वैचारिक भिन्नता के बावजूद विरोधी दलों के नेताओं से भी रहे मधुर रिश्ते।
अपने काम के प्रति समर्पित थे स्व. मालू।
मालू जी ने जितना बीजेपी को दिया, बदले में नहीं मिला उतना प्रतिफल।
सहयोगियों, मित्रों और पत्रकार साथियों ने स्व. गोविंद मालू को पेश की भावपूर्ण श्रद्धांजलि।
इंदौर : बीजेपी नेता गोविंद मालू के असामयिक निधन से उनके चाहने वालों, मित्रों, परिचितों और समर्थकों में शोक की लहर दौड़ गई है। अब भी किसी को भरोसा नहीं हो रहा है की कल तक जिसके साथ हंसते, बतियाते थे, वो इसतरह अचानक जिंदगी को ही अलविदा कह देंगे।पक्ष हो या विपक्ष सभी से उनके अच्छे रिश्ते थे। गोविंद मालू पत्रकार पहले, नेता बाद में थे। यही कारण रहा की पत्रकार जगत में भी उनके जाने से शोक व्याप्त हो गया। मालू जी के समकालीन कई साथियों ने उनके साथ बिताए पलों को याद किया और अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
52 सालों की दोस्ती में विचारधारा और दलीय भिन्नता कभी आड़े नहीं आई।
कांग्रेस के बरसों तक प्रदेश मीडिया प्रभारी और प्रवक्ता रहे केके मिश्रा और बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता गोविंद मालू विपरीत विचारधारा और दलों में होने के बावजूद गहरे दोस्त रहे। विचारों और दलीय भिन्नता कभी उनकी दोस्ती में आड़े नहीं आई। गोविंदजी के एकाएक चले जाने से स्तब्ध केके मिश्रा उन्हें याद कर भावुक हो गए। उनका गला भर आया और वे कुछ बोल नहीं पाए। इतना अवश्य कहा कि 52 साल की उनकी दोस्ती थी। अब ऐसा मित्र, सखा और शुभचिंतक कहां मिलेगा। उनकी कमी हमेशा खलती रहेगी।
अपने काम के प्रति समर्पित रहते थे स्व. मालू ।
गोविंद मालू के साथ बरसों तक नौकरी और समाजिक जीवन में कंधे से कंधा मिलाकर काम करने वाले संस्था सानंद न्यास के मानद सचिव और उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत व कला अकादमी के निदेशक जयंत भिसे ने स्व. मालू को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि वे अपने काम के प्रति समर्पित रहते थे। चाहे बात क्लाथ मार्केट को ऑपरेटिव बैंक में नौकरी की हो, सामाजिक क्षेत्र में काम करना हो या बीजेपी में विभिन्न पदों की जिम्मेदारी संभालने की हो, हर काम को पूरी निष्ठा, लगन और मेहनत से करते थे।उनका असमय चले जाना बेहद पीड़ादायी है।
जितना मालू ने बीजेपी को दिया, बदले में नहीं मिला उचित प्रतिफल।
वरिष्ठ पत्रकार तपेंद्र सुगंधी ने गोविंद मालू के असामयिक निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि वे बेहद सहज, सरल व्यक्तित्व के धनी थे। बीजेपी के मीडिया प्रभारी और प्रवक्ता के पदों पर रहते हुए उन्होंने हमेशा दृढ़ता के साथ तथ्यपरक ढंग से अपनी बात रखी। टीवी डिबेट्स में वे संतुलित ढंग से बिना उत्तेजित हुए अपनी पार्टी का पक्ष रखते थे। दल और विचारधारा से परे वे रिश्ते बनाने में विश्वास रखते थे। उनके मित्र – परिचितों की लंबी फेहरिस्त थी। विरोधी दल के लोग भी उनकी काबिलियत का लोहा मानते थे। वे मूलतः पत्रकार थे इसलिए बीजेपी में भी उन्होंने मीडिया विभाग में काम करने को प्राथमिकता दी। दुःख इस बात का है की बीजेपी ने उनकी योग्यता का भरपूर इस्तेमाल तो किया पर बदले में उचित प्रतिफल नहीं दिया। टिकट हासिल करने की जुगाड कैसे बिठाई जाती है, इसकी तिकड़म से वे अनभिज्ञ थे, आईइसीलिए टिकट की दौड़ में हर बार पीछे रह गए।
