इंदौर : जीएसटी के तहत सामान्यत: सप्लायर को टैक्स वसुलकर सरकार को चुकाना होता है लेकिन कुछ परिस्थितियों में सप्लायर की बजाय प्राप्तकर्ता को ही सीधे कर का भुगतान करने का प्रावधान है ! रिवर्स चार्ज से सम्बंधित प्रावधान मुख्यतया सी जीएसटी एक्ट की धारा 9 (3) एवं 9 (4) के अंतर्गत दिए गए हैं। इनमें ऐसे गुड्स एवं सर्विसेज की सूची दी गयी है जिन पर रिवर्स चार्ज के प्रावधान लागू होते हैं। इन्ही प्रावधानों पर चर्चा के लिए टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन, इंदौर और सीए इंदौर शाखा द्वारा संयुक्त रूप से सेमिनार आयोजित किया गया।
मुख्य वक्ता सी ए कृष्ण गर्ग ने इस मौके पर कहा कि असंगठित क्षेत्र से ख़रीदे जाने वाले माल या ली जाने वाली सेवा पर सरकार को राजस्व का नुकसान न हो इसके लिए रिवर्स चार्ज के प्रावधानो को लागू किया गया है । चूँकि इसमें माल या सेवा प्राप्तकर्ता को ही सप्लाई का मूल्यांकन करके, कर की गणना एवं कौन सा कर देना है इसका निर्धारण करना होता है, अतः इससे संबंधित प्रावधानों को समझना अत्यंत आवश्यक है। कर की देयता होने के बावजूद कर का भुगतान नहीं करने या गलत कर के भुगतान के कारण ऑडिट या अन्य जांच में बहुत बड़ी मांग खड़ी हो सकती है।
उन्होंने बताया कि गुड्स की दशा में किसान से तेन्दु पत्ता, सिल्क यार्न,तम्बाकू पत्ता या काजू की खरीद पर खरीददार (प्राप्तकर्ता) को कर का भुगतान करना होगा ! इसी प्रकार सिक्योरिटी सर्विसेज, माल के परिवहन के लिए किसी एजेंट से सर्विस लेने, कैब सर्विस , एडवोकेट फीस, किसी कंपनी द्वारा डायरेक्टर को दी गयी सिटींग फीस, कुछ दशाओं में उन्हें दिए गए पारिश्रमिक एवं ऐसी ही कुछ अन्य सर्विस पर प्राप्तकर्ता को कर का भुगतान करना होता है ! इस कर का भुगतान करके, यदि पात्रता बनती हो तो इनपुट क्रेडिट भी ली जा सकती है !
रिवर्स चार्ज के भुगतान के समबन्ध में उन्होंने कहा कि इसका भुगतान क्रेडिट से नहीं किया जा सकता अर्थात इसका भुगतान नगद में ही करना होता है ! रिवर्स चार्ज में सही भुगतान के लिए आपूर्ति के स्थान (Place of Supply ) का उचित निर्धारण करके आईजीएसटी या सीजीएसटी और एसजीएसटी में भुगतान किया जाना चाहिए । उन्होंने यह भी कहा कि यदि कोई व्यापारी कम व्यापार होने के कारण जीएसटी में पंजीकृत नहीं है तो भी उसे धारा 24 के अनुसार रजिस्ट्रेशन लेकर भुगतान करना होगा !
टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सी ए शैलेन्द्र सोलंकी ने कहा कि प्रदाता की सर्विस, रिवर्स चार्ज में आने पर उसे कर मुक्त श्रेणी में माना जाता है जिससे उसे इनपुट टैक्स क्रेडिट का नुकसान होता है। इसके कारण एक ही सर्विस पर दोहरे करारोपण की स्थिति निर्मित हो रही है ! कार्यक्रम में सी ए मौसम राठी, पी डी नागर, सुनील खंडेलवाल, पलकेश असावा, उमेश गोयल सहित बड़ी संख्या में चार्टर्ड अकाउंटेंट्स, एडवोकेट्स, कर सलाहकार उपस्थित थे। सेमिनार का संचालन सी ऐ जेपी सराफ ने किया।आभार मानद सचिव सीए अभय शर्मा ने माना।