मीडिया को स्व नियमन की है जरूरत, भारतीय पत्रकारिता महोत्सव में बोले वक्ता

  
Last Updated:  February 20, 2021 " 08:55 pm"

इंदौर : समाज के अन्य अंगों की तरह पत्रकारिता के क्षेत्र में भी गिरावट आई है। व्यक्तिगत हित हावी होने से पत्रकार टूल के बतौर इस्तेमाल होने लगे हैं।फेक न्यूज के प्रवाह ने हमारी साख पर भी असर डाला है। सरकारें हमें नियंत्रित करें, इससे अच्छा है कि हम खुद अपने लिए लक्ष्मण रेखा तय करें। ये विचार स्टेट प्रेस क्लब द्वारा आयोजित भारतीय पत्रकारिता महोत्सव में ‘मीडिया और लक्ष्मण रेखा’ विषय पर बोलते हुए वक्ताओं ने व्यक्त किए। इस दौरान तीसरे प्रेस आयोग की मांग भी जोर- शोर से उठाई गई।

अभिव्यक्ति की आजादी असीमित नहीं।

टॉक शो में अपनी बात रखते हुए प्रोफेसर मानसिंह परमार ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (1) में अभिव्यक्ति की आजादी दी गई है पर यह असीमित नहीं है। अनुच्छेद 19 (2) में अभिव्यक्ति की आजादी पर 8 तरह के प्रतिबन्ध लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि मीडिया की स्वतंत्रता जरूरी है पर आत्म नियमन भी आवश्यक है। अपने अधिकारों के लिए दूसरे के अधिकारों का हनन नही होना चाहिए। प्रेस काउंसिल का गठन केवल प्रिंट मीडिया के लिए हुए था। अब इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया जैसे माध्यम भी हैं, जिनपर किसी तरह का नियंत्रण नहीं है। ऐसे में प्रेस काउंसिल को भंग कर मीडिया काउंसिल ऑफ इंडिया का गठन होना चाहिए, जिसके दायरे में सभी माध्यम आ जाएं। फेक न्यूज़ पर कार्रवाई का अधिकार भी उसको मिलना चाहिए। प्रोफेसर परमार ने तीसरे प्रेस आयोग के गठन पर भी जोर दिया।

लक्ष्मण नहीं पत्रकार रेखा हो।

अहमदाबाद से आए आजतक के वरिष्ठ पत्रकार धीमन पुरोहित का कहना था कि मीडिया के लिए लक्ष्मण नहीं पत्रकार रेखा होनी चाहिए। इसे भी वे खुद खींचे।गाँधीजी भी मानते थे कि नियंत्रण अंदर से ही होना चाहिए।

गलत सूचनाएं न परोसें।

दिल्ली से आई पत्रकार विनीता पांडे का कहना था कि दायरा क्या हो ये हम तय करें। सूचना का प्रवाह बहुत तेजी से हो रहा है, ऐसे में जांच- परख कर ही सही सूचनाएं पाठकों तक पहुंचाएं। हमारा काम आईना दिखाना है। मीडिया की खेमेंबन्दी पर भी उन्होंने सवाल खड़े किए।

पत्रकार टूल के रूप में इस्तेमाल हो रहे हैं।

वरिष्ठ पत्रकार राजेश बादल का कहना था कि मीडिया के लिए लक्ष्मण रेखा की बात इसलिए उठने लगी है कि हमारे भीतर ही कुछ गड़बड़ है। कोई भी सरकार नहीं चाहती कि उसकी लगातार आलोचना होती रहे। दरअसल सियासत की कालिख में हम भी काले हो रहे हैं। व्यक्तिगत हित हावी होने से मीडिया को टूल के बतौर इस्तेमाल किया जाने लगा है। मीडिया घरानों के अपने स्वार्थ होते हैं। इसीलिए हमारी साख पर असर पड़ा है। समाज के हर अंग में गिरावट आई है। मीडिया भी इससे अछूता नहीं है। हमें अपना घर ठीक करने की जरूरत है। मीडिया काउंसिल के गठन की बात से श्री बादल ने भी सहमति जताई। टॉक शो का संचालन संजीव आचार्य ने किया।

इसके पूर्व तीन दिवसीय भारतीय पत्रकारिता महोत्सव का मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन के साथ शुभारम्भ हुआ। इस मौके पर मीडिया अवार्ड्स से चुनिंदा पत्रकारों को नवाजा गया। नेहा माथुर की पुस्तक का अतिथियों ने विमोचन किया।
लॉकडाउन के दौरान मानवता की सेवा में अहम भूमिका निभाने वाले दुबई के व्यवसायी राजेश बाहेती का भी इस अवसर पर सम्मान किया गया। श्री बाहेती ने सम्मान के लिए कृतज्ञता व्यक्त करते हुए अगला भारतीय पत्रकारिता महोत्सव दुबई में आयोजित करने का न्योता दिया। अंत में आभार अर्पण जैन ने माना।

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