मालवा उत्सव में लोक नृत्य बनें आकर्षण का केंद्र

  
Last Updated:  May 11, 2023 " 05:25 pm"

मनियारो, गरबा, डांगी, भगोरिया, मटकी और कांग्वालिया नृत्यों ने बटोरी दर्शकों की दाद।

मालवा उत्सव शिल्प मेले को भी मिल रहा है अच्छा प्रतिसाद

मालवी व्यंजन बन रहे हैं लोगों की पसंद।

इंदौर : मालवा उत्सव इंदौर की पहचान बन चुका है। मालवा ही नहीं देश की लोक कला एवं शिल्प कला को समृद्ध करने का कार्य लोक संस्कृति मंच द्वारा किया जा रहा है।

शिल्प मेले को मिल रहा अच्छा प्रतिसाद।

लोक संस्कृति मंच के संयोजक एवं सांसद शंकर लालवानी ने बताया कि शिल्प मेला प्रतिदिन सायंकाल 4:00 बजे से प्रारंभ हो रहा है इसमें छत्तीसगढ़ का ब्लैक आयरन शिल्प जिसमें लोहे को पिघला कर पीट-पीटकर हिरण शेर सहित कई प्रकार की महीन कृतियां तैयार की जाती हैं, मिल रहा है। इसी के साथ छत्तीसगढ़ का ब्रास शिल्प भी यहां मौजूद है, जिसमें बुद्ध ,भगवान शिव की मूर्तियां ,घंटियां सहित कई आर्टिकल मिल रहे हैं। नागालैंड का ड्राई फ्लावर उत्तर प्रदेश के कालीन महेश्वर की माहेश्वरी साड़ियां भी यहां पर उपलब्ध हैं। लगभग 350 से अधिक शिल्पकार मालवा उत्सव में अपने कला शिल्प का प्रदर्शन और विक्रय करने आए हैं।

लोक नृत्यों ने बांधा समां।

लोक संस्कृति मंच के सतीश शर्मा और विशाल गिदवानी ने बताया कि स्पोर्ट्स, यूथ एंड कल्चरल एसोसिएशन गुजरात सरकार के सहयोग से मालवा उत्सव में गुजरात से आए 16 कलाकारों के समूह ने मणीयारो रास प्रस्तुत किया इसमें लड़कों ने रंग-बिरंगे कपड़ों में उछल उछल कर नृत्य किया ।यह नृत्य शादी ब्याह और नवरात्रि के अवसर पर किया जाने वाला प्रसिद्ध लोक नृत्य है। गुजरात की कठियावाडी टीम ने गुजरात का प्राचीन गरबा प्रस्तुत किया जिसमें महिलाओं द्वारा लाल रंग के पारंपरिक परिधान पहनकर हाथ से गरबा खेला गया। इसकी विशेषता थी कि प्रवेश के समय जो गोल मंडल बना वह अंत तक बना रहा और निकासी के समय ही टूटा। यह नृत्य बहुत सौम्य और खूबसूरत बन पड़ा था ।

भील जनजाति का पारंपरिक नृत्य भगोरिया धनुष बाण के साथ शहनाई व ढोल की थाप पर प्रस्तुत किया गया।आशा अग्रवाल के निर्देशन में गंधर्व एकेडमी इंदौर के 32 विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत किया गया कृष्ण अष्टकम एवं मधुराष्टकम् बेहद मनोरम बन पड़ा था जिसमें कृष्ण लीलाओं का वर्णन सुंदरता के साथ किया गया। उनका बोलने- चलने का ढंग कत्थक के माध्यम से खूबसूरती से दर्शाया गया ।मयंक अग्रवाल एवं साथियों ने संजा लोक नृत्य प्रस्तुत किया जिसमें नृत्य के माध्यम से भादो मास के श्राद्ध पक्ष में मनाए जाने वाले संजा त्यौहार को खूबसूरती के साथ दिखाया गया। गुजरात का प्रसिद्ध नृत्य भी आकर्षण का केंद्र रहा, जिसमें पिरामिड बनाकर कलाकारों ने दर्शकों की वाहवाही लूटी ।

मालवा का कानग्वालिया लोक नृत्य जिसमें कृष्ण एवं ग्वाले फसल पकने पर अपना मेहनताना मांगते नजर आए,की प्रस्तुति दाद बटोर गई। मालवा में किया जाने वाला प्रसिद्ध लोक नृत्य मटकी जो अक्सर ब्याह वह मांगलिक अवसरों पर किया जाता है, भी खूबसूरती के साथ पेश किया गया।

मालवी व्यंजन बन रहे पसंद।

लोक संस्कृति मंच के पवन शर्मा एवं दीपक पंवार ने बताया कि देश के लोगों की पसंद बन चुके मालवा के व्यंजन यहां भी लोगों की खास पसंद बने हुए हैं। लोग जहां दाल – बाटी का लुत्फ उठा रहे हैं वहीं मालवा की मटका कुल्फी भी गर्मी में ठंडक दे रही है। गुजरात के व्यंजन भी लोगों को भा रहे हैं। मुंबई महाराष्ट्र का बड़ा पाव एवं साउथ इंडियन डोसा इडली भी यहां उपलब्ध है।

11 मई के कार्यक्रम :-

बंटी गोयल ने बताया कि गुरुवार को सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में बधाई, नौरता, बैगा, कर्मा, घोड़ी पठाई एवं स्थानीय प्रस्तुतियां दी जाएंगी।

Facebook Comments

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *