कलेक्टर कार्यालय पर शुरू किया धरना – प्रदर्शन।
केंद्र सरकार द्वारा पारित विधेयक के अनुरूप चार गुना मुआवजे की कर रहे हैं मांग।
इंदौर : ग्रेटर रिंग रोड के लिए भूमि अधिग्रहण के खिलाफ प्रभावित किसान लामबंद हो गए हैं। अपने हक की लड़ाई लड़ने के लिए किसान सड़कों पर उतर आए हैं। गुरुवार को कलेक्टर कार्यालय के सामने गंजी कंपाउंड के समीप तंबू गाड़कर भारतीय किसान संघ के बैनर तले ये किसान धरना – प्रदर्शन पर बैठ गए। उनका कहना है कि उनकी बेशकीमती जमीन के बदले सरकार जो मुआवजा दे रही है, वह ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। ये उन्हें स्वीकार नहीं है। लंबी लड़ाई का मन बनाकर आए हैं किसान। धरना – प्रदर्शन कर रहे किसान अपने हक के लिए लंबी लड़ाई का मन बनाकर आए हैं। यही कारण है की वे अपने साथ खाने – पीने की सामग्री, अनाज, गैस, कंडे, कपड़े व बिस्तर भी साथ लाए हैं। उनका कहना है कि वे विकास के खिलाफ नहीं हैं पर उनके साथ अन्याय नहीं किया जाना चाहिए।
चार गुना मुआवजे का है प्रावधान।
प्रदर्शनकारी किसानों का नेतृत्व कर रहे भारतीय किसान संघ के इंदौर जिलाध्यक्ष राजेंद्र कुमार पाटीदार का कहना है कि केंद्र की मोदी सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में किसानों की जमीन के मूल्य का चार गुना मुआवजा देने का विधेयक पारित किया था पर उसमें ये गुंजाइश भी छोड़ दी गई की राज्य सरकारें चाहें तो इसमें बदलाव कर सकती हैं। इसी का फायदा उठाकर प्रदेश सरकार उनकी भूमि अधिग्रहण के बदले दो गुना मुआवजा देने की बात कर रही है, जबकि राजस्थान और गुजरात में किसानों को चार गुना मुआवजा मिल रहा है। मुआवजा भी गाइडलाइन के मुताबिक देने की बात कही जा रही है, जबकि गांवों में गाइडलाइन बीते कई वर्षों से नहीं बढ़ी है। ऐसे में किसानों की जमीन भी चली जाएगी और उनके हाथ कुछ नहीं आएगा। हमारा विरोध इसी बात को लेकर है। पाटीदार के मुताबिक किसानों की अधिग्रहित की जा रही भूमि के मुआवजे की गणना प्रचलित बाजार मूल्य के आधार पर होनी चाहिए और उसका चार गुना मुआवजा किसानों को मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब तक शासन – प्रशासन समुचित मुआवजा देने की मांग नहीं मान लेता, उनका धरना – प्रदर्शन जारी रहेगा।