🔹 कीर्ति राणा 🔹
इंदौर : मोहन यादव सरकार का योग्यता परीक्षण का अपना पैमाना है। वर्कीमान में की जा रही प्रशासनिक सर्जरी में कुछ अधिकारियों के लिए आनंद का आलम है। सात दिन से भी कम समय में दो पूर्व आयएएस अधिकारियों को ओएसडी बनाए जाने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। अमूमन ओएसडी के रूप में उन्हीं अधिकारियों की नियुक्ति की जाती है, जो मुख्यमंत्री के भरोसे के हों या उनकी बॉडी लैंग्वेज से उनकी मंशा समझ लें।
कई संभागों में कमिश्नर रहे महेशचंद्र चौधरी को 17 फरवरी को मुख्यमंत्री का ओएसडी बनाने के आदेश जारी हुए थे। दूसरे पूर्व आयएएस अधिकारी आनंद शर्मा को ओएसडी पदस्थ किए जाने का आदेश आयएएस लॉबी के लिए कुछ चौंकाने वाला इसलिए भी है कि आनंद शर्मा पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के भी ओएसडी रहे हैं। चौहान ने जुलाई-2022 में उन्हें अपना ओएसडी बनाया था। हालांकि, नवंबर में उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। तब यह भी चर्चा चली थी कि भाजपा उन्हें किसी सीट से चुनाव लड़ा सकती है। चुनाव में तो मौका नहीं मिला, लेकिन अब यादव सरकार ने उन्हें ओएसडी के रूप में फिर पॉवरफुल बना दिया है।
ऐसा पहली बार हुआ है, जब सरकार ने दो ओएसडी पदस्थ किए हैं। इनमें चौधरी सीधे सीएम के साथ रहेंगे और शर्मा मुख्यमंत्री के गृहनगर उज्जैन में 2028 में होने वाले सिंहस्थ संबंधी विकास-निर्माण योजनाओं की मॉनिटरिंग करेंगे। इससे पहले तक उज्जैन संभागायुक्त के जिम्मे यह दायित्व रहा है, फिर चाहे वे रवींद्र पस्तोर (सिंहस्थ-16) रहे हों या (स्व) सीपी अरोरा (सिंहस्थ-04)।
अब आनंद शर्मा की नियुक्ति एक तरह से मुख्यमंत्री की इमेज बिल्डिंग के साथ ही भाजपा के रिलिजियस एजेंडे को भी शत्-प्रतिशत लागू करने वाली हो गई है। भारतीय प्रशासनिक सेवा में 2001 बैच के अधिकारी रहे शर्मा विशेष रूप से सिंहस्थ, धार्मिक न्यास एवं उज्जैन-ओंकारेश्वर कॉरिडोर विकसित करने संबंधी धर्मस्व विषयक कार्यों में समन्वय का काम देखेंगे। सिंहस्थ की तैयारियों के तहत उज्जैन में अतिक्रमण हटाने से लेकर नए निर्माणों को तेजी देने तक का काम शुरू हो चुका है।
मुख्यमंत्री की छवि बनाने वाले अधिकारी तो शिवराजसिंह चौहान के वक्त भी रहे हैं, लेकिन भाग्योदय फिलहाल आनंद शर्मा का ही हुआ है। यादव के सीएम बनने के बाद से होती रही प्रशासनिक सर्जरी में ऐसे कई अधिकारी लूप लाइन में हैं, जिनकी तब तूती बोलती थी… फिर चाहे वो कलेक्टर, सीपीआर, पीएस रहे हों या सीएस। शिवराज सरकार में दो बार सेवावृद्धि पाने वाले मुख्य सचिव नवंबर-23 में सेवानिवृत्त हो गए थे। उनकी जगह वीरा राणा को यह दायित्व सौंपे जाने के बाद सरकार ने उन्हें छह माह की सेवावृद्धि दिए जाने का फैसला भी कर लिया है। दूसरी तरफ सरकार ने इस परिपाटी को भी तोड़ा है कि सेवानिवृत्त होने वाले मुख्य सचिव को किसी आयोग का अध्यक्ष बना दिया जाता है।
मुख्य सचिव वीरा राणा का रिटायरमेंट 31 मार्च को होना है। प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है तो वे छठवीं मुख्य सचिव होंगी, जिन्हें एक्सटेंशन मिलेगा। राणा 31 मार्च को रिटायर होंगी। ऐसे में उनकी सर्विस एक्सटेंशन के आदेश के लिए चुनाव आयोग की अनुमति लेनी होगी। वीरा राणा के रिटायर होने पर उनसे एक बैच जूनियर (1989) मोहम्मद सुलेमान के अलावा 5 अफसरों को सात महीने का इंतजार करना पड़ सकता है। संजय बंदोपाध्याय अगस्त महीने में रिटायर हो जाएंगे।