वर्ष 2024 में राहुल गांधी पीएम बन सकते हैं, इससे बड़ा मजाक कोई नहीं : विजयवर्गीय

  
Last Updated:  August 30, 2023 " 11:42 pm"

इंदौर : राहुल गांधी 2024 में देश के प्रधानमंत्री बन सकते हैं, रक्षाबंधन के दिन इससे बड़ा मजाक नहीं हो सकता। ये कहना है बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का, वे मंगलवार को रक्षाबंधन पर मीडिया से चर्चा के दौरान पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे।

दिग्विजय सिंह सुर्खियां बटोरने के लिए ऐसी हरकतें करते हैं।

दिग्विजय सिंह पर एफआईआर दर्ज होने को लेकर किए गए सवाल पर विजयवर्गीय का कहना था वे मीडिया में बनें रहने और सुर्खियां बटोरने के लिए बेतुके बयान देते रहते हैं।इतने बड़े कद के नेता सामाजिक समरसता को नुकसान पहुंचाने वाले ट्वीट करें यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।

ममता बनर्जी बंगाल में क्या हो रहा है, उसपर ध्यान दें।

ममता बनर्जी के बयान कि विपक्षी गठबंधन की दो बैठकों में ही सरकार को गैस के भाव 200 रुपए कम करना पड़े, पर कैलाश विजयवर्गीय ने पलटवार करते हुए कहा कि ममता बनर्जी पहले यह देखे पश्चिम बंगाल में सैकड़ों दुष्कर्म हो रहे हैं, रोज हत्याएं हो रहीं हैं। महिला होकर भी वे महिलाओं की सुरक्षा नहीं कर पा रहीं हैं।

13 करोड़ से अधिक लोग गरीबी रेखा से ऊपर आए।

विजयवर्गीय ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि उसके साठ साल के शासनकाल में गरीबी कभी कम नहीं हुई। वे केवल गरीबी हटाओ का नारा देते रहे। इसके विपरित बीजेपी की प्रदेश सरकार हो या केंद्र सरकार, उनका उद्देश्य सदैव गरीब कल्याण रहा है। दुनियाभर में महंगाई बढ़ने के बावजूद मोदी सरकार ने गरीबों को उसकी आंच न आए इसकी चिंता की। मप्र की लाडली बहना योजना हो या अन्य योजनाएं ये सभी गरीबों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने में मददगार साबित हुई हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के आंकड़े हैं कि भारत में 13 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर उठे हैं और उनका जीवन स्तर सुधरा है। यह बीजेपी सरकारों की गरीब कल्याण योजनाओं की वजह से ही संभव हुआ है।

बुजुर्गों का आशीर्वाद और बच्चों के चेहरों पर मुस्कान देख सुकून मिलता है।

निराश्रित बुजुर्गों और कुदरत की नाइंसाफी के शिकार दृष्टिहीन व मंदबुद्धि बच्चों के साथ त्योहारों की खुशियां बांटने को लेकर कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि इससे बुजुर्गों का आशीर्वाद मिलता है वहीं दिव्यांग बच्चों के साथ खुशी बांटने से उनके चेहरों पर जो मुस्कान आती है,वह बेहद सुकून देती है। वे पहले इन बच्चों और बुजुर्गों के साथ रक्षाबंधन मनाते हैं, उसके बाद घर पर राखी बंधवाते हैं।

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