इंदौर : कोरोना काल ने हमें यह बता दिया है कि मीडिया साक्षरता कितनी ज़रूरी है और इसके बिना समाज का कितना नुकसान हो सकता है आज जरूरत है फैक्ट और ओपिनियन के फर्क को समझने की। यह बात मीडिया लिट्रेसी एक्स्पर्ट एवं जाने माने मीडिया शिक्षक प्रो.शशिधर ननजुंदैया ने प्रेस्टीज कॉलेज के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग द्वारा आयोजित मीडिया मॉनिटर प्रोग्राम के अंतर्गत “मीडिएटेड पैंडमिक” विषय पर आयोजित परिचर्चा में संस्थान के छात्रों को संबोधित करते हुए कही। उन्होने कहा कि मीडिया साक्षरता इस बात पर ज़ोर देती है कि कंज्यूमर के रूप में हमारी जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है, क्योंकि अब हम सिर्फ कंज्यूमर नहीं हैं बल्कि कंटेंट प्रोड्यूसर भी हैं। हमें यह देखना होगा कि मीडिया कंज्यूमर होने के नाते हम इंफॉर्मेशन और नैरेटिव के बीच के अंतर को समझते हैं या नहीं। आज ज़रूरत है कि हम अपनी मान्यताओं और विश्वासों से बंधे ना रहकर अपना दिमाग खुला रखें, नॉलेज और मान्यताओं के बीच के गैप को समझें, अपनी धारणाओं को ही नॉलेज न मान बैठें, इसके साथ साथ मीडिया को भी जिम्मेदार होना होगा।
अज्ञानता से ज्यादा घातक हैं पूर्वाग्रह।
ननजुंदैया ने आगे कहा कि अज्ञानता से ज़्यादा खतरनाक हैं हमारे पूर्वाग्रह और विश्वास, जिनकी वजह से हम जानते हुए भी गलत का समर्थन करते हैं। उन्होंने छात्रों से अपने आस पास मीडिया साक्षारता को बढ़ावा देने की अपील की।
प्रेस्टीज कॉलेज की मीडिया विभाग की प्रमुख प्रो. भावना पाठक ने कहा कि मीडिया मॉनिटर वो फोरम है जहां मीडिया विशेषज्ञ, मीडिया शिक्षक एवं शोधार्थी, मीडिया के विविध आयामों पर चर्चा करते हैं। प्रो जुबेर खान ने बताया कि यह मीडिया मॉनिटर का 35वां सत्र है। परिचर्चा में कॉलेज के शिक्षक और विद्यार्थियों ने कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए भाग लिया और उसे सफल बनाया।