राजनीतिक हथियार के बतौर हो रहा हिंदुत्व का उपयोग- दिग्विजय सिंह

  
Last Updated:  January 11, 2022 " 03:17 pm"

इंदौर : राज्यसभा सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि हिन्दू धर्म न कभी खतरे में था और न कभी खतरे में रहेगा। देश में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और सारे मुख्यमंत्री हिन्दू हैं, उसके बावजूद भी यदि हिन्दू धर्म आज खतरे में बताया जा रहा है तो उसके लिए हिंदुत्व जिम्मेदार है।

दिग्विजय सिंह सिंह स्टेट प्रेस क्लब, म.प्र. द्वारा ‘हिन्दू और हिंदुत्व’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय परिसंवाद को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने ने कहा कि हिन्दुस्तान में वर्षों तक मुस्लिमों और ब्रिटिशों का राज रहा और भी कई धर्म आए लेकिन सनातनी हिन्दू धर्म पर कभी खतरा नहीं आया।आज हिंदुत्व के नाम पर देशवासियों का रक्तचाप बढ़या जा रहा है। हिंदुत्व का एकमात्र लक्ष्य हो गया है कि समाज में किस तरह कटुता और धर्मान्धता फैलाई जाए।उन्होंने कहा कि आज राजधर्म की जरूरत है। गुजरात में दंगों के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने नरेन्द्र मोदी को राजधर्म निभाने की सलाह दी थी, उस सलाह पर अमल किया होता तो देश के हालात आज कुछ और होते।

सावरकर ने लिखा है, हिंदुत्व का धर्म से लेना- देना नहीं।

दिग्विजय सिंह ने कहा कि विनायक दामोदर सावरकर ने 1923 में लिखी अपनी पुस्तक में जिक्र किया था कि हिंदुत्व का हिन्दू धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। पिछले दिनों जब मैंने ये बात कही तो मुझे ट्रोल किया गया। आज मैं इस कार्यक्रम में यह पुस्तक लेकर हाज़िर हुआ हूँ। उन्होंने कहा कि हिंदुत्व को राजनैतिक हथियार के रूप में उपयोग किया जा रहा है और मनमानी थोपी जा रही है जबकि धर्म आस्था का प्रश्न है। सभी धर्मावलंबियों की अपने-अपने धर्मों में आस्था है। सभी धर्मों के रास्ते अलग-अलग हैं लेकिन ईश्वर एक ही है। सर्व-धर्म समभाव भारत की आत्मा है यह हमारा इतिहास है यही संस्कृति और संस्कार भी है।

श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने किया था धारा 370 का समर्थन।

दिग्विजय सिंह ने कहा कि देश में ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ करने का क्रम चल रहा है। उन्होंने बताया कि श्यामाचरण मुखर्जी ने पंडित जवाहर लाल नेहरु की कैबिनेट में रहते हुए कश्मीर में धारा 370 लागू करने वाले फैसले का समर्थन किया था। इस फैसले में पं. मुखर्जी की सहमति थी। उन्होंने बताया कि आजादी से पहले हिन्दू महासभा, आर.एस.एस. के नेता गुरुजी गोलवलकर, डॉ. हेडगेवार, विनायक दामोदर सावरकर आदि ने हिन्दू समाज की अगुवाई की और मोहम्मद अली जिन्ना ने मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व किया। इन लोगों ने आजादी की लड़ाई में कभी भी महात्मा गांधी का साथ नहीं दिया बल्कि ये लोग ब्रिटिश हुकूमत के साथ चलते रहे।

हिंदुत्व को बताया जिन्न।

दिग्विजय सिंह ने कहा कि शिकागो के विश्व सम्मेलन में स्वामी विवेकानंदजी ने सनातन हिन्दू धर्म की जो व्याख्या की उसे आज भी याद रखा जाना चाहिए। कुछ लोग स्वामी विवेकानंद के भगवा वस्त्रों का अनुसरण करके हिंदुत्व की विचारधारा लागू करना चाह रहे हैं, जिसका हिन्दू धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि हिंदुत्व के नाम पर देश में साम्प्रदायिकता का जहर घोला जा रहा है। मैंने पिछले दिनों संसद में कहा कि यह एक ऐसा जिन्न है जो बोतल में ही ठीक है, यदि वह बोतल से बाहर आ गया तो उसे वापस बोतल में डालना असंभव हो जायेगा। अंत में श्री सिंह ने कहा कि महात्मा गांधी से बेहतर कोई हिन्दू इस देश में नहीं था और उनके पैर छूने के बहाने उनकी हत्या करने वाला हिंदुत्ववादी था। यही आज के परिसंवाद का सार है।

इसके पूर्व वरिष्ठ अभिभाषक एवं विचारक अनिल त्रिवेदी ने विषय प्रवर्तन किया। उन्होंने कहा कि हिन्दू एक व्यापक शब्द है, जिसे हिंदुत्व के रूप में परिभाषित नहीं किया जा सकता। आज के दौर में हिन्दू धर्म के तथाकथित कर्णधारों ने स्वयं को जेड प्लस सुरक्षा में कैद कर लिया है जबकि एक वक्त था जब हम जैसे साधारण कार्यकर्ता शंकराचार्य से बड़ी आसानी और इत्मिनान से मिल आए थे। दुर्भाग्य है कि आज के दौर में हिन्दू शब्द की व्याख्या अपने मुताबिक की जा रही है।

प्रारम्भ में अतिथियों का स्वागत कमल कस्तूरी, नईम कुरैशी, सोनाली यादव, शीतल रॉय, हिमानी सिंह ,अजय भट्ट, गगन चतुर्वेदी, कृष्णकांत रोकड़े ने किया। स्मृति चिन्ह विवान सिंह राजपूत, प्रियंका पांडे एवं विजय गुंजाल ने भेंट किए। अंत में आकाश चौकसे ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में विधायक संजय शुक्ला, विशाल पटेल, पूर्व विधायक अश्विन जोशी, शहर कांग्रेस अध्यक्ष विनय बाकलीवाल, जिला अध्यक्ष सदाशिव यादव, कांग्रेस नेता रघु परमार और योगेन्द्र सिंह परिहार, भोपाल सहित गणमान्य जन व मीडियाकर्मी मौजूद थे। कार्यक्रम के अंत में वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन प्रकाश ने पूर्व मुख्यमंत्री से सवाल-जवाब किए।

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