इंदौर के सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में किया गया गुना निवासी मरीज का इलाज।
इंदौर : एमजीएम मेडिकल कॉलेज से संबद्ध सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, मध्य प्रदेश का ऐसा पहला चिकित्सालय बन गया है जहां कार टी-सेल थेरेपी से रक्त कैंसर के मरीज का सफलता पूर्वक उपचार किया गया। गुना निवासी यह मरीज अब पूरी तरह स्वस्थ्य है।
एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मरीज का इलाज क्लिनिकल हेमेटोलॉजी, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन एवं बोन मेरो ट्रांसप्लांट विभाग की संयुक्त टीम की देखरेख में किया गया है।
इस अत्याधुनिक चिकित्सा प्रक्रिया को आईआईटी मुंबई और टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल द्वारा विकसित किया गया है।
डीन डॉ. घनघोरिया ने बताया कि बीती 26 जनवरी 2025, गणतंत्र दिवस पर गुना निवासी ब्लड कैंसर के मरीज अशोक रघुवंशी को सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में भर्ती किया गया था। कार टी सेल थेरेपी से इलाज और देखभाल के बाद मरीज़ के पूरी तरह स्वस्थ्य होने पर उसे 31 मई 2025 को अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया।
डीन डॉ. घनघोरिया ने बताया कि कार टी सेल थेरेपी से इलाज बहुत महंगा है। इस थेरेपी से इलाज में विदेशों में 4 करोड़ रुपए तक तो भारत के बड़े शहरों में करीब एक करोड़ रुपए का खर्च आता है। सुपर स्पेशलिटी में सरकार व दानदाताओं के सहयोग से करीब 60 लाख रुपए के खर्च में मरीज का इलाज किया गया। क्लिनिकल हेमेटोलॉजी विभाग के हेड, डॉ. अक्षय लाहोटी ने बताया कि फोर्टिस अस्पताल के प्रमुख हेमेटोलॉजिस्ट डॉ. राहुल भार्गव, शासकीय कैंसर अस्पताल के डॉ. सुधीर कटारिया, डॉ प्रीति मालपानी, डॉ. प्राची चौधरी, डॉ. अशोक यादव, डॉ.सुमित शुक्ला, डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया, पूर्व डीन डॉ. संजय दीक्षित, कलेक्टर व कमिश्नर ने मरीज के इलाज में पूरी तत्परता दिखाई जिससे उसका इलाज इस अत्याधुनिक थेरेपी से संभव हो सका।
यह होती है कार-टी सेल थेरेपी।
डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया ने बताया कि कार-टी सेल थेरेपी में सफेद रक्त कोशिकाओं को हटाने के लिए मरीज पर एफेरेसिस प्रक्रिया की जाती है। एक सामान्य रोगी के रक्त में दो प्रकार की श्वेत रक्त कोशिकाएं यानी बी और टी कोशिकाएं होती हैं। इनमें टी कोशिकाओं को श्वेत रक्त कोशिकाओं से अलग किया जाता है। इसके बाद वायरल वैक्टर की मदद से उन्हें आनुवंशिक रूप से संशोधित किया जाता है। इन आनुवंशिक रूप से संशोधित कार-टी कोशिकाओं को रोगी में इंजेक्ट किया जाता है। काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर, कैंसर कोशिकाओं की सतह पर विशिष्ट प्रोटीन की पहचान करता है और उन्हें नष्ट कर देता है। इस तरह कार-टी कोशिकाएं मरीज के शरीर से कैंसर को खत्म कर देती हैं और मरीज कैंसर मुक्त जीवन जीता है।