मोदी की सुनामी में तिनके की तरह बह गए विपक्षी दल

  
Last Updated:  May 24, 2019 " 03:53 pm"

इंदौर: 2014 का लोकसभा चुनाव मोदी लहर के लिए याद किया जाता है तो 2019 का चुनाव मोदी की सुनामी के लिए याद किया जाएगा। सुनामी भी ऐसी कि कांग्रेस, सपा- बसपा का महागठबंधन, ममता की टीएमसी और अन्य विपक्षी दल तिनके की तरह बह गए। मोदी मैजिक लोगों के कुछ इसतरह सिर चढ़कर बोला कि राहुल गांधी और उनके कई सिपहसालार चुनाव हार गए। जिन राज्यों में कांग्रेस 6 माह पहले ही विधानसभा चुनाव जीती थी वहां भी उसे करारी हार का सामना करना पड़ा। देश के कई राज्यों में कांग्रेस और उसके सहयोगियों का सफाया हो गया। ये मोदी का ही करिश्मा था कि देश के इतिहास में पहली बार कोई गैर कांग्रेसी सरकार दुबारा पहले से भी ज्यादा बहुमत के साथ सत्ता में वापस आयी। यही नही बीजेपी ने अपने दम पर 300 सीटों का आंकड़ा पार कर लिया। एनडीए के सहयोगी दलों के साथ तो यह आंकड़ा साढ़े तीन सौ के पार पहुंच गया।
आइए बीजेपी+, कांग्रेस+ और अन्य विपक्षी दलों को मिली सीटों पर नजर डालते हैं।

कुल सीट : 542
नतीजे/ रुझान 542

बीजेपी+ कांग्रेस+ अन्य
352 86 104

राज्यवार स्थिति देखें तो यूपी- बीजेपी 64, महागठबंधन 15, कांग्रेस 1
बिहार- बीजेपी+ 39, कांग्रेस+ 1
उत्तराखंड-बीजेपी 5, कांग्रेस 0
पंजाब- 9 कांग्रेस, 3 एनडीए, 1 आप।
झारखंड- 14 में से 12 बीजेपी, 2 कांग्रेस।
महाराष्ट्र- 48 में से 41 बीजेपी- शिवसेना 6 कांग्रेस-एनसीपी 1 अन्य
गुजरात- बीजेपी 26, कांग्रेस 0
राजस्थान- बीजेपी 25 कांग्रेस 0
हरियाणा- 10 बीजेपी, कांग्रेस 0
दिल्ली- बीजेपी 7, कांग्रेस 0, आप 0
प. बंगाल- 42 में से 18 बीजेपी, 22 टीएमसी, 2 कांग्रेस।
तमिलनाडु- डीएमके+ 31, बीजेपी+ 2, अन्य 5
कर्नाटक- बीजेपी 26, अन्य 2
जे एंड के- बीजेपी 3, नेशनल कॉन्फ्रेंस 3
ओडिशा- बीजेपी 6, अन्य 15
तेलंगाना- बीजेपी 4, कांग्रेस 4, टीआरएस+ 9
केरल- कांग्रेस 19, अन्य 1
आंध्रप्रदेश- वायएसआर 25
पूवोत्तर- बीजेपी 14, कांग्रेस 5, अन्य 6
छत्तीसगढ़- बीजेपी 9, कांग्रेस 2
हिमाचल- बीजेपी 4, कांग्रेस 0
गोवा- बीजेपी 1, अन्य 1

राहुल गांधी को अमेठी ने दिया झटका।

अमेठी और रायबरेली गांधी परिवार की परंपरागत सीट मानी जाती रही है। राहुल गांधी के पिता राजीव गांधी भी इस सीट से सांसद रहे। खुद राहुल गांधी भी तीन बार से अमेठी के सांसद थे। 2009 में इस सीट पर राहुल गांधी 3 लाख से अधिक वोटों से चुनाव जीते थे पर 2014 में बीजेपी की प्रत्याशी स्मृति ईरानी ने उनको कड़ी टक्कर दी। उससमय राहुल गांधी 1लाख से कुछ अधिक मतों से चुनाव जीत पाए थे। खतरे की घंटी तभी बज गई थी। स्मृति ईरानी ने भी अमेठी में फतह को अपना लक्ष्य बनाए लिया था। उन्होंने लगातार वहां अपनी सक्रियता बनाए रखी। इसका लाभ उन्हें मिला। 2019 के चुनाव में वे पूरे आत्मविश्वास के साथ फिर से राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरी। राहुल गांधी ने अमेठी से पर्चा भरा जरूर पर सलाहकारों के कहने पर उन्होंने केरल की वायनाड सीट से भी नामांकन दाखिल कर दिया। यही कदम उनके लिए घातक सिद्ध हुआ। स्मृति ईरानी अमेठी के लोगों तक यह बात पहुंचाने में सफल रही कि राहुल गांधी ने उन्हें धोखा दिया है। वे यहां से भाग खड़े हुए हैं। इस बात का व्यापक असर हुआ। रही- सही कसर मोदी की सुनामी ने पूरी कर दी। नतीजा ये हुआ कि स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को 55 हजार वोटों से हराकर इतिहास रच दिया।

कांग्रेस के 9 पूर्व सीएम पराजित।

मोदी की सुनामी में बड़े- बड़े दिग्गज नेता धूल चाटते नजर आए। कांग्रेस के 9 पूर्व सीएम को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी। इनमें अशोक चव्हाण, सुशीलकुमार शिंदे, वीरप्पा मोइली, दिग्विजयसिंह, शीला दीक्षित, हरीश रावत, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, मुकुल संगमा और नबाम तुर्की शामिल हैं।

महाराजा को भी जनता ने दी पटखनी।

मप्र की गुना और ग्वालियर सिंधिया परिवार की खानदानी सीट मानी जाती हैं पर 2019 का लोकसभा चुनाव ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए भी सुनामी साबित हुआ। एक समय उन्हीं के समर्थक रहे केपी यादव ने सिंधिया को पराजित कर दिया। निश्चय ही ये मोदी का करिश्मा था कि सिंधिया जैसे दिग्गज को भी हार का सामना करना पडा।

17 राज्यों में खाता नहीं खोल पाई कांग्रेस।

कांग्रेस की दुर्गति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है की 17 राज्यों में उसका खाता ही नहीं खुल सका। ये राज्य हैं अरुणाचल प्रदेश, आंध्रप्रदेश, गुजरात, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल, त्रिपुरा, सिक्किम, मणिपुर, ओडिशा, मिजोरम, जम्मू- कश्मीर, उत्तराखंड, केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़, दादरा नगर हवेली और लक्षद्वीप।

अमित शाह साबित हुए कुशल रणनीतिकार।

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की कुशल रणनीति ने मोदी मैजिक को प्रचंड विजय में तब्दील कर दिया। करोड़ों कार्यकर्ताओं को बूथ वार जिम्मेदारियां सौपने के साथ उनको सक्रियता से डटे रहने का हौसला अमित शाह ने दिया। शाह की कुशल चुनावी रणनीति और मोदी की जादूगरी ने असंभव को संभव कर दिखाया।

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