मानवीय गुणों से भरपूर था मालूजी का व्यक्तित्व।
वरिष्ठ पत्रकार चंदू गुप्ता ने स्व. मालू को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा, “अभी तक विश्वास नहीं हो रहा कि सप्ताह भर पहले जिन गोविंद मालू से बात हो रही थी, चुनाव बाद की योजना पर चर्चा हुई थी, वे अब हमारे बीच नहीं रहे। गोविंद मालू से कोई 40 बरस पुराने संबंध रहे, तब वे क्लाथ मार्केट कोआपरेटिव बैंक में बाबू थे। उसी दौरान अखंड परमधाम और युगपुरुष स्वामी परमानंद गिरि की संस्थाओं के समाचार भेजने का जिम्मा भी उन्हीं पर था, लेकिन बैंक के काम और राजनीति में बढ़ते दखल के बाद उन्होंने धार्मिक, सामाजिक संस्थाओं के समाचार भेजने का काम यह कहते हुए मुझे सौंप दिया था कि अब आप को संभालना होगा। इसके अलावा हर वर्ष बसंत पंचमी पर बैंक की प्रेस कांफ्रेंस हुआ करती थी, उसका प्रेस रिलीज तैयार करवाने के लिए भी वे मेरी मदद लिया करते थे । और भी ऐसे अनेक प्रसंग हैं, जब इतने बरसों में उनके साथ रिश्ते बने रहे, बल्कि हर बार मजबूत औऱ आत्मीय बनते रहे। शिवराज सिंह सरकार के समय वे राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त हो गए थे, लेकिन तब भी जमीन से जुड़े होने का स्वभाव उन्होंने नहीं छोड़ा। पत्रकारिता, राजनीति, समाजसेवा और मानवीय गुणों से प्रेरित उनका व्यक्तित्व बिरले लोग ही निभा पाते हैं। हर वर्ष श्राद्ध पक्ष में श्रद्धा सुमन सेवा समिति के माध्यम से भाजपा और आरएसएस के दिवंगत बड़े नेताओं का श्राद्ध भी वे नियमित रूप से करते आ रहे थे। उसका प्रेस नोट भिजवाने के लिए भी वे संपर्क में रहते थे। पिछले सप्ताह भी देश में चुनावी माहौल के बाद मोदी सरकार के प्रचंड बहुमत के प्रति आशान्वित रहते हुए उन्होंने चुनाव के बाद केन्द्र सरकार से जुड़ी कुछ योजनाओं के बारे में बातचीत की थी। ऐसे अध्ययनशील, हंसमुख, विनम्र, मिलनसार और हर वक्त मदद के लिए तैयार रहने वाले भाई गोविंद मालू का निधन उनके चाहने वालों के लिए ही नहीं, पत्रकारिता और राजनीति से जुड़े मित्रों के लिए भी अपूरणीय क्षति है।”
बिना प्रलोभन के रिश्ते बनाना और निभाना गोविंद मालू से सीखें।
स्टेट प्रेस क्लब मप्र के अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल ने बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता गोविंद मालू के अकस्मात अनंत यात्रा पर चले जाने पर गहरा दु:ख जताया। उन्होंने कहा कि गोविंद मालू मूलतः खेल पत्रकार थे।शायद यही कारण रहा की बीजेपी में उन्होंने मुख्यधारा की राजनीति के बजाए मीडिया टीम की कमान संभाली। प्रदेशभर के मीडियाकर्मियों से उनके सौहार्द्रपूर्ण रिश्ते रहे। बीजेपी ही नहीं अन्य दलों के नेताओं से भी उनके अच्छे संबंध थे। बिना किसी प्रलोभन के रिश्ते कैसे बनाएं और निभाएं जाते हैं, इसकी प्रेरणा उनकी पार्टी (बीजेपी)की मीडिया टीम को मालू जी से लेनी चाहिए।