अच्छा करने का कोई मुहूर्त नहीं होता, इन ग्रुप एडमिन से भी प्रेरणा ले सकते हैं ।
🔹कीर्ति राणा🔹
सोशल मीडिया के सकारात्मक उपयोग से लोगों की मुसीबत में काम आने वाले लोगों की इंदौर में कमी नहीं है। ये लोग उनसे अलग है जो सोशल मीडिया का आपराधिक गतिविधियों या कट्टरता फैलाने में उपयोग कर रहे हैं। समाजसेवा वाले इनके काम को देश-दुनिया का समर्थन और सराहना भी मिल रही है।अच्छा काम करने के लिए इन लोगों ने किसी खास दिन, खास मुहूर्त का इंतजार नहीं किया।शुरुआत में चार-पांच दोस्तों ने पहल की और फिर अच्छा सोचने वालों की चैन जुड़ती गई।
मूक पशुओं के लिए भी धड़कता है दिल ।
अदभुत कम्युनिटी ग्रुप (88274 03046) से जुड़े सदस्यों का दिल बेजुबान जानवरों के लिए भी धड़कता है।स्वतंत्रता सेनानी स्व. प्रभुदयाल चौबे के पोते और राजकुमार शर्मा के पुत्र सिद्धार्थ शर्मा जुड़े तो थे इवेंट मैनेजमेंट से लेकिन कुछ अच्छा करने का रास्ता 2014 में तंग बस्ती की उस ‘रोशनी’ ने दिखाया जिसे आठवीं तक पढ़ाई के बाद आगे की पढ़ाई के लिए कहीं से मदद नहीं मिल रही थी। अपने दोस्तों स्वप्नेश खंडेलवाल, योगेंद्र सिंह नेगी,अतुल गुप्ता, टोनी, सिद्धार्थ के साथ पांच – पांच रु जोड़ कर रोशनी को नौंवी में एडमिशन के साथ पढ़ाई का सारा खर्च उठाया। आज रोशनी एक निजी अस्पताल में रिसेप्शनिस्ट है।यह ग्रुप अब 230 बच्चों की पढ़ाई में मदद कर रहा है।
अदभुत कम्युनिटी से अब 188 सदस्य जुड़ चुके हैं।भीषण गर्मी में जब जानवर भोजन-पानी के लिए तरसने लगते हैं तब इस ग्रुप के सदस्य कजलीगढ़, पाताल पानी, जामगेट, भेरुघाट, पेडमी ओखलेश्वर महादेव आदि के जंगलों में लोडिंग रिक्शा के साथ तरबूज, केले, गाजर, खरबूजे, चुकंदर लेकर पहुंच जाते हैं। इन फलों से जानवरों को भोजन के साथ पानी की भी पूर्ति हो जाती है।परिवार में किसी का जन्मदिन, पुण्यतिथि आदि पर भी कई लोग इन्हें फल, अनाज, नकद राशि पुण्य कार्य के लिए भेंट करने लगे हैं। सिद्धार्थ बताते हैं देश के विभिन्न शहरों के 30 हजार सदस्य ग्रुप से जुड़े हैं।दक्षिण के प्रदेश छोड़ कर भारत में जहां भी रक्त की जरूरत होती है, वहां निशुल्क उपलब्ध कराते हैं। बोन मेरो ट्रांसप्लॉंट और कैंसर पीड़ित मरीजों व उनके परिजनों को 2020 से एक समय का भोजन उपलब्ध करा रहे हैं।शहर की एक तंग बस्ती गोद भी लेकर रखी है।230 बच्चों की स्कूल से कॉलेज तक की फीस जमा कराते हैं।कई छात्रों की नौकरी भी लग चुकी है।
हम्माल कॉलोनी छोटा बांगड़दा में मसाले की फेक्टरी की मशीन व अन्य संसाधन उपलब्ध करा दिए हैं, बस्ती वाले मसाले, पापड़ अचार बनाते हैं। हम बेचते हैं। लिप्पन आर्ट (लकड़ी पर कुंदन का काम) में प्रशिक्षित लड़कियों को शांतिकुज गायत्री पीठ से बड़ा आर्डर मिला है।यही नहीं बीमारियों से बचाव, ट्रैफिक सुधार के साथ ही डिप्रेशन का शिकार लोगों के लिए कॉउंसलिंग-अवेयरनेस प्रोग्राम भी चला रहे हैं।ग्रुप से जुड़े वकील सदस्य जरूरतमंदों को निशुल्क कानूनी सहायता भी उपलब्ध करा रहे हैं।
सिद्धार्थ का सपना था आर्मी ज्वाइन करने का, वह तो पूरा हुआ नहीं लेकिन उन्हें यह सुकून है कि महू आर्मी के जवानों ने इस ग्रुप के काम से प्रभावित होकर राशन की मदद उपलब्ध कराई।इस ग्रुप से बहुराष्ट्रीय कंपनियों में विदेशों में कार्यरत लोग भी जुड़े हुए हैं, सब ने अलग अलग जिम्मेदारी ले रखी है।
मरीज को तत्काल 15 हजार की सहायता ।
