बीते 18 वर्षों में मप्र में धीमी हुई औद्योगिक विकास की गति

  
Last Updated:  October 30, 2023 " 08:03 pm"

सड़क, बिजली, पानी और अन्य समस्याओं से जूझ रहें उद्योग।

बड़े निवेशक मप्र में निवेश से काट रहे कन्नी।

फेल रही है बीजेपी सरकार की औद्योगिक नीति।

पत्रकार वार्ता के जरिए कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता चरण सिंह सपरा ने लगाए आरोप।

इंदौर : कांग्रेस ने बीते 18 वर्षों में मध्य प्रदेश में इंडस्ट्रियल ग्रोथ की गति धीमी होने का आरोप लगाते हुए बीजेपी सरकार पर निशाना साधा। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता चरण सिंह सपरा ने कहा कि 18 वर्षों में छह इन्वेस्टर समिट और ग्लोबल समिट यहां पर हुई।इसे लेकर जमकर टीआरपी बटोरी गई, विज्ञापन छपवाए गए लेकिन नतीजा जीरो बटा सन्नाटा रहा।

भारतीय जनता पार्टी की 18 वर्षों की सरकार में इंडस्ट्रियल पॉलिसी या इंडस्ट्रियल प्लानिंग ” ऊंची दुकान फीके पकवान” जैसी रही।
2007 से 2016 में 13.4 ट्रिलियन के एमओयू साइन हुए, लेकिन एक्चुअल इन्वेस्टमेंट मात्र 7% रहा। पिछले 10 वर्षों में रजिस्टर्ड या अन रजिस्टर्ड 4000 एमएसएमई उद्योग मध्य प्रदेश में बंद हुए। कांग्रेस के शासन के समय जो 15 महीने का शासन था। उसमें 500 से ज्यादा दवा उद्योग कार्यरत थे। भारतीय जनता पार्टी का प्रशासन आने के बाद 50% दवा उद्योग बंद हुए। बिजली विभाग का इसमें बहुत अहम रोल रहा। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में बिजली महंगी है, बिजली विभाग में भ्रष्टाचार है। डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क में कमजोरी है, और बिजली सप्लाई अवरोध जो है वह बहुत ज्यादा है।इसीलिए यहां बड़ी कंपनियां निवेश के लिए आगे नहीं आ रही हैं।

कांग्रेस प्रवक्ता सपरा ने कहा कि बीजेपी की सरकार स्वतंत्र स्थापित उद्योग के प्रति यह हमेशा उदासीन रही है। इंदौर में पालदा क्षेत्र में साढ़े चार सौ उद्योग लगे, जिसमे से 15000 लोगों को रोजगार मिला।5000 करोड़ का टर्नओवर भी हो रहा था और सरकार को संपत्ति कर के माध्यम से 14 करोड रुपए प्रतिवर्ष कमाई भी हो रही थी , लेकिन सरकार द्वारा उस एरिया को नोटिफाई न करने से वहां पर कोई इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट नहीं हुआ। सड़क, लाइट स्टॉर्म वॉटर ड्रेनेज न होने से पालदा उद्योग क्षेत्र पिछड़ गया। बीजेपी सरकार में हर इंडस्ट्रियल एरिया की यही हालत है।चाहे लोहा मंडी हो या फिर सांवेर का औद्योगिक क्षेत्र, सभी आधारभूत सुविधाओं की कमी झेल रहे हैं।

बीजेपी ने प्रदेश में स्किल डेवलपमेंट और स्टार्टअप योजना के जुमले तो दागे, लेकिन इन्हें प्रोत्साहित करने की योजना को अधर में छोड़ दिया। प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों में दोहरी कर प्रणाली भी इंडस्ट्री को बहुत हद तक नुकसान पहुंचा रही है।यानी एक ही जगह पर नगर निगम भी टैक्स ले रहा है और उद्योग विभाग भी टैक्स ले रहा है। शिवराज सरकार ने औद्योगिक क्लस्टर के नाम से उद्योग जगत के साथ धोखाघड़ी की है।

टॉय क्लस्टर 2 साल से लंबित है। फर्नीचर क्लस्टर के नाम पर साढ़े चार एकड़ भूमि घोषित कर दी, लेकिन आवंटन 3 सालों से लंबित है। यानी व्यापारियों को यह लट्टू की तरह घुमाते रहे हैं। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर क्लस्टर के नाम पर गरीब वंचित पिछड़ी जाति के युवाओं से भी खिलवाड़ किया है।

पत्रकार वार्ता में इंदौर शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सुरजीत सिंह चड्डा, म.प्र कांग्रेस कमेटी के सचिव राजेश चौकसे,उद्योग एवं व्यापार प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष संजय पटवर्धन,प्रदेश उपाध्यक्ष विजय कुमार डोंगले,कौमी एकता प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष सच सलूजा,नीलाभ शुक्ला,अमीनुल खान सूरी,संभागीय प्रवक्ता अमित चौरसिया,विवेक खंडेलवाल,देवेंद्र सिंह यादव,आनंद जैन कासलीवाल उपस्थित थे।

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