मप्र को जल संरक्षण में बेहतर काम करने के लिए मिला राष्ट्रीय जल पुरस्कार

  
Last Updated:  June 19, 2023 " 08:08 pm"

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने नई दिल्ली में जल संसाधन मंत्री सिलावट को पुरस्कार प्रदान किया।

इंदौर : भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने देश में जल,संरक्षण, संवर्धन और मानव जीवन के लिए जल के उपयोग में सबसे बेहतर काम करने पर मध्यप्रदेश को नई दिल्ली में आयोजित समारोह में प्रथम पुरस्कार प्रदान किया।
मध्यप्रदेश द्वारा जल के क्षेत्र में किए गए अनुकरणीय कार्यों के लिए “सर्वश्रेष्ठ राज्य” के “राष्ट्रीय जल पुरस्कार” से अलंकृत किया गया। मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश शासन शिवराज सिंह चौहान की ओर से जल संसाधन एवं मत्स्य विकास तथा मछुआ कल्याण मंत्री तुलसीराम सिलावट ने उपराष्ट्रपति से यह पुरस्कार ग्रहण किया।

जल शक्ति मंत्रालय द्वारा नई दिल्ली विज्ञान भवन में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था। मंत्री तुलसीराम सिलावट के साथ ए.सी.एस. एस.एन.मिश्र भी पुरस्कार ग्रहण करते समय मौजूद रहे। इस अवसर पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल, विश्वेश्वर टुडू भी अतिथि के रूप में उपस्थित थे।

जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने बताया कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में कृषि और किसान भाईयों के लिए ऐतिहासिक काम हुए हैं। जल प्रबंधन के क्षेत्र में मध्यप्रदेश ने हर क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य किया है ।

सिंचाई क्षेत्र में विस्तार।

गत 15 वर्षों में सिंचाई क्षेत्र में छह गुना वृद्धि हुई है। वर्ष 2003-04 में सात लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता बढ़ाकर 45 लाख हेक्टेयर हो गई है। गत तीन वर्षों में छह लाख हेक्टेयर नवीन सिंचाई क्षेत्र विकसित कर कई लघु मध्यम एवं वृहद परियोजनाएं पूरी की गई हैं।

जल उपयोग दक्षता उन्नयन।

बाँध से सीधे खेतों तक भूमिगत पाइप लाइन के माध्यम से जल पहुंचाए जाने का नवाचार प्रदेश के मोहनपुरा एवं कुंडालिया परियोजना (दो लाख पचासी हज़ार हेक्टेयर) के रूप में जल उपयोग दक्षता उन्नयन के क्षेत्र में अनुकरणीय सिंचाई परियोजना के रूप में स्थापित हो चुके हैं ।

जल जीवन मिशन।

प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी हर घर नल के मिशन में मध्यप्रदेश द्वारा 3 वर्षों में 47 लाख घरों को अल्पावधि में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया गया है। वर्ष 2019 में केवल 13 लाख घरों तक जल पहुँचा था, जो कि आज 60 लाख से अधिक घरों में पहुँच चुका है।

जल प्रणाली का संरक्षण।

पुरानी जल संरचनाओं का जीर्णोद्धार, भू-जल प्रबंधन, सीवेज प्रबंधन एवं जल क्षेत्र में सूचना व प्रौद्योगिकी का उच्चतम प्रयोग कर उन्नयन और जीवित किया गया। नदी कछार नियोजन एवं प्रबंधन के क्षेत्र में अभियंताओं की दक्षता से चंबल तथा सिंध नदी कछार प्रबंधन योजनाओं की परिकल्पना एवं क्रियान्वयन किया गया।

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