कला कार्यशाला में लिप्पन आर्ट सिखाया गया।
इंदौर : मालवा उत्सव में कला, संस्कृति के रंगों की मनोहारी छटा बिखर रही है। लोग परिवार सहित लोकनृत्य, शिल्पकला को निहारने, खरीददारी करने और व्यंजनों का लुत्फ उठाने बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। मालवा उत्सव में आने वाले हर कला प्रेमी दर्शक खुश नजर आ रहा है।
लोक संस्कृति मंच के संयोजक एवं सांसद शंकर लालवानी ने बताया कि 13 और 14 मई को बीएसएफ द्वारा शस्त्र प्रदर्शन के साथ मंच पर बैंड का प्रदर्शन किया जाएगा।
शिल्प बाजार में मोहम्मद कैफ जूट बैग लेकर बनारस से आए हैं।फरीदाबाद एवं भोपाल से टेराकोटा का विशाल संग्रह जिसमें कछुआ फ्लावर पॉट बुद्धा आदि आए हैं। पश्चिम बंगाल से जहां हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग की बेडशीट ,जूट के बैग आए हैं, तो टीकमगढ़ का प्रसिद्ध ब्रास शिल्प मालवा उत्सव में अपनी चमक बिखेर रहा है। पीतल शिल्प, लौह शिल्प, पोचमपल्ली साड़ियां, महेश्वरी साड़ियां, गलीचा, ड्राई फ्लावर, बांस शिल्प, केन फर्नीचर सहित कई आइटम यहां मौजूद है। गुजरात पवेलियन भी सबके आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।पंजाब की फुलकारी के ड्रेस मटेरियल कश्यप लेकर आए हैं। यूपी से कालीन लेकर मुन्ना शेख आए हैं। चीनी मिट्टी से बने बर्तन लेकर उत्तर प्रदेश खुर्जा से आरिफ मोहम्मद आए हैं।
लोक कलाकारों की व्यवस्था देख रहे सतीश शर्मा ,रितेश पिपलिया, एवं निवेश शर्मा ने बताया कि कलाकारों को बड़े मंच पर मौका मिलने से काफी उत्साह नजर आ रहा है और लोक कलाकार काफी खुश नजर आ रहे हैं। उनकी यह खुशी उनके नृत्यों में भी झलकती हुई दिख रही है।
तेलंगाना के बोनालू नृत्य की रही धूम।
लोक संस्कृति मंच के पवन शर्मा एवं बंटी गोयल ने बताया कि तेलंगाना से आए 15 कलाकारों द्वारा जिसमें महिलाएं सिर पर गटम (माता जी की मूर्ति) लेकर एवं पुरुष धोती सिर पर पात्राडू पहनकर मालाएं पहनकर शिव शक्ति की आराधना का लोक नृत्य प्रस्तुत किया। यह नृत्य तेलंगाना के प्रसिद्ध पर्व बोनालू पर किया जाता है। तेलंगाना में इस अवसर पर तीन दिवसीय सरकारी अवकाश रहता है। सिकंदराबाद, गोलकुंडा आदि जगहों पर विशेष कार्यक्रमों के साथ जून-जुलाई में उत्साह के साथ यह पर्व मनाया जाता है।
घोड़ी पठाई ,गरबो, रुद्राष्टकम, काठियावाड़ी रास, कथक की प्रस्तुतियां।
मालवा उत्सव के मंच पर सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान नाद नमन संस्थान द्वारा रुद्राष्टकम की प्रस्तुति दी गई जिसमें कत्थक के माध्यम से तराना प्रस्तुत किया गया। डिंडोरी से आए कलाकारों द्वारा बैगा जनजाति का घोड़ी पठाई नृत्य प्रस्तुत किया गया। जिसमें 5 महिलाओं एवं 10 पुरुषों द्वारा टीमकी ,बांसुरी और मांदल की थाप पर नृत्य किया गया। गुजरात से आए कलाकारों द्वारा दिवाली के त्यौहार पर उत्तर गुजरात में होने वाला प्रसिद्ध नृत्य गरबो प्रस्तुत किया गया जिसमें सिर पर लड़कियां जग यानी मटकी लेकर नृत्य करती है। लड़के हाथ में डांडिया लेकर नृत्य करते नजर आए।
कला कार्यशाला में लिप्पन आर्ट का प्रशिक्षण।
गुजरात की मतवा व रबारी जनजाति द्वारा भुज एवं कच्छ के क्षेत्रों में मिट्टी एवं गोबर से घरों को बनाया जाता था। इनकी दीवारों को मिट्टी से लेपन कर लेकर गर्मी के दिनों में ठंडा रखा जाता था। उसी लोक कला को यहां पर एकता मेहता के निर्देशन में बरखा भावसार ,शीतल ठाकुर आदि के द्वारा प्रतिभागियों को सिखाया गया।
13 मई के कार्यक्रम।
शिल्प मेला सायंकाल 4:00 बजे से एवं कला कार्यशाला में प्रशिक्षण 5:30 बजे से प्रारंभ होगी। बीएसएफ की शस्त्र प्रदर्शनी सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में गणगौर, लावणी, गोंधल, कर्मा सैला, रमढोल , प्राचीन गरबा एवं स्थानीय प्रस्तुतियां होगी।