इंदौर : भ्रष्टाचार में लिप्त 6 अधिकारियों- ठेकेदारों को उनके किये की सजा भुगतनी पड़ी। न्यायाधीश विकास शर्मा की स्पेशल कोर्ट ने विशेष पुलिस स्थापना, इंदौर के अपराध क्रमांक 20/95 व फौजदारी प्रकरण 20/04 में भ्रष्टाचार के आरोपी 3 अधिकारियों को 4-4 साल के सश्रम कारावास और 1-1लाख रुपए के अर्थदंड से दण्डित किया। अर्थदंड नहीं भरने पर 1-1साल का अतिरिक्त कारावास भुगतना पड़ेगा। इसी के साथ तीन ठेकेदारों को भी भ्र्ष्टाचार का दोषी पाते हुए 4-4 वर्ष का सश्रम कारावास और 5-5 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया गया।
जिला लोक अभियोजन अधिकारी मो. अकरम शेख ने बताया कि 25 अगस्त 1990 को नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के तहत ओवरफ्लो मेशनरी डेल का ठेका मेसर्स पल्लनती कंस्ट्रक्शन कंपनी केरल को दिया गया था। वर्क ऑर्डर के साथ ठेकेदार को 29 माह में काम पूरा करने के निर्देश दिए गए थे। मशीनरी के लिए उसे 1करोड़ 10 लाख रुपए का अग्रिम भुगतान भी किया गया था। निर्धारित अवधि बीतने के बाद भी ठेकेदार ने 13 फीसदी काम ही किया गया। दी गई मशीनरी का उपयोग भी किसी अन्य कार्यस्थल पर होना पाया गया। अधिकारियों ने मिलीभगत करके बगैर पैनल्टी लगाए ठेकेदार की मियाद दो बार बढा दी। बावजूद इसके ठेकेदार काम पूरा नहीं कर पाया। इस बारे में जांच के बाद 1995 में तत्कालीन आधिकारियों और ठेकेदार को आरोपी बनाते हुए आईपीसी की धारा 406, 420, 120बी और भ्र्ष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1) डी और 13 (2) के तहत एफआईआर दर्ज की गई। अनुसन्धान के बाद 2004 में आरोपियों के खिलाफ चालान सक्षम न्यायालय में पेश किया गया। बरसों चली सुनवाई के बाद विशेष अदालत ने तत्कालीन अधिकारी बालकदास तिवारी अधीक्षण यंत्री नर्मदा विकास मण्डल क्र.10, मोहनलाल जोशी अधीक्षण यंत्री नर्मदा विकास मण्डल और वर्धमान कुमार तलेसरा तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी मान परियोजना, कुक्षी उपसंभाग 1 को दोषी करार देते हुए सजा व अर्थदंड से दण्डित किया। इसीतरह कम्पनी के ठेकेदार आरोपियों पी.पी. पोलिस, पी.पी. थॉमस और कुरियन पी. पॉल को भी सजा व अर्थदंड से दण्डित किया गया। मामले में अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक ज्योति गुप्ता ने की।
भ्र्ष्टाचार के दोषी अधिकारी- ठेकेदारों को 4-4 साल का सश्रम कारावास
Last Updated: December 24, 2019 " 02:48 pm"
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