इन्दौर : महिला अपराधों में त्वरित कार्रवाई व इन प्रकरणों में वैज्ञानिक साक्ष्यों का उपयोग कर, विवेचना को और बेहतर व गुणात्मक तरीके से अंजाम देने के लिए पुलिस कंट्रोल रूम पलासिया में महिलाओं के विरूद्ध लैंगिक अपराध में फोरेंसिक साक्ष्यों का महत्व विषय पर प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। क्षेत्रीय न्यायालयिक विज्ञान प्रयोगशाला के सहयोग से इंदौर पुलिस द्वारा आयोजित इस प्रशिक्षण कार्यशाला में पुलिस अधीक्षक मुख्यालय इंदौर अरविंद तिवारी एवं अति. पुलिस अधीक्षक मुख्यालय मनीषा पाठक सोनी विशेष तौर पर उपस्थित रहे। क्षेत्रीय न्यायालयिक विज्ञान प्रयोगशाला इन्दौर के प्रभारी विनोद लोकरे, वैज्ञानिक अधिकारी इन्द्रपाल सिंह ठाकुर, अविनाश पुरी, अनुराधा, विवेक, मनीष और पवन द्वारा जिला पुलिस बल के सहायक उप निरीक्षक से निरीक्षक स्तर के विवेचना अधिकारियों को महिला अपराधों में फोरेंसिक साक्ष्यों के महत्व के संबंध में प्रशिक्षण दिया गया। वैज्ञानिक अधिकारियों ने उपस्थित सभी विवेचना अधिकारियों को बताया कि, महिला अपराधों को अत्यंत गंभीरता से लिया जाना चाहिए। हर स्तर पर बारीकी से जांच होनी चाहिए, इसमें थोड़ी सी चूक भी अपराधी के बचाव में सहायक हो सकती है। सभी प्रकार के अपराधों एवं महिला अपराधों में फोरेंसिक साक्ष्य अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अतः इन्हें सहेजने व अपराधों की विवेचना में इनका प्रयोग करने में पूर्ण सावधानी बरतनी चाहिए। जांच के दौरान सभी वैज्ञानिक पहलुओं का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिये। महिलाओं/बालिकाओं से हुए यौन अपराधों की जांच में लोगों के कथन, नक्शा मौका, जब्ती पंचनामा, पीड़ित महिला के कपड़े, रक्त व उससे संबंधित अन्य सामान, संदेही/आरोपी के कपड़े, रक्त, बाल व अन्य सामान आदि साक्ष्यों का संकलन, घटना स्थल के निरीक्षण के समय की बारीकियों के बारे में बताया। साथ ही इन प्रकरणों में डीएनए परीक्षण किस प्रकार सहायक हो सकता है, आदि के संबंध में भी विस्तृत रूप से समझाया गया।
वैज्ञानिक अधिकारियों ने विवेचना अधिकारियों से कहा कि, वे जांच करते समय पीड़ित महिला से व्यवहार व मौका पंचनामा बनाने में सावधानी बरतें। पीड़िता से पूछताछ करते समय मानवीय पहलुओं का भी ध्यान में रखें।
इस अवसर पर महिलाओं के विरूद्ध लैंगिक अपराध में फोरेंसिक साक्ष्यों का महत्व, विषय पर विस्तृत रूप से प्रकाश डालती, विशेषज्ञों द्वारा बनाई गयी एक पुस्तक का विमोचन भी किया गया।
कार्यक्रम का संचालन सउनि (एम) हरेन्द्र साटम ने किया। सउनि (एम) महेंद्र बैंडवल का भी विशेष सहयोग रहा। कार्यक्रम के अंत में आभार वैज्ञानिक अधिकारी अविनाश पुरी ने माना।