भोपाल : मध्य प्रदेश में मेडिकल एजुकेशन के फाउंडेशन कोर्स में हेडगेवार, दीनदयाल, विवेकानंद, गांधी,भीमराव आंबेडकर व डॉ. अब्दुल कलाम के जीवन चरित्र को पढ़ाया जाएगा। भोपाल मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की पढ़ाई हिंदी में करवाने का पायलट प्रोजेक्ट शुरू हो गया है जिसकी क्लास भी शुरू हो गई है। क्लास में सभी टीचर्स को हिंदी में पढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं।
यह बात चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कही है। उन्होंने कहा कि फाउंडेशन कोर्स में एक विषय ‘मूल्य आधारित जीवन जीना’ पढ़ाया जाएगा जिसमें महापुरुषों के बारे में बताया जाएगा। इन महापुरुषों में वे लोग शामिल किए जाएंगे, जिन्होंने समाज के लिए बहुत कुछ किया है। सारंग ने कहा कि मध्य प्रदेश में मेडिकल की पढ़ाई वैकल्पिक तौर पर हिंदी में शुरू की जा रही है। दूसरे राज्यों में उनकी मातृभाषा में इसे शुरू किया जा सकता है। मेडिकल एजुकेशन की पढ़ाई को हिंदी में शुरू करने वाला मध्य प्रदेश, देश का पहला राज्य होगा। एनाटॉमी, बायो केमिस्ट्री और फिजियोलॉजी विषयों के रूपांतरण के लिए काम शुरू किया जा रहा है। प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों की संबंधित फैकल्टी को रूपांतरण की जिम्मेदारी दी गई है। एनाटॉमी व बायो केमिस्ट्री के लिए भोपाल और फिजियोलॉजी विषय के लिए इंदौर मेडिकल कॉलेज को वार रूम बनाया गया है। इन वार रूमों में विषयों के रूपांतरण का परीक्षण होगा।
कॉपी राइट का अध्ययन कराया।
मंत्री सारंग ने कहा कि हिंदी में पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए कॉपी राइट का पूरा अध्ययन किया गया है। उसका ध्यान रखकर ही पाठ्यक्रम बनाया जाएगा। अगले दो महीने में पाठ्यक्रम बन जाएगा। अभी भोपाल मेडिकल कॉलेज में पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जा रहा है। पाठ्यक्रम बनते ही दूसरे मेडिकल कॉलेज में भी हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई शुरू कर दी जाएगी।
ऑडियो-वीडियो के माध्यम से भी होगी हिन्दी में पढ़ाई।
मंत्री सारंग ने बताया कि विद्यार्थियों की सुविधा के लिए हिन्दी लेक्चर के ऑडियो-वीडियो बनाकर यू-ट्यूब चैनल के माध्यम से उपलब्ध कराने का भी प्रयास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य होगा, जिसने इस नवाचार की शुरूआत की और आगे भी लागू करने में मध्यप्रदेश अग्रणी रहेगा। मंत्री सारंग ने कहा कि देवनागरी का उपयोग कर विद्यार्थियों को टूल और प्लेटफार्म उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मातृ भाषा की पढ़ाई जल्द और ज्यादा समझ में आती है। फ्रांस, जर्मनी, जापान और चाइना अपनी भाषा में मेडिकल की पढ़ाई करवाते हैं।
ट्रांसलेशन नहीं व्यवहारिक पक्ष का ध्यान।
मंत्री सारंग ने कहा कि हिंदी में मेडिकल एजुकेशन में हिंदी में पाठ्यक्रम बनाने में ट्रांसलेशन नहीं बल्कि व्यवहारिक पक्ष को ध्यान में रखा जाएगा, जिससे लर्निंग स्कील को बढ़ाने में मदद मिल सकेगी। टेक्निकल शब्दों का देवनागरी लिपि में उपयोग किया जाएगा और उनके साथ अंग्रेजी में भी लिखा जाएगा।