*गोविन्द मालू*
काँग्रेस अपने आमोद प्रमोद और स्वार्थ के लिए बेहद असंवेदनशील है ,यह आरोप नहीं वास्तविकता है इसके लिए प्रमाण आपके सामने रख रहें हैं।
जावद से 50 किलोमीटर दूर रामपुरा में दशक की सबसे बड़ी बाढ़ आई किसानों ,गरीबों, मजदूरों को तबाह कर दिया ! लेकिन काँग्रेस को इससे कोई सरोकार नहीं उसे तो बर्बादी का भी जश्न मनाना है ।जावद में पूर्व मंत्रीस्व. घनश्याम पाटीदार की मूर्ति के अनावरण कार्यक्रम में पूर्व राजा शहंशाह दिग्विजयसिंग सदारत करने पहुँचे, होर्डिंग्स से सड़कें पाट दी गई,हार फूल से सराबोर कर दिया गया,स्वाभाविक जश्न है तो भोजन भण्डारे का भी राजा के आगमन पर शाही इंतजाम किया,लेकिन भूख से बिलखते लोग,किताब कॉपी को तरसते बच्चे याद नहीं आये इन्हें, आती भी क्यों? आसमानी प्रकोप,प्राकृतिक रूप से था यँहा दरबारी कारण नहीं था इसलिए दरबार को क्यों होती चिंता?
दूसरा दृश्य गरीबो,किसानों के हमदर्द पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह जी पीड़ित कराहती मानवता के जख्मों पर मरहम लगाने,उन्हें ढाढ़स बंधाने और निर्लज्ज सोई सरकार को जगाने वँहा पहुँचेंगे कल आज वे मंदसौर में जन मोर्चा संभाल रहें हैं संवेदना से भरे तामझाम से दूर किसानों के नुकसान का आकलन करने पहुँच गए।
यही अंतर है राजा और सेवक की मानसिकता का ! कांग्रेस चाहती तो जो धन पाटीदार जी की प्रतिमा अनावरण में खर्च किया वह बाढ़ पीड़ितों पर खर्च कर उदाहरण प्रस्तुत करती ,क्योंकि यह समारोह तो कभी भी किया जा सकता था इसका कोई मुहूर्त नहीं था,जो टाला नहीं जा सकता ।
राजा साहब जनता देख भी रही है दो दृश्यों को , महसूस भी कर रही मौन रहकर।जब यह जन तट बंध टूटेगा उस बाढ़ में आप कँहा जाएंगे,तब स्यापा करने वाले भी नहीं होंगे और रुदाली करने वाले भी।रुदालियों के किराए का क्रंदन भी किसी दुकान पर मुहैया नहीं हो पायेगा।
40 कोस दूर जावद से दिग्गीराजा बाढ़ आपदा पीढ़ितों के प्रति सहानुभूति व्यक्त करेंगे। मनासा-रामपुरा वालों माईक-स्पीकर का इंतजाम खुद कर लेना।
आज भूख मनासा-रामपूरा की है, पेट जावद वालों का भरेगा।
सहभोज में सभी आमंत्रित हैं।