इंदौर : हमारे परिवार पहले संयुक्त थे। घर में दादा,दादी, ताऊ, ताई, चाचा- चाची और परिवार के बच्चे एकसाथ रहते थे। लेकिन अब एकल परिवारों में शाम को जब पति- पत्नी दफ्तर से घर लौटते हैं तो उनके पास इतना समय नहीं बचता और न ही ऊर्जा की वे बच्चों के साथ समय बिताने की बजाय टीवी, मोबाइल या नेट पर ज्यादा होते हैं। बच्चे भी धीरे- धीरे अपनी दुनिया टीवी, मोबाइल को ही समझने लगते हैं। यहीं से उनका नैतिक पतन शुरू हो जाता है। कुछ बच्चे सही राह पकड़ लेते हैं तो कुछ गलत राह पर जाकर बर्बाद हो जाते हैं।
समाज के हर वर्ग में बचपन की यही कहानी है। चाहे वह निम्न वर्ग का हो या मध्यम वर्ग या फिर उच्च वर्ग से हो, कहीं खाने के लाले हैं, कहीं समुचित शिक्षा का अभाव तो कहीं संस्कार नहीं मिल पा रहे हैं। ‘संस्था द डिवाइन चाइल्ड सोसायटी’ ने इस दिशा में पहल की है। उनका प्रयास है कि समाज के हर वर्ग के बच्चे का बचपन लौटे, उनके चेहरे पर मासूमियत की मुस्कान बनी रहे। उनमें संस्कारों का बीज बोकर सही दिशा दिखा सके।
संस्था पदाधिकारी आशुतोष शर्मा ने बताया कि रात्रिकालीन कहानियों के जरिए हम उनका बचपन लौटा सकें। इस अभियान का शुभारंभ 16 फरवरी से होगा। रात्रिकालीन कहानियां प्रतिदिन रात 10 बजे सुनाई जाएंगी। ये
कहानियां सुनने के लिए गूगल प्ले स्टोर में जाकर द डिवाइन चाइल्ड सोसायटी ऐप डाउनलोड करना होगा। संस्था की वेबसाइट www.thedivinechildsociety.in अथवा सोशल मीडिया एकाउंट द डिवाइन स्टोरीज के जरिए यू ट्यूब, ट्वीटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर भी इन कहानियों को सुना जा सकता है।
पत्रकार वार्ता में अध्यक्ष वीरेंद्र शर्मा, सचिव डीजी मिश्र, उमा शशि शर्मा और अन्य पदाधिकारी भी मौजूद थे।
बच्चों को सोशल मीडिया के जरिए कहानियां सुनाएगी संस्था द डिवाइन चाइल्ड सोसायटी
Last Updated: February 15, 2021 " 04:17 am"
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