अदालत ने शाखा प्रबंधक और उसके सहयोगी को 4-4 वर्ष के कठोर कारावास व अर्थदंड से किया दंडित।
नर्मदा झाबुआ ग्रामीण बैंक की सुदामा नगर शाखा का था प्रबंधक।
इंदौर : नर्मदा झाबुआ ग्रामीण बैंक की सुदामा नगर शाखा के प्रबंधक को रिश्वत लेने के आरोप में कठोर कारावास और अर्थदंड की सजा से दंडित किया है।
जिला लोक अभियोजन अधिकारी संजीव श्रीवास्तव ने बताया कि 07/02/2023 को विशेष न्यायाधीश श्रीमान राकेश गोयल, इंदौर द्वारा प्रकरण क्रमांक 13/2017 में निर्णय पारित करते हुए भरत गोयल पिता रामेश्वर दास गोयल शाखा प्रबंधक को पी.सी. एक्ट की धारा 7, 13(1)(डी), 13(2) में 4-4 वर्ष का कठोर कारावास एवं 2-2 हजार रुपए के अर्थदण्ड से दण्डित किया है। अर्थदण्ड की राशि अदा न करने पर 3 माह का अतिरिक्त कारावास पृथक् से भुगताया जाएगा। अभियोजन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक ज्योति गुप्ता द्वारा की गई।
ये था घटनाक्रम।
फरियादी देवदास मकवाना ने दिनांक 05.10.2016 को लोकायुक्त कार्यालय इंदौर में एक आवेदन पत्र पेश किया कि आवेदक को नर्मदा झाबुआ ग्रामीण बैंक शाखा सुदामा नगर इंदौर से ऑटो रिक्शा खरीदने हेतु दिनांक 09.08.2016 को राशि रुपये दो लाख रुपये का लोन स्वीकृत हुआ था। उक्त लोन में चालीस हजार रुपए की सब्सिडी प्राप्त हुई थी। आवेदक दिनांक 02.09.2016 को 11:30 बजे उक्त बैंक जाकर मैनेजर भरत गोयल से मिला और लोन राशि देने व सब्सिडी राशि के बारे में चर्चा की। इस पर तत्कालीन शाखा प्रबंधक भरत गोयल ने आवेदक को लोन राशि का चेक देने एवं सब्सिडी राशि को लोन खाते में जमा करने के एवज में आवेदक से बीस हजार रुपये रिश्वत की मांग की। उन्होंने कहा कि बीस हजार रुपये नहीं दोगे तो सब्सिडी की राशि लोन खाते में जमा नहीं होगी। फिर आवेदक को दो लाख रुपये के लोन पर पूरा ब्याज भरना होगा।
आवेदक ने भरत गोयल से रिश्वत राशि कम करने का निवेदन किया तो उसने पांच हजार रुपये रिश्वत राशि कम करते हुये पंद्रह हजार रुपये रिश्वत में लेना तय किया।
आरोपी शाखा प्रबंधक भरत गोयल द्वारा दिनांक 06.10.2016 को फरियादी देवदास से रिश्वत राशि 6000 रुपये सफाईकर्मी भोलाराम को दिलवाई गई, जिसे लोकायुक्त पुलिस द्वारा मौके पर जब्त कर दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। प्रकरण में विवेचना कर अभियोग पत्र विशेष न्यायालय के समक्ष 18.05.2017 को अभियुक्तंगण के विरुद्ध धारा 7, 13(1)(डी), 13(2) पी.सी. एक्ट 1988 एवं 120-बी भा.दं.वि. में प्रस्तुत किया गया। अभियोजन द्वारा सभी साक्षीगणों का परीक्षण तत्परता से करवाते हुए लिखित अंतिम तर्क प्रकरण में प्रस्तुुत किए गए, जिसके आधार पर न्यायालय द्वारा अभियुक्त भरत गोयल को उक्त सजा सुनाई गई।