“मेरा तिरंगा है मेरा अभिमान।
भारत माता में बसती हम बच्चों की जान॥
स्वतन्त्रता का स्वर्णिम वर्ष देता जुनून।
हमेशा पालन करेंगे देशहित में कानून॥
भारत माता की जय का जयकारा।
भारत तो है हमको प्राणों से भी प्यारा॥
आजादी के अमृत महोत्सव का पुनीत अवसर।
देश रक्षा के लिए वीरों ने सहे अनगिनत कहर॥
सीना है देशभक्त फ़ौलाद का।
राष्ट्र प्रेम का जज्बा है हर भारतवासी का॥
देश की सीमा की सुरक्षा करने वालों को नमन।
उनकी वजह से है आबाद हमारा चमन॥
स्वाधीनता की वेदी पर दी थी आहुति।
जो दे गए देश को स्वतन्त्रता की अनुभूति॥
जो निरंतर डटें रहते हैं सरहद पर।
मातृभूमि की रक्षा करते हैं होकर निडर॥
मेरा देश ही मेरा उन्नत गगन है।
वह तो फूलों से महकता उपवन है॥
शहीदों के बलिदानों को न जाने देंगे व्यर्थ।
डॉ. रीना कहती, देश को देंगे उन्नति का नया अर्थ॥”
डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)
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