आपातकाल के बाद लागू हुआ वास्तविक लोकतंत्र : सुधांशु त्रिवेदी।
संविधान हत्या दिवस” के अवसर पर संगोष्ठी संपन्न।
इंदौर : देश में आपातकाल लागू होने की 50 वीं वर्षगांठ बुधवार को “संविधान हत्या दिवस” के रूप में मनाई गई। इस अवसर पर इंदौर के ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में “आपातकाल विभीषिका” विषय पर आयोजित संगोष्ठी में प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मुख्य अतिथि के रुप में संबोधित करते हुए कहा कि आपातकाल के विरुद्ध लड़ाई, देश के लोकतंत्र को बचाने की जंग थी। उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान न्यायालयों के फैसलों को पलट दिया गया। आपातकाल देश के लोकतंत्र पर काले धब्बे के समान था। उन्होंने कहा कि आज से 50 वर्ष पूर्व 25 जून 1975 को जिन लोगों ने देश में आपात काल लागू किया था, वे ही इस कलंक के लिए जिम्मेदार हैं और वे कभी भी इस कलंक से मुक्त नहीं हो सकते। कार्यक्रम में राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी, प्रदेश के नगरीय प्रशासन एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, सांसद शंकर लालवानी, पूर्व मंत्री अजय विश्नोई और विधायक महेंद्र हार्डिया सहित अन्य जनप्रतिनिधि मौजूद थे। इससे पूर्व संगोष्ठी का शुभारंभ दीप प्रज्वलन कर किया गया।
आपातकाल में लोगों पर किए गए बेइंतहा अत्याचार।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस अवसर पर कहा कि आपातकाल में लोकतंत्र के सेनानियों ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी। उस दौर में हजारों निरपराध लोगों को जेलों में बंद कर दिया गया। उन पर बेइंतहा अत्याचार किए गए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अपने संबोधन में लोकतंत्र की रक्षा के लिए दिवंगत लोकतंत्र सेनानियों के योगदान का स्मरण भी किया।
देश की दूसरी आजादी की लड़ाई थी, आपातकाल के खिलाफ लड़ाई।
राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने इस अवसर पर संबोधित करते हुए कहा कि आपातकाल के विरुद्ध लड़ाई, देश की आजादी की दूसरी लड़ाई थी। उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान किसी की भी संपत्ति जब्त कर ली जाती थी। आपातकाल मनमाने ढंग से लोकसभा का कार्यकाल बढ़ाकर 6 वर्ष कर दिया गया था तथा संसद की बैठक के लिए कोरम की व्यवस्था भी समाप्त कर दी गई थी।
आपातकाल के बाद लागू हुआ वास्तविक लोकतंत्र।
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि आपातकाल में विधायिका, कार्यपालिका और न्याय पालिका के साथ साथ मीडिया पर भी नियंत्रण किया गया था। उन्होंने कहा देश में वास्तविक लोकतंत्र आपातकाल की समाप्ति के बाद ही लागू हुआ है। उन्होंने कहा कि देश में वैचारिक स्वतंत्रता पाने की लड़ाई आज भी जारी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में हमें “आत्म गौरव” का आभास होने लगा है।
त्रिवेदी ने कहा कि लोकतंत्र हमारे देश में 1947 से नहीं बल्कि हजारों वर्ष पूर्व से लागू रहा है। उन्होंने कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र तो है ही, साथ ही “लोकतंत्र की जननी” भी है।
प्रदेश के पूर्व मंत्री अजय विश्नोई ने इस अवसर पर आपातकाल के दौरान अपनी जेल यात्रा के अनुभव सुनाए। उन्होंने बताया कि 25 जून की रात में ही देश में सभी विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन, बीजेपी के नगर अध्यक्ष सुमित मिश्रा, संभाग प्रभारी राघवेंद्र गौतम, सांसद शंकर लालवानी, विधायक रमेश मेंदोला, महेंद्र हार्डिया, गोलू शुक्ला, मनोज पटेल, मधु वर्मा, पूर्व विधायक गोपी नेमा, सुदर्शन गुप्ता, जिलाध्यक्ष श्रवण सिंह चावड़ा सहित अन्य नेता उपस्थित रहे।