इंदौर :(राजेन्द्र कोपरगांवकर ) बास्केटबॉल ट्रस्ट के मुख्य ट्रस्टी भूपेंद्र बंडी को भी कोरोना के क्रूर पंजों ने हमसे छीन लिया। बताया जाता है कि वे चोइथराम अस्पताल में भर्ती थे, वहीं उन्होंने अंतिम सांस ली। शहर में उनके चाहने वाले सैकड़ों हैं पर विधि की विडंबना देखिये की ताउम्र बास्केटबॉल को समर्पित रहे इस कर्मवीर योद्धा को अंतिम विदाई देने के लिए भी कोई जा नहीं पाया।
भूपेंद्र बंडी वो शख्सियत थे जो खुद बास्केटबॉल के राष्ट्रीय खिलाड़ी रहे और बाद में बास्केटबॉल को बढ़ावा देने में आखरी समय तक जुटे रहे। रेसकोर्स रोड स्थित बास्केटबॉल संकुल के निर्माण से लेकर उसकी देखरेख, विस्तार देने, बास्केटबॉल खिलाड़ियों की नई पौध तैयार करने और राष्ट्रीय स्तर की स्पर्धाएं आयोजित करने में भूपेंद्र बंडी जी का अहम योगदान रहा।
भूपेंद्र बंडी जी से परिचय दो दशक से भी पुराना था। उस समय ओटीजी न्यूज़ चैनल का संचालन बास्केटबॉल कॉम्प्लेक्स से ही होता था। ये मप्र का पहला 24 घंटे चलनेवाला न्यूज चैनल था, जिसकी उससमय तूती बोलती थी। मैं भी उस चैनल का छोटासा हिस्सा था। चैनल के संचालक जनक गांधीजी बास्केटबॉल ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी थे। भूपेंद्र बंडी जी उनके साथ अक्सर वार्तालाप करते दिखाई दे जाते थे। वहीं उनसे परिचय हुआ। कालांतर में बास्केटबॉल कॉम्प्लेक्स में जाना कम हो गया पर बंडी जी से संपर्क बना रहा। न वे भूले न मैं। भोपाल, हैदराबाद, दिल्ली आदि स्थानों पर नौकरी के सिलसिले में जाना हुआ तो संपर्क भी टूट गया। वापस शहर लौटने के बाद एक बार रेसकोर्स रोड से गुजरते समय सहज ही कदम बास्केटबॉल कॉम्प्लेक्स की ओर मुड़ गए। पता किया तो बंडी साहब वहां बैठे मिल गए। मुझे देखकर वे खुश हो गए, बोले राजेन्द्र, लंबे समय बाद दिखाई दिए हो, कहां हो आजकल..? बस फिर क्या था बातों- बातों में बीते समय के पिटारे से यादों का गुलदस्ता जैसे बाहर आ गया। काफी देर तक बातचीत होती रही। बास्केटबॉल कॉम्प्लेक्स में गतिविधियों के विस्तार के बारे में भी उन्होंने बताया। एक और इनडोर बास्केटबॉल स्टेडियम का निर्माण कार्य तब चल रहा था।(पहले वहां स्वीमिंग पूल हुआ करता था )बाद में चाय पिलाकर वे आत्मीयता से बोले, आते रहना, मैंने भी हां जरूर कहकर उनसे विदा ली।
बाद में पिछले साल उसी नए इनडोर स्टेडियम के लोकार्पण में उनसे मुलाकात हुई थी। बेहद खुशी के साथ उन्होंने बताया था कि अब बास्केटबॉल कॉम्प्लेक्स में दो इनडोर स्टेडियम सहित कुल 5 बास्केटबॉल कोर्ट हो गए हैं, जिससे खिलाड़ियों को प्रैक्टिस में दिक्कत नहीं आएगी।
वह मुलाकात उनसे आखरी मुलाकात थी, उसके बाद उधर जाने का कोई मौका नहीं आया।
शनिवार को पता चला कि कोरोना ने बास्केटबॉल के उत्थान के लिए सदैव समर्पित रहे इस योद्धा को हमसे छीन लिया है तो मन वेदना से भर उठा। नियति के आगे किसी का बस नहीं चलता ये सही है पर भूपेंद्र बंडी जैसे कर्मवीर बिरले ही होते हैं।उनका जाना बास्केटबॉल और खिलाड़ियों के लिए बहुत बड़ी क्षति है। अब जब भी बास्केटबॉल कॉम्प्लेक्स में जाना होगा..आपका स्नेह और आत्मीयता से भरी चाय जरूर याद आएगी बंडी साहब। विनम्र श्रद्धांजलि..
बास्केटबॉल को बढ़ावा देने में ताउम्र जुटे रहे भूपेंद्र बंडी..
Last Updated: May 17, 2020 " 09:44 am"
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