इंदौर : कोरोना संक्रमण की रोकथाम में फ्रंटलाइन वर्कर के बतौर बीते एक वर्ष से अहम योगदान दे रहे आयुष चिकित्सक और पैरामेडिकल स्टाफ अपनी मांगों को लेकर मंगलवार से प्रदेशव्यापी हड़ताल पर जा रहे हैं। उन्होंने सीएमएचओ को ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगों से उन्हें अवगत कराया और हड़ताल पर जाने संबंधी निर्णय की भी जानकारी दी।
कोविड- 19 आयुष चिकित्सक संघ के संभागीय उपाध्यक्ष डॉ. दिनेश साधवानी और अन्य पदाधिकारियों ने बताया कि बीते वर्ष राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत जिला स्वास्थ्य समितियों के माध्यम से प्रदेशभर में सैकड़ों आयुष चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टाफ को कोरोना की रोकथाम के लिए तीन माह के लिए संविदा नियुक्ति दी गई थी पर हमें काम करते हुए एक वर्ष से ज्यादा समय हो चुका है। तमाम आयुष चिकित्सक फीवर क्लीनिक, कोविड केअर सेंटर व आरआरटी में काम करते हुए अपनी जान जोखिम में डालकर कोविड पेशंट की सेवा में में जुटे हैं, बावजूस इसके एलोपैथी डॉक्टर्स व स्टाफ की तुलना में उन्हें बेहद कम वेतन दिया जा रहा है।
समान काम का सामान वेतन मिले।
आयुष चिकित्सकों के मुताबिक समान कार्य किए जाने के बावजूद उन्हें केवल 25 हजार रुपए और पैरामेडिकल स्टाफ को 15 हजार रुपए प्रतिमाह वेतन दिया जा रहा है, जबकि एमबीबीएस डॉक्टर्स का वेतन 60 हजार रुपए है। हमारी मांग है कि हमें समान काम के बदले समान वेतन दिया जाए। आयुष चिकित्सकों के मुताबिक उनकी दूसरी मांग है कि उन्हें संविदा संवर्ग में संविलियन कर चिकित्सक विहीन उपस्वास्थ्य, प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर नियुक्ति दी जाए।
आयुष चिकित्सकों के अनुसार अन्य राज्यों में आयुष चिकित्सकों को 40 से 60 हजार रुपए वेतन मिल रहा है। केवल मप्र में ही उन्हें बेहद कम वेतन दिया जा रहा है।
आयुष चिकित्सकों ने सोमवार को सीएमएचओ को ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगों से उन्हें अवगत कराया और हड़ताल पर जाने की जानकारी दी।
सीएमएचओ डॉ. सेतिया ने बताया कि आयुष चिकित्सकों की मांगों का निराकरण शासन स्तर पर ही हो सकता है। उन्होंने आयुष चिकित्सकों की मांगों संबंधी ज्ञापन सरकार को प्रेषित कर दिया है।