कवि एवं गीतकार अमन अक्षर ने अभिनव कला समाज में किया एकल काव्य पाठ,
रामगीत सुन कर झुम उठे श्रोता।
इंदौर : रामगीत से देश भर में नाम कमाने वाले युवा कवि अमन अक्षर ने रविवार को अभिनव कला समाज में गीतों की महफिल सजाई। अमन की एकल काव्य पाठ की श्रृंखला मध्यप्रदेश और राजस्थान के प्रमुख शहर ग्वालियर, सागर, भोपाल, जयपुर से होते हुए इंदौर पहुंची। कार्यक्रम में श्रोताओं का अभूतपूर्व प्रतिसाद अमन अक्षर को मिला। आॅडियंस शुरू से आखरी तक हर गीत और मुक्तक पर तालियों की गड़गड़ाहट से अपनी उपस्थिति दर्ज करवाती रही। आखरी गीत राम है पर दर्शक दीर्घा में मौजूद सभी लोगों ने खड़े होकर तलियां बजाई । अमन अक्षर की कुछ पंक्तियां जिन्होंने दर्शकों पर अमिट छाप छोड़ी-
“अलग होते हुए कोई अलग इतना नहीं दिखता,
मगर ऊँचाईयों से नीव का हिस्सा नहीं दिखता,
उन्हीं आँखों को चश्में की कहीं ज्यादा जरूरत है,
जिन्हें माँ-बाप का टूटा हुआ चश्मा नहीं दिखता।”
“सार जग है प्रेरणा, प्रभाव सिर्फ राम है,
भाव सूचियां बहुत है भाव सिर्फ राम है।”
“मुरलीधर कान्हा के जैसे एक वंशीवट साथ रहे,
रघुनंदन के पथ में सबसे पहले केवट साथ रहे,
मरते-मरते भी जैसे इस जीवन की रट साथ रहे,
अमृत के घट छूटे लेकिन गंगा के तट साथ रहे।”
“दुनिया मृत्यु शैया, गंगा जीवन शैया होती है,
माँ कहती है गंगा मैया सबकी मैया होती है।”
अमन अक्षर की कविता और गीतों की इस रिमझिम फुहारों का असर कुछ ऐसा था की बड़ी तादाद में उपस्थित श्रोता कार्यक्रम खत्म होने के बाद भी और सुनने की चाह व्यक्त करते रहे।
मानसरोवर ग्लोबल यूनिवर्सिटी, संस्था सेवा सुरभि, क्लेप प्रोजेक्ट, द साॅलटाॅक के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किए गए इस कार्यक्रम में नवोदयन एकेडमी (कौटिल्य एकेडमी), ओजल फार्मा जैसी नामचीन संस्थाएं सहभागी थी। कार्यक्रम का संचालन कवि प्रद़्यूम्न शर्मा ने किया। कार्यक्रम में प्रारंभिक काव्यपाठ हिमांशु भावसार ने किया । संस्था सेवा सुरभि के अध्यक्ष ओमप्रकाश नरेडा, मोहन अग्रवाल, संजय पटेल, स्टेट प्रेस क्लब, म.प्र. एवं अभिनव कला समाज के अध्यक्ष प्रवीण कुमार खारीवाल एवं सचिव रवि चावला ने अतिथि स्वागत किया। आभार प्रदर्शन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।