लिव इन के बढ़ते चलन के बीच वैवाहिक रिश्तों की पड़ताल करता नाटक ‘आमने- सामने’ का मंचन

  
Last Updated:  January 12, 2020 " 07:02 am"

इंदौर : मराठी में थिएटर की समृद्ध परंपरा रही है। समय के साथ थिएटर में भी बदलाव आया है। ऐसे विषयों पर भी नाटक लिखे और मंचित किये जाने लगे हैं जिनके बारे में चर्चा करना भी कुछ अरसे पहले तक अच्छा नहीं माना जाता था। सानंद न्यास के मंच पर शनिवार शाम खेला गया नाटक ‘आमने-सामने’ इसीतरह के बोल्ड कथानक पर आधरित था। ‘लिव इन’ के बढ़ते चलन के बीच पारम्परिक वैवाहिक रिश्तों की पड़ताल करते इस नाटक का मंचन किया मुम्बई की अवनीश संस्था के कलाकारों ने किया। नाट्यमण्डली द्वारा निर्मित और अथर्व प्रकाशित इस नाटक के लेखक हैं नीरज शिरवईकर। उन्होंने ही नाटक का निर्देशन भी किया है। पारंपरिक याने अरेंज मैरिज में खासकर महिलाओं को समझौते अधिक करने पड़ते हैं। पुरुषवादी समाज में त्याग की अपेक्षा भी उन्हीं से की जाती है। वर्किंग वुमन होने की दशा में परिस्थितियां कुछ भिन्न हों पर परस्पर मतभेद रिश्तों में इतना तनाव घोल देते हैं कि बात तलाक तक पहुंच जाती है। हालांकि मध्यमवर्गीय सोसायटी में तलाक लेना भी आसान नहीं होता। पारिवारिक और सामाजिक दबाव यहां भी अहम भूमिका निभाते हैं। रिश्तों की इसी उलझन और उससे उपजे सवालों का उत्तर खोजने का प्रयास यह नाटक करता है। नाटक में आएंगे मैरिज की कमियों, खूबियों को वर्तमान संदर्भों में सामने रखा गया है, वहीं लिव इन के अच्छे- बुरे प्रभावों को भी लेखक ने इस नाटक के जरिये दर्शकों तक पहुंचाने का प्रयास किया है।

कलाकारों का कसा हुआ अभिनय।

नाटक ‘आमने-सामने’ के कथानक में दो जोड़े एक युवा जो लिव इन में रहते हैं पर फ्लैट किराए पर लेने के लिए खुद को विवाहित बताते हैं वहीं दूसरी जोड़ी अपेक्षाकृत उम्रदराज है जिनकी अरेंज मैरिज हुई है। इन्हीं दोनों जोड़ियों को लेकर नाटक रिश्तों की पड़ताल करता आगे बढ़ता है। प्रौढ़ पति- पत्नी की भूमिका में मंगेश कदम और लीना भागवत ने कमाल का परफार्मेंस दिया है। खासकर लीना भागवत पूरे नाटक में अपनी छाप छोड़ती नजर आती है। लिव इन में रहने वाले युवा जोड़े की भूमिका में थे मधुरा देशपांडे और रोहन गुजर। चारों कलाकारों का अभिनय, तालमेल और संवाद अदायगी बहुत अच्छी थी। एक प्रोफेशनल नाटक किसतरह पेश किया जाना चाहिए उसका यह नाटक बेहतरीन नमूना था। प्रदीप मुलये की मंच सज्जा, रवि करमरकर की प्रकाश योजना और अमिता खोपकर की वेशभूषा नाटक के कथानक को प्रभावी बनाने में कामयाब रही। रंगभूषा अभय मोहिते की थी और नाटक के निर्माता थे लीना भागवत, सन्तोष कानेकर और महेश ओवे।
सानंद के 5 समूहों के लिए नाटक के कुल 5 शो मंचित किये जाएंगे। रविवार को 3 शो प्रस्तुत किये जाएंगे।

Facebook Comments

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *