इंदौर : कोरोना प्रतिबंध हटाए जाने का लाभ ये हुआ है कि अब कला- संस्कृति से जुड़े कार्यक्रमों का सिलसिला फिर से परवान चढ़ने लगा है। इसी कड़ी में संस्था पंचम निषाद ने ‘स्वर प्रवाह’ के तहत इंदौर प्रेस क्लब के सहयोग से शास्त्रीय संगीत की महफ़िल सजाई। प्रेस क्लब के सभागार में आयोजित इस प्रातःकालीन महफ़िल को नाम दिया गया था ‘स्वागत वसंत’ वासंती माहौल को और खुशगवार बनाने के लिए कार्यक्रम में पधारे थे ख्यात तबला नवाज उस्ताद अल्लारक्खा साहब के शिष्य अमेरिका निवासी प्रफुल्ल आठले और इंदौर की वरिष्ठ गायिका पूर्वी निमगांवकर।
आठले ने तबले पर जमाया रंग।
यूं तो शास्त्रीय संगीत में तकनीकि पक्ष और रियाज की बारीकियों को सुना और परखा जाता है पर कहते हैं न कि कलाकार वही अच्छा माना जाता है, जिसे सुनकारों का भरपूर प्रतिसाद मिले। इस कसौटी पर उस्ताद अल्लारक्खा के शिष्य प्रफुल्ल आठले खरे उतरे। तबले पर उनकी कमांड अद्भुत थी। पेशकार, कायदे, रेले, चक्करदार, गत इन सभी प्रकारों को उन्होंने अपने तबला वादन में बखूबी पेश किया। उनके साथ हारमोनियम पर दीपक खसरावल ने संगत की।
इसके पूर्व पूर्वी निमगांवकर ने शास्त्रीय गायन पेश किया। पहली बंदिश उन्होंने लताजी को समर्पित की। उन्होंने स्वरचित तराना पेश कर अपनी गायकी का लोहा मनवाया। अंत में उन्होंने राग वसंत में एकताल में बंदिश प्रस्तुत कर अपने गायन को विराम दिया। पूर्वी के साथ तबले पर हितेंद्र दीक्षित और हारमोनियम पर डॉ. विवेक बंसोड़ ने संगत की। संचालन उज्ज्वला जोशी ने किया।
कलाकारों का स्वागत भालू मोंढे व अरविंद तिवारी ने किया। आभार शोभा चौधरी ने माना। इस अवसर पर दो मिनट का मौन रखकर स्व. लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। बड़ी संख्या में श्रोता इस अवसर पर मौजूद रहे।