इंदौर : मेदांता हॉस्पिटल के आईसीयू रविवार को लगी आग के बाद कलेक्टर मनीष सिंह ने तुरंत एक जांच टीम हॉस्पिटल भिजवाई थी , जिसमे एडीएम पवन जैन , सीएमएचओ डॉ बीएस सेतिया सहित अन्य अधिकारी शामिल थे। इस टीम ने मौका मुआयना करने के बाद 24 घण्टे में ही अपना जांच प्रतिवेदन कलेक्टर को सौंप दिया। प्रतिवेदन में भर्ती मरीजों के परिजनों और हॉस्पिटल स्टॉफ के भी बयान दर्ज किए गए हैं।रिपोर्ट में पाई गई खामियां दूर करने तक आईसीयू में मरीजों को भर्ती करने पर रोक लगा दी गई है।
ओवरलोड से हुआ शॉर्टसर्किट ।
कलेक्टर के निर्देश पर गठित जांच दल ने मेदांता हॉस्पिटल में जो कमियां पाई, उसके मुताबिक आईसीयू के प्रत्येक बेड के लिए अलग-अलग इलेक्ट्रिक सर्किट नहीं लगाए गए और एक ही सर्किट पर अधिक पावर पॉइंट बना दिए। खुली वायरिंग भी मौके पर पाई गई , जबकि मैटेलिक कन्डयूट में से वायरिंग को ले जाना था। स्विच बोर्ड भी फायर प्रूफ बॉक्स में लगाया जाना था जबकि प्लाईवुड में लगा पाया गया। दुर्घटना के समय एमसीबी भी ठीक से काम नहीं कर रही थी . इन खामियों के चलते ही शार्ट सर्किट से आग लगी। हॉस्पिटल प्रबंधन को तकनीकि एक्सपर्ट के माध्यम से उपरोक्त खामियों को दूर करने के निर्देश दिए गए हैं, साथ ही ये भी कहा गया कि तब तक गंभीर मरीजों या ऐसे मरीज जिन्हें आईसीयू की आवश्यकता हो , उन्हें अस्पताल में भर्ती ना किया जाए।
आग लगने के दौरान आईसीयू में थे 10 मरीज ।
बता दें कि रविवार को मेदांता के 14 बेड के आईसीयू में शार्ट सर्किट के कारण आग लग गई थी। उससमय 10 मरीज भर्ती थे , जिसके चलते पूरे हॉस्पिटल में हड़कंप मच गया। ताबड़तोड़ मरीजों को अन्य फ्लोर पर शिफ्ट किया गया । मेदांता में आग लगने की सूचना कलेक्टर मनीष सिंह को मिली तो उन्होंने तुरंत मौके पर अधिकारियों को भेजा और जांच शुरू करवाई। जांच रिपोर्ट के आधार पर हॉस्पिटल प्रबन्धन को जरूरी निर्देश जारी किए गए हैं।