नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने सोमवार को विदेश जाने वाले लोगों के लिए टीकाकरण को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है। नए SOP के तहत विदेश में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स और प्रोफेशनल्स 28 दिन के बाद कभी भी कोवीशील्ड की दूसरी डोज ले सकेंगे। इससे पहले यह नियम 84 दिन यानी (12- 16 हफ्ते) का था। देश में रहने वाले लोगों के लिए यह नियम लागू नहीं होगा।
यह नियम 31 अगस्त तक विदेश जाने वालों के लिए।
केंद्र की नई गाइडलाइन के मुताबिक, विदेश यात्रा के लिए सिर्फ कोवीशील्ड वैक्सीन लेने वालों को ही वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट दिया जाएगा। वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट पर पासपोर्ट नंबर का जिक्र अनिवार्य होगा। ये सुविधा 18 साल से ऊपर के उन लोगों के लिए है, जो 31 अगस्त तक विदेश यात्रा करना चाहते हैं। विदेश यात्रा करने वालों को लेकर जल्द ही ये विशेष व्यवस्था CoWIN प्लेटफॉर्म पर भी उपलब्ध होगी।
इन लोगों को होगा फायदा।
विदेश में पढ़ाई के लिए जाने वाले छात्र और नौकरी के लिए जाने वाले लोग।
अंतर्राष्ट्रीय ओलिंपिक खेलों में भाग लेने वाले भारतीय एथलीट, खिलाड़ी और साथ जाने वाला स्टाफ।
केंद्र सरकार ने राज्यों को जारी किया निर्देश।
केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे प्रत्येक जिले में कोवीशील्ड की दूसरी डोज देने के लिए एक अधिकारी नियुक्त करें। ये अधिकारी यह जांच करेंगे कि क्या पहली खुराक की तारीख के बाद 28 दिनों की अवधि समाप्त हो गई है। साथ ही ये अधिकारी दस्तावेजों के आधार पर संबंधित लोगों की यात्रा के उद्देश्य की वास्तविकता भी जांचेंगे।
वैक्सीन पासपोर्ट को लेकर बहस शुरू।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने संकेत दिए थे कि G-7 सम्मेलन के दौरान वैक्सीन पासपोर्ट को लेकर सहमति बनाने की कोशिश की जा सकती है। उनका प्रस्ताव इंटरनेशनल ट्रैवल को आसान बनाने का है, लेकिन इसमें अभी कई समस्याएं हैं। कई देश ऐसे भी हैं जहां पर अभी मैन्युफैक्चरिंग या फिर अन्य समस्याओं की वजह से वैक्सीनेशन पूरी रफ्तार नहीं पकड़ सका है।यदि वैक्सीनेशन नियम लागू कर दिया जाए, तो यात्रियों को क्वारनटाइन में छूट दी जा सकेगी।
वैक्सीन पासपोर्ट से क्या फायदा?
कोरोना के इस दौर में कई देशों ने संक्रमण के डर से अपने देशों में बाहरी देशों से आने वाले यात्रियों की एंट्री पर पाबंदी लगा रखी है। वहीं, जिन देशों में एंट्री खुली हुई है वहां बाहर से आने वाले यात्रियों को लंबे समय के लिए क्वारनटाइन रहना पड़ता है। इसे लेकर वैक्सीन पासपोर्ट पर बहस चल रही है।
कोवीशील्ड के दो डोज का अंतर बढ़ाने के पीछे क्या विज्ञान है?
कोवीशील्ड के संबंध में कई केस स्टडी और क्लीनिकल डेटा के आधार पर गाइडलाइन की गई है। यह बताता है कि पहले डोज के कुछ हफ्तों बाद अगर दूसरा डोज लिया जाए तो वैक्सीन की इफेक्टिवनेस काफी बढ़ जाती है।
शुरुआती सिफारिशों में कहा गया था कि कोवीशील्ड के दो डोज में 4-6 हफ्ते का अंतर रखा जाए। उसके बाद उसे बढ़ाकर 6-8 हफ्ते किया गया। हालांकि, क्लीनिकल रिसर्च बताती है कि अगर 8 हफ्ते से ज्यादा के अंतर से दो डोज दिए जाएं तो उसकी इफेक्टिवनेस 80%-90% हो जाती है।
मेडिकल जर्नल द लैंसेट में प्रकाशित स्टडी के अनुसार वैक्सीन की इफेक्टिवनेस और शरीर का इम्यून रेस्पॉन्स भी दोनों डोज की देरी से प्रभावित होता है। रिसर्चर्स को पता चला कि कोवीशील्ड के मामले में दो डोज में अंतर जितना अधिक होगा , इफेक्टिवनेस भी उतनी ही अधिक होगी। जब 6 हफ्ते से कम अंतर से दो डोज दिए गए तो इफेक्टिवनेस 50-60% रही, जबकि अंतर बढ़ाकर 12-16 हफ्ते करने पर 81.3% रही।
क्या सिर्फ भारत में दो डोज का अंतर बढ़ाया गया है?
नहीं, भारत से पहले ब्रिटेन और स्पेन में भी एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन के दो डोज के बीच 12 हफ्ते का अंतर रखा गया है। वहां भी क्लीनिकल स्टडीज में जब अंतर बढ़ाने का रेस्पॉन्स अच्छा दिखा तो यह फैसला लिया गया।
डॉक्टरों का भी कहना है कि अगर दो डोज के बीच का अंतर बढ़ाया जाता है तो कोरोनावायरस के खिलाफ iG एंटीबॉडी रेस्पॉन्स दोगुना तक हो सकता है।