मप्र मराठी साहित्य सम्मेलन में कहा वक्ताओं ने।
इंदौर : संस्था मुक्त संवाद साहित्यिक समिति के बैनर तले आयोजित 13 वे मप्र मराठी साहित्य सम्मेलन के तहत विभिन्न साहित्यिक गतिविधियों का सिलसिला स्थानीय प्रीतमलाल दुआ सभागार में चल रहा है। यहां मराठी दिवाली अंकों सहित अन्य पुस्तकों की प्रदर्शनी भी लगाई गई है, जिसे मराठी भाषियों का अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है।
बच्चों तक पहुंचाएं मातृभाषा, साहित्य और विरासत।
रविवार शाम बरसते पानी के बीच भी बड़ी संख्या में मराठी भाषी साहित्य सम्मेलन में भाग लेने दुआ सभागार पहुंचे। यह सम्मेलन का दूसरा दिन था। कार्यक्रम के पहले चरण में मनाचे श्लोक, गीत रामायण और अभंग गायन स्पर्धा के विजेता रहे बच्चों को पुरस्कृत किया गया। समाजसेवी स्वाति काशिद कार्यक्रम की मुख्य अतिथि थी। अध्यक्षता संगीत कला अकादमी के निदेशक जयंत भिसे ने की।
अतिथियों ने अपने उद्बोधन में मातृभाषा मराठी, मराठी साहित्य व संस्कृति और ऐतिहासिक विरासत से नई पीढ़ी को अवगत कराने पर जोर दिया। उनका कहना था कि मातृभाषा के संरक्षण व संवर्धन की शुरुआत घर से ही होनी चाहिए।
‘आठवणीतल्या मुलाखती’ की रोचक प्रस्तुति।
कार्यक्रम के दूसरे चरण में पुणे से आई साहित्यकार नीलिमा बोरवणकर ने कथाकथन पेश किया। ‘आठवणीतल्या मुलाखती’ शीर्षक से पेश किए गए इस कथाकथन में नीलिमा बोरवणकर ने विभिन्न क्षेत्रों की हस्तियों के साथ की गई बातचीत और संवाद के रोचक संस्मरण सुनाए। उन्होंने कहा कि असाधारण काम करने वाले लोग आपके आसपास ही होते हैं, बस उन्हें पहचानने की जरूरत है। बता दें कि श्रीमती बोरवणकर ने प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया पर 800 से ज्यादा हस्तियों के साथ बातचीत के कार्यक्रम किए हैं।