(राजेंद्र कोपरगांवकर )हुनर को जब जिद, जज्बा, जुनून और समर्पण का साथ मिल जाए तो ऐसी नायब कलाकृति उभरकर सामने आती है जो अपने आप में अनूठी होने के साथ देखने वालों को भी मोहित कर देती है। इंदौर की रंगोली आर्टिस्ट वर्षा सिरसिया का हुनर जुनून बनकर उनकी रगों में दौड़ता है, यही कारण है कि वे असंभव सी लगने वाली खूबसूरत और विशालकाय रंगोलियों को अपने दम पर आकार दे पाती हैं। अपने हुनर की बानगी तो वे कई बार पेश कर चुकी हैं पर इस बार उन्होंने नवाचार का समावेश करते हुए अपनी रंगोली को साकार रूप दिया है।
लोक कलाओं को बनाया रंगोली का माध्यम।
वर्षा ने इस बार लीक से हटकर लोक कलाओं को अपनी रंगोली का माध्यम बनाया है। 6 हजार 75 स्क्वेयर फीट की विशालकाय रंगोली में उन्होंने मधुबनी, गौंड, वरली और राजस्थानी लोक कलाओं को प्रदर्शित किया है। इसके साथ संस्कार भारती को समर्पित एक हिस्सा भी है। भव्यता लिए हुए ये रंगोली देखने में अदभुत और अलौकिक नजर आती है।
पहली बार रंगोली में दिखा इस तरह का नवाचार।
वर्षा की माने तो एक से अधिक लोक कलाओं पर आधारित इतनी विशाल रंगोली इसके पहले किसी ने नहीं बनाई है। इस थीम पर रंगोली बनाने का विचार उनके मन में लंबे समय से था। अब जाकर वे इसे आकार दे पाई हैं।
तीन दिन की अथक मेहनत से बन पाई रंगोली।
वर्षा ने 6075 फीट की इस विशालकाय रंगोली को अकेले ही बनाया है। गांधी हॉल परिसर स्थित अधूरे मल्टीलेवल पार्किंग की छत पर निर्मित इस रंगोली को बनाने में वर्षा को चार दिन और तीन रात का समय लगा। रंगोली के प्रति उनका समर्पण कुछ ऐसा था कि खाना, पीना, सोना सबकुछ भूलकर वे जुटी रही, जब तक की रंगोली पूरी तरह मुकम्मल नहीं हो गई।
विधायक विजयवर्गीय ने की हौसला अफजाई।
विधायक आकाश विजयवर्गीय को वर्षा की लोक कलाओं पर आधारित रंगोली के बारे में पता चला तो उन्होंने जाकर रंगोली का अवलोकन किया और वर्षा के हुनर को सलाम करते हुए उसकी हौसला अफजाई की। कई युवा भी रंगोली को देखकर अभिभूत हो गए। उन्होंने इस नायाब व भव्य रंगोली के निर्माण और उसमें किए गए नवाचार के लिए वर्षा को बधाई दी।
पहले भी बना चुकी हैं कारगिल के शहीदों को समर्पित रंगोली।
वर्षा सिरसिया यूं तो कई बार बड़ी और खूबसूरत रंगोलियों का निर्माण कर चुकी हैं। बीते वर्षों में क्रिश्चियन कॉलेज और गांधी हॉल में भी उन्होंने कारगिल के शहीदों को समर्पित रंगोली का निर्माण किया था।
19, 20 दिसंबर को दर्शक देख सकेंगे रंगोली।
लोक कलाओं पर आधारित विशाल रंगोली के निर्माण में समय ज्यादा लगने से रंगोली के दीदार का समय बढ़ा दिया गया है। कला प्रेमी और आम दर्शक 19 व 20 दिसंबर को भी इस रंगोली के दीदार कर सकेंगे।