राजवाड़ा पर मनाया गया गुड़ी पड़वा और भारतीय नव वर्ष का जश्न

  
Last Updated:  March 30, 2025 " 06:34 pm"

सूर्य को अर्घ्य देकर किया गया नए वर्ष का स्वागत।

गुड़ी का विधिवत किया गया पूजन, गीत संगीत की पेश की गई बानगी।

इंदौर : गुड़ी पड़वा से प्रारंभ हुए भारतीय नव वर्ष विक्रम संवत 2082 का स्वागत, शहर की हृदय स्थली राजवाड़ा पर सूर्य को अर्घ्य देकर भगवान सूर्य की आराधना के साथ किया गया। संस्कार भारती जिला इंदौर ,लोक संस्कृति मंच और नगर निगम इंदौर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में शहर के साधु संत, मंत्री, राजनेता, सांसद, महापौर एवं गणमान्य नागरिको ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

लोक संस्कृति मंच के संयोजक शंकर लालवानी ने बताया कि सुबह 5:30 बजे कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन एवं संस्कार भारती के ध्येय गीत से हुई। नव वर्ष की मंगल बेला पर आकर्षक रंगोली का निर्माण छाया मलमकर द्वारा किया गया। ओडिसी नृत्य की प्रस्तुति देवेंद्र खरे, अमित खरे,रश्मि रंजन, गीत खरे एवं स्वेन आदि ने दी। गायन पूनम सोलंकी, तानिया गुप्ता, निकिता पटेल, प्रीति वर्मा ने प्रस्तुत किया। रामधुन की प्रस्तुति को खासी सराहना मिली। इसके बाद वैदिक मंत्रोच्चार के साथ उगते सूर्य को अर्घ्य दिया गया। पारंपरिक वेशभूषा पहने पुरुष और महिलाओं ने सूर्य को जल चढ़ाने के साथ घर – परिवार, शहर, प्रदेश और देश में सुख – समृद्धि की कामना की।इस मौके पर 5 फीट लंबे डंडे पर पर गुड़ी भी सजाई गई,जिसका विधिवत पूजन किया गया। इस अवसर संतश्री दिव्येश कुमार , पवन शर्मा, बाबा साहब तराणेकर, राधे-राधे बाबा, रामचंद्र शर्मा वैदिक, योगेंद्र महंत, मंत्री मध्य प्रदेश शासन कैलाश विजयवर्गीय और तुलसी सिलावट, सांसद शंकर लालवानी, महापौर पुष्यमित्र भार्गव और विधायक गोलू शुक्ला सहित अन्य जनप्रतिनिधि, सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी, दीपक लवंगडे, सतीश शर्मा, पवन शर्मा, रितेश पाटनी, कमल आहूजा और नितिन तापड़िया के साथ गणमान्य नागरिक भी उपस्थित थे। बाद में गुड़ – धनिए का वितरण किया गया। मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, सांसद शंकर लालवानी और महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने लोगों को गुड़ी पड़वा, चेटीचंड, चैत्र नवरात्र और भारतीय नव वर्ष विक्रम संवत 2082 की शुभकामनाएं देते हुए बताया कि आज के ही दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना की थी। कालगणना का केंद्र उज्जैन हुआ करता था। भारतीय नव वर्ष विक्रम संवत 2082 इसका अनुपम उदाहरण है।हमें अपनी ज्ञान परंपरा और विरासत पर गर्व करना चाहिए।

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