माउंटबेटन,नेहरू व शेख अब्दुल्ला ने उलझाया कश्मीर का मामला

  
Last Updated:  April 18, 2022 " 12:49 am"

इंदौर : कश्मीर का इतिहास 5 हजार साल से भी अधिक पुराना है।महाभारत काल में तत्कालीन कश्मीर नरेश ने युद्ध में पांडवों का साथ दिया था। कश्मीर का नाम पहले कश्यपमर्ग था जो बाद में अपभ्रंश होकर कश्मीर कहलाने लगा। इसके प्रमाण भी मौजूद हैं। कश्मीरी पंडितों से आशय ब्राह्मणों से नही हिंदुओं से है। महाराजा हरिसिंह ने कश्मीर का विलय भारत में कर दिया था पर माउंटबैटन, जवाहरलाल नेहरू और शेख अब्दुल्ला ने कश्मीर मामले को उलझा दिया। कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार तो बहुत पहले शुरू हो गए थे। ये विचार महाराष्ट्र के प्रखर लेखक, चिंतक और विचारक डॉ. सच्चिदानंद शेवड़े ने व्यक्त किए। वे महाराष्ट्र साहित्य सभा के 60 वे शारदोत्सव के तहत आयोजित दो दिवसीय व्याख्यानमाला के पहले दिन ‘कश्मीरनामा’ विषय पर बोल रहे थे। बता दें कि डॉ. शेवड़े ने इसी नाम से मराठी में पुस्तक भी लिखी है। स्व. दिलीप सुदामें की स्मृति को समर्पित इस व्याख्यान का आयोजन रामबाग स्थित नरहर गुरु वैदिकाश्रम में किया गया था। कार्यक्रम की अध्यक्षता न्यायमूर्ति वीएस कोकजे ने की।

नेहरू की गलती से बना पीओके।

डॉ. शेवड़े ने कहा कि 1948 में भारतीय सेना ने कश्मीर में घुस आई पाकिस्तानी सेना और कबाइलियों को खदेड़ दिया था पर दिल्ली से आए आदेश के चलते भारतीय सेना को पूंछ सेक्टर में भेज दिया गया। इसके चलते कश्मीर का बड़ा हिस्सा पाकिस्तान ने हथिया लिया, जो पाक अधिकृत कश्मीर याने पीओके कहलाता है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद माउंटबेटन को भारत का गवर्नर जनरल बनाना बड़ी गलती थी।

दोहरे चरित्र वाले व्यक्ति थे शेख अब्दुल्ला।

डॉ. शेवड़े ने कहा कि शेख अब्दुल्ला शातिर राजनीतिज्ञ और दोहरे चरित्र के नेता थे। वे दिल्ली में धर्मनिरपेक्षता की बातें करते थे। जम्मू में वामपंथी बन जाते और घाटी में घोर साम्प्रदायिक हो जाते थे। ये शेख अब्दुल्ला ही थे जो कश्मीरी हिंदुओं के खिलाफ जहर उगलते थे। उनकी पार्टी का नाम भी पहले मुस्लिम कॉन्फ्रेंस था, जो बाद में बदलकर नेशनल कॉन्फ्रेंस किया गया। अब्दुल्ला और सईद परिवार ने अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए कश्मीर का बहुत नुकसान किया।

पंडित का आशय हिंदुओं से है।

डॉ. शेवड़े ने कहा कि कश्मीरी पंडितों से आशय ब्राह्मणों से समझा जाता है जबकि यह सही नहीं है। यह शब्द कश्मीरी हिंदुओं के लिए इस्तेमाल किया जाता था। कश्मीरी हिन्दू शिक्षित और अध्ययन व अध्यापन करने वाले लोग थे इसीलिए वे पंडित कहलाते थे।

हकीकत फ़िल्म से अधिक भयावह थी।

कश्मीर फाइल्स का जिक्र करते हुए डॉ. शेवड़े ने कहा कि फ़िल्म में कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार और उन्हें पलायन के लिए मजबूर करने की जो तस्वीर खींची गई है, हालात उससे कहीं अधिक भयावह थे। कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार तो 1990 के बहुत पहले शुरू हो गए थे।

कश्मीरियत को बनाए रखने के नाम पर थोपी गई थी धारा 370 और 35ए।

डॉ. शेवड़े ने अपने बेबाक सम्बोधन में कहा कि कश्मीरियत को बनाए रखने के नाम पर कश्मीर में धारा 370 और 35ए लागू कर दी गई थी। बाबासाहब आम्बेडकर ने भी नेहरूजी के इस कदम का विरोध किया था। ये तो भला हो मोदी सरकार का, जिसने दृढ़ इच्छाशक्ति दिखाते हुए कश्मीर से धारा 370 और 35ए हटा दी।

वामपंथियों ने सच को दबाए रखा।

डॉ. शेवड़े ने कहा कि वामपंथी इतिहासकारों ने इतिहास के साथ छेड़छाड़ कर सच को दबाए रखा पर देर से ही सही अब सच बाहर आने लगा है।

इस अवसर पर महाराष्ट्र साहित्य सभा के पूर्व अध्यक्ष प्रो. रमेश खांडेकर को उनकी सामाजिक सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया।
प्रारम्भ में अतिथि स्वागत शारदोत्सव की कार्याध्यक्ष अर्चना चितले, रंजना ठाकुर,अशोक अमानापुरकर्र,अनिल मोड़क पंकज टोकेकर,दीपाली सुदामे मदन बोबडे ने किया।नरहर गुरु वेदिकाश्रम की ओर से डा. शेवडे का सम्मान अनिल अत्रे और नीतिन पेमगिरिकर ने किया।प्रतीक चिन्ह दिए संस्था अध्यक्ष अश्विन खरे और सचिव प्रफुल्ल कस्तूरे ने भेंट किए। संचालन विनीता धर्म ने किया और आभार हेमंत मुंगी ने माना।
मसा सभा के अध्यक्ष अश्विन खरे ने बताया कि 18 अप्रैल, सोमवार को शाम 5.30 बजे जाल सभागृह में राज्यसभा सांसद विनय सहस्त्रबुद्धे का व्याख्यान होगा।विषय है ‘कला गुणों द्वारा वैचारिक स्तर पर हमारी संस्कृति और सभ्यता को मजबूत करना।’ अध्यक्षता करेगी पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन। कार्यक्रम सभी के लिए खुला है।

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