथेरेपी को कई चरणों में किया जाता है। इस प्रक्रिया में ड्रग्स के जरिए कैंसर कोशिकाओं को खत्म किया जाता है।हालांकि, उपचार का यह तरीका काफी कष्टदायक होता है। इसके कई साइड एफेक्ट्स भी नजर आते हैं, जिसमें बालों का झड़ना मुख्य रूप से शामिल है। दवाओं को खाने के साथ ही नसो में इंजेक्शन के जरिए भी पहुंचाया जाता है।
रेडिएशन थेरेपी (Radiation therapy) :-
रेडिएशन कैंसर कोशिकाओं पर सीधा असर करता है और उन्हें दोबारा बढ़ने से रोकता है। इस प्रक्रिया में, उच्च ऊर्जा कणों (high-energy particles) या तरंगों (Waves) का उपयोग करके कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने की कोशिश की जाती है। कुछ लोगों को इलाज में सिर्फ रेडिएशन थेरेपी तो किसी-किसी को रेडिएशन थेरेपी के साथ सर्जरी और कीमोथेरेपी भी दी जाती है।
इम्यूनोथेरेपी (Immunotherapy) :-
इम्यूनोथेरेपी मरीज की प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर कोशिकाओं से लड़ने में सक्षम बनाती है।
हार्मोन थेरेपी :-
इस थेरेपी का उपयोग ऐसे कैंसर के उपचार के लिए किया जाता है, जो हार्मोन से प्रभावित होते हैं। हार्मोन थेरेपी से स्तन और प्रोस्टेट कैंसर में काफी हद तक फायदा होता है।