इंदौर : भक्ति में पाखंड और दिखावा ज्यादा दिन नहीं चलते। प्रभु तो अन्तर्यामी हैं, उनसे कुछ भी छुपा नहीं है। भक्त की महिमा भगवान से बड़ी है।ये भक्त ही हैं जो भगवान को अपने प्रेम बंधन में बाँध सकते हैं। ये विचार आचार्य पण्डित बालकृष्ण शास्त्री ने व्यक्त किये। वे लोहार पट्टी स्थित श्रीजी कल्याण धाम खाड़ी मंदिर में चल रहे भक्तमाल कथा महोत्सव में बोल रहे थे। महोत्सव का आयोजन हँसदास मठ के महामंडलेश्वर स्वामी रामचरण दास महाराज के सान्निध्य में हो रहा है।
आचार्य बालकृष्ण शास्त्री ने आगे कहा कि भक्ति के लिए वैराग्य भी आवश्यक गुण है। वैराग्य निष्ठ भक्ति में भक्त के लिए भगवान सर्वोपरि होता है। भक्त और भगवान एक- दूसरे के पूरक भी हैं और पर्याय भी।
आचार्यश्री के प्रवचनों के पूर्व पंडित कृपाशंकर शुक्ला, विधायक संजय शुक्ला, दीपू यादव, अर्चना जायसवाल, घनश्याम जोशी आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया।
कथा महोत्सव के संयोजक पण्डित पवन शर्मा ने बताया कि कथा 27 दिसंबर तक प्रतिदिन दोपहर 3 से शाम 7 बजे तक होगी।
भक्त और भगवान एक- दूसरे के पूरक हैं- आचार्य बालकृष्ण
Last Updated: December 25, 2019 " 06:37 pm"
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