ऐसे ही रितेश बापना (92299 17970) को समाज के लिए कुछ अच्छा करने की प्रेरणा तब मिली जब उनके अंकल-शहर के वरिष्ठ पत्रकार महेंद्र बापना का 2019 में असमय निधन हो गया था।उनकी स्मृति में ‘रहे ना रहे हम’ ग्रुप का और कुछ समय बाद ‘वेकअप फाउंडेशन’ का गठन कर जरूरतमंदों की (खासकर एजुकेशन और मेडिकल) मदद कर रहे हैं।
वेलकम फाउंडेशन पंजीकृत होने से बड़ी कंपनियों से सीएसआर फंड भी (आयकर की धारा 12 ए और 80जी के तहत छूट) मिल जाता है।संभवत: यह एक मात्र ग्रुप है जो गंभीर बीमारियों वाले मरीज को तत्काल 15 हजार रु की सहायता अस्पताल के नाम जारी कर रहा है। रितेश बताते हैं कि 2019 में जब ग्रुप शुरु किया मुश्किल से दस लोग भी नहीं जुड़े थे। आज तीन हजार मेंबर 6 ग्रुप से जुड़ गए हैं।कैंसर, लकवा और डायलिसिस वाले मरीजों को हर माह 2लाख तक की दवाइयां उपलब्ध करा रहे हैं।एजुकेशन के तहत नौवीं से बारहवीं तक के 150 बच्चों को पढाई खर्च में में सहयोग कर रहे हैं। तीन सौ गरीब बच्चों को हर रविवार स्कीम नं 71 के पीछे भोजन कराने के साथ ही जरूरतमंदों को राशन, मरीजों के लिए ग्रुप के सदस्य ब्लड डोनेशन भी करते हैं। कोरोना के दौरान इंदौर और आसपास के मरीजो को मेडिकल हेल्प भी पहुचाते रहे।
समाज के अंतिम आदमी के काम आ सकें।
संस्था इंदौरियंस ग्रुप के एडमिन रवि गुप्ता (98934 16165) ने दस साल पहले जब शुरुआत की पांच लोग भी नहीं थे, अब 800 सदस्यों में शिक्षाविद, शासकीय अधिकारी, प्रबुद्धजन, व्यवसायी शामिल हैं।इस ग्रुप का लक्ष्य है समाज के अंतिम आदमी को सेवा कार्यों का लाभ मिले।शिक्षा/संस्कार के लिहाज से हर महीने गतिविधियों के संचालन के साथ ही मूसाखेड़ी क्षेत्र की पांच तंग बस्तियों में छह साल से सदस्य काम कर रहे हैं।संस्था की बड़ी उपलब्धियों में कोरोना काल में 180 मरीजों को भर्ती कराना मेडिकल फील्ड से जुड़े होने के कारण कर सके।
मेडिकल इक्विपमेंट की नि:शुल्क सुविधा।
निजी अस्पतालों में सिर्फ मेडिकल इक्विपमेंट की अनिवार्यता के कारण मरीज के परिवार को भारी भरकम खर्च ना उठाना पड़े इसके लिए दो वॉटस एप ग्रुप निशुल्क और एक अवधि पश्चात न्यूनतम शुल्क पर ऑक्सीजन सिलेंडर और मशीन, केव्हील चेयर, एयरबेग, कमोड चेयर, पलंग, वॉकर, गादी सहित 25 उपकरण उपलब्ध करा रहे हैं।
गोल्ड कॉइन ग्रुप (62629-62626) के संचालक संजय अग्रवाल बताते हैं हमने पोस्ट डाली थी कि किसी को व्हील चेयर की जरूरत हो तो एक उपलब्ध है।जब कई मरीजों के फोन आए तो लगा कि मेडिकल उपकरण उपलब्ध कराने की सेवा ही शुरु कर दें। पहले एक रु. शुल्क लेते थे अब तो नि:शुल्क उपलब्ध करा रहे हैं।यह सेवा इंदौर में तीन सेंटरों के साथ ही उज्जैन, नागदा, धार, नीमच और उदयपुर (राज) में भी चल रही है।
आद्य गौड़ ब्राह्मण सेवा न्यास (94248-81588, 94066-66236) के अध्यक्ष पं दिनेश शर्मा और आरोग्य प्रकोष्ठ के संयोजक पं.अखिलेश शर्मा के मन में विचार आया कि स्वास्थ्य, शिक्षा के क्षेत्र में कुछ करना चाहिए।आरोग्य प्रकोष्ठ के माध्यम से मेडिकल उपकरण की सेवा 8 हजार परिवारों को दे चुके हैं। एक महीने नि:शुल्क फिर न्यूनवेतम केचार्ज तय है।बची हुई दवाइयां जरूरतमंदों के काम आ जाए इसके लिए दवाई संग्रह सेंटर और नलिया बाखल में न्यूनतम शुल्क पर फिजियोथैरेपी सेंटर भी शुरु कर रखा है।पगड़ी कार्यक्रम, जन्मदिन आदि प्रसंगों वाली राशि और समाज को मिलने वाले दान से उपकरणों की खरीदी कर लेते हैं।