इंदौर : कोरोना से उबरने के बाद मरीजों में पाए जा रहे हार्टअटैक, ब्लैक फंगस, शुगर लेवल का बढ़ना जैसे साइड इफ़ेक्ट्स को देखते हुए खंडवा रोड स्थित राधास्वामी कोविड केअर सेंटर में 100 बिस्तरों का पोस्ट कोविड सेंटर बनाया जा रहा है। वहां डे केअर की तर्ज पर प्रतिदिन 100 कोरोना से उबर चुके मरीजों का शारीरिक परीक्षण किया जाएगा ताकि प्राथमिक स्टेज में ही बीमारी का पता कर उसकी रोकथाम की जा सके।
ये जानकारी प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट ने सोमवार को रेसीडेंसी कोठी में आयोजित पत्रकार वार्ता में दी। सांसद शंकर लालवानी और डॉ. निशांत खरे भी उनके साथ थे।
ब्लैक फंगस का किया जा रहा निःशुल्क इलाज।
प्रभारी मंत्री सिलावट ने बताया कि ब्लैक फंगस के इंदौर में फिलहाल करीब 400 मरीज हैं। ऐसे मरीजों के इलाज के लिए एमवायएच में विशेष वार्ड बनाए गए हैं। वहां ब्लैक फंगस के मरीजों का निःशुल्क इलाज किया जा रहा है। इसके अलावा शहर के 17 अन्य निजी अस्पतालों में भी ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज की सुविधा है। सिलावट ने बताया कि ब्लैक फंगस के इलाज में आवश्यक इंजेक्शन की कमी दूर करने के हरसम्भव प्रयास किए जा रहे हैं। एक- दो दिन में ही पर्याप्त संख्या में इंजेक्शन उपलब्ध होने की संभावना है।
बच्चों में तीसरी लहर की आशंका के मद्देनजर की जा रही तैयारी।
सांसद लालवानी ने कहा कि कोरोना की संभावित तीसरी लहर से बच्चों के सर्वाधिक प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है। इस बात के मद्देनजर सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं, ताकि बच्चों को संक्रमण से बचाया जा सके।
पोस्ट कोविड सेंटर में मरीजों की होगी हरतरह की जांच।
डॉ. निशांत खरे ने बताया कि राधास्वामी में पोस्ट कोविड सेंटर बनाया गया है। 100 बिस्तरों का यह पोस्ट कोविड सेंटर मरीजों की संख्या बढ़ने पर 300 बिस्तरों में तब्दील किया जाएगा। डॉ. खरे ने बताया कि कोविड के इलाज के दौरान दिए जा रहे इंजेक्शन व स्टिरॉयड की अधिक मात्रा, एक ही मास्क का उपयोग जैसे कई कारण मरीजों में शुगर, ब्लैक फंगस व हार्ट अटैक जैसे साइड इफेक्ट्स का कारण बन रहे हैं। इसी के चलते राधास्वामी कोविड सेंटर में स्थापित पोस्ट कोविड सेंटर में कोरोना पीड़ित रहे तमाम मरीजों का परीक्षण किया जाएगा। इसके तहत नोजल इंडोस्कोपी के जरिए नाक में ब्लैक फंगस का पता लगाया जाएगा। अगर पहली स्टेज में ही पता लग जाए तो दवाइयों के जरिये वहीं ब्लैक फंगस की रोकथाम की जा सकती है। इसीतरह हार्ट की जांच और खून में थक्के बनने की जांच भी अत्याधुनिक मशीनों के जरिए की जाएगी। इसका लाभ ये होगा कि हम 80 से 90 फ़ीसदी मरीजों को पोस्ट कोविड के साइड इफेक्ट्स से बचाकर उनका जीवन सुरक्षित कर सकेंगे।