इंदौर : श्राद्ध पक्ष मे तर्पण कोई भी व्यक्ति, उस दिवंगत व्यक्ति के के लिए कर सकता है जिसके प्रति उसके मन में श्रद्धा है। हिंदु धर्म के अधिकारिक ग्रंथ निर्णय सिंधु में स्पष्ट लिखा गया है कि श्राद्ध में तर्पण का अधिकार पुत्र के अलावा पत्नी, पुत्री, बहु को भी दिया गया है अर्थात श्राद्ध कर्म का पूर्ण अधिकार महिलाओं को है । श्राद्ध कर्म भी सोलह प्रकार का होता है लेकिन सबसे सरल श्राद्ध कर्म है तर्पण । इसीलिए श्राद्ध पक्ष मे सामूहिक तर्पण किया जाता है । इंदौर वासी इस बात पर गर्व कर सकते हैं कि सामूहिक तर्पण की और उसमें भी महिलाओं को शामिल करने की शुरुआत इसी शहर में हुई । ये बात बाबा साहेब तराणेकर ने आध्यात्मिक साधना मंडल , महाराष्ट्र समाज और तरुण मंच द्वारा आयोजित सामूहिक तर्पण के दौरान व्यक्त किए ।
मंडल के सचिव अरविंद चौगंजकर ने बताया कि राजेंद्र नगर स्थित जवाहर सभागृह में आयोजित सामूहिक तर्पण के आयोजन में शहर के अनेक लोगों ने शामिल हो कर अपने पूर्वजों का तर्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की । बडी संख्या में महिलाओं ने भी दिवंगत परिजनों का तर्पण किया ।
शहीदों व कोरोना काल में दिवंगतों का भी किया तर्पण।
इस दौरान देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए सैनिकों, कोरोना काल में दिवंगत हुए लोगों एवं ज्ञात –अज्ञात मृतकों की याद में भी तर्पण किया गया । पंडित विजय आयाचित के मार्गदर्शन में सम्पन्न हुए इस आयोजन मे समस्त क्रियाएं वेदिक पद्धति से उपेंद्र जोशी गुरुजी ने सम्पन्न करवाई। पंडित विजय आयाचित ने तर्पण के दौरान किए जा रहे समस्त कर्मकाण्ड के महत्व और उसके औचित्य के बारे में भी बताया